ब्लॉगिंग और फेसबुक की जंग में फेसबुक जीतता नज़र आ रहा है. इसका कारण है लगभग सभी ब्लॉगर्स का फेसबुक की ओर प्रस्थान करना। हमने जान बूझकर फेसबुक पर भी अधिकांश ब्लॉगर्स को ही मित्र बनाया है. लेकिन सभी ब्लॉगर मित्र फेसबुक पर नहीं हैं , इसलिए उनके लिए प्रस्तुत हैं , फेसबुक पर प्रकाशित कुछ एकल पंक्तियाँ जो कम शब्दों में ज्यादा बात कह रही हैं :
* अब तो अडवाणी जी को भी समझ आ गया होगा कि भा ज पा में सिर्फ कुंवारे ही पी एम बन सकते हैं !
यह अलग बात है कि यह फ़ॉर्मूला अब उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी भी अपना रहे हैं.
यह अलग बात है कि यह फ़ॉर्मूला अब उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी भी अपना रहे हैं.
वाह!!!
ReplyDeleteजीतना facebook को ही है | फास्टफूड का युग है यह |
ReplyDeleteआप किरपा बांटनी शुरू कर दें...
ReplyDeleteआपके दरवाजे पर लाइन सुबह ५ बजे से लगनी शुरू हो जायेगी !! फूल और प्रसाद वाले जगह तलाश रहे हैं ..
कृपा बांटने की कोशिश तो करिए,,,भक्तों की लाइन लग जायेगी,
ReplyDeleteRECENT POST : बिखरे स्वर.
Dr. Sahab,satya h ki fb is jung me jeet rha h,kintu blogging ki apni h jagah h.
ReplyDeleteवाह, हम तो यहीँ आनन्द ले लेते हैं।
ReplyDeleteहा हा ... हम भी अभी तक फेसबुक पे नहीं आ पाए ... बस ब्लोगिंग का मज़ा ले लेते हैं ... पल लगता है कही कुछ छूट तो नहीं रहा ...
ReplyDeleteहम भी लाईन में है.
ReplyDeleteरामराम.
फेस बुक कमेन्ट का फेस वैल्यू अलग होता है
ReplyDeletelatest post कानून और दंड
atest post गुरु वन्दना (रुबाइयाँ)
बहुत बढ़िया ....
ReplyDeleteFacebook kii book ki Kuchh lines bahut mazedaar hain..!
ReplyDeleteसही!!
ReplyDeleteजंग कैसी !
ReplyDeleteजब संक्षेप में लिखना हो , ज्यादा कहने या लिखने का समय या विषय ना हो तो फेसबुक , विस्तार से लिखना हो तो ब्लॉग !!
ReplyDeleteबेशक अब मुख चिठ्ठा विमर्श का केंद्र बनने लगा है।
बढ़िया रचना
ReplyDeletedownloading sites के प्रीमियम अकाउंट के यूजर नाम और पासवर्ड
उपयोगी प्रस्तुति..
ReplyDeleteपापा मेरी भी शादी करवा दो ना
चूरन-चटनी अपनी जगह है लेकिन ब्लोगिंग रूपी भोजन तो चाहिए ही।
ReplyDeleteबापू की ज़वानी का राज़ क्या है --- हम भी आश्चर्यचकित हैं !
ReplyDeleteआज कल लाइन में लग कर खाना लेने और बर्तन धोने में जवानी निकाल रहे हैं ...चाह कर भी बीमार नहीं पड़ते ....
आप तो सतीश जी की टिप्पणी पर घ्यान दें सर। बांटना शुरु कर ही दीजिये। मोक्षधाम बेकार— न ब्लाग न फेसबुक,। फेसबुक पर लाइक तस्वीर या नाम देख कर किया जाता है और कोई कहां तक पढेगा—दो चार सौ लाइक तो रोज करना ही 'पड़ते' है।
ReplyDeleteFacebook Facebook Facebook Facebook ki jai ho.........!!!
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