सुबह उठते ही दो चीज़ें याद आती हैं , अखबार और चाय। दोनों एक दूसरे की पूरक भी हैं। एक न हो तो दूसरे में भी मन नहीं लगता। चाय का तो कोई विकल्प नहीं लेकिन यदि अख़बार न हो तो अब हम भी अन्य ब्लॉगर्स / फेसबुकियों की तरह कंप्यूटर खोल कर बैठ जाते हैं। आखिर सबसे ताज़ा ख़बरें तो यहीं मिल जाती हैं।
अक्सर फेसबुक खोलते ही अनूप शुक्ल जी की चाय पर 'कट्टा कानपुरी' कविता पढने को मिलती है। वहीँ से पता चलता है कि अनूप जी या तो चाय की चुस्कियां ले रहे होते हैं या इंतज़ार में कविता लिख रहे होते हैं। यह भी पता चलता है कि वह खुद कभी चाय नहीं बनाते बल्कि चाय बनाने वाले / वाली पर निर्भर रहकर चाय का बेसब्री से इंतज़ार करते हैं।
लेकिन हम तो सुबह सबसे पहला काम ही यही करते हैं। श्रीमती जी का भी कहना है कि हम चाय बहुत अच्छी बनाते हैं। हालाँकि उनका तारीफ़ करने का मकसद हम भली भांति समझते हैं, लेकिन इस विषय में असहमति भी नहीं रखते। आखिर दुनिया में कोई और काम आये न आये , लेकिन कम से कम चाय बनाना तो आना ही चाहिए।
वैसे तो देशवासियों को चाय पीना अंग्रेजों ने सिखाया था लेकिन हम जो चाय पीते हैं उससे अंग्रेजों का कोई लेना देना नहीं है। देखा जाये तो हम चाय नहीं , चाय की खीर पीते हैं। वैसे तो चाय की अनेकों किस्में भारत में पैदा होती हैं और चाय बनाने के तरीके भी अनेक हैं। लेकिन पानी , दूध , चीनी और चाय की पत्ती से बनने वाली चाय का स्वाद हर घर में अलग होता है। इसका कारण है चाय बनाने का तरीका। आइये देखते हैं, चाय का स्वाद कैसे भिन्न भिन्न होता है :
पंजाबी लोगों की चाय में चीनी कम और दूध न के बराबर होता है जबकि पत्ती ज्यादा डालकर कड़क चाय बनाई जाती है। लेकिन हरियाणा के लोग शुद्ध दूध की चाय पीते हैं जिसमे चीनी भी दिल खोल कर डाली जाती है। अक्सर शहरी लोग या तो बिना चीनी की चाय पीते हैं या बहुत कम चीनी की। उधर ढाबों पर मिलने वाली चाय में आधा कप तो चीनी से ही भरा होता है। मजदूर लोग भी ऐसी ही चाय को पसंद करते हैं।
चाय में अलग अलग खुशबू तो चाय की किस्म पर निर्भर करती है लेकिन स्वाद बनाने पर। यदि चाय को सही तरीके से बनाया जाये तो यह न सिर्फ स्वादिष्ट होती है बल्कि फायदेमंद भी होती है। दूसरी ओर गलत तरीके से बनी चाय का स्वाद भी खराब होता है और नुकसानदायक भी हो सकती है। आइये देखते हैं क्या है चाय बनाने का सही तरीका :
तरीका बहुत आसान है इसलिए चाय बनाना सबके लिए संभव है। दो कप चाय बनाने के लिए सवा कप पानी और पौना कप ट्रिपल टोंड दूध ( डबल टोंड दूध जिसमे से मलाई निकाल ली गई हो ) चाहिए। यदि टोंड दूध हो तो आधा कप और फुल क्रीम दूध का चौथाई कप ही काफी रहेगा। पानी में चाय पत्ती डालकर उबलने तक गर्म कीजिये। उबाल आने पर १० -१५ सेकण्ड तक उबालिए। यदि तेज चाय चाहिए तो १५ सेकण्ड वर्ना १०- १२ सेकण्ड ही काफी है। अब इसमें चौथाई चम्मच चीनी और दूध डालकर गर्म कीजिये। जब उबाल आने लगे तो चाय के बर्तन को उठाकर आंच पर हिलाते हुए उबालिए। धीरे धीरे चाय का रंग निखरता आएगा। लीजिये तैयार हो गई गर्मागर्म चाय।
चाय के गुण और उपयोग :
* चाय में मौजूद केफीन नर्वस सिस्टम पर प्रभाव डालकर उत्तेजित करती है। इसलिए ताजगी और स्फूर्ति प्रदान करती है।
* एंटीऑक्सिडेंट कई तरह के केंसर से बचाव करते हैं।
* सुबह की चाय उठते ही सुस्ती को दूर कर स्फूर्ति लाती है। हालाँकि बेड टी का प्रचलन अंग्रेजों ने शुरू किया होगा, लेकिन बिना कुल्ला किये चाय पीना अच्छी आदत नहीं।
* दिन भर में ५ -६ चाय पीना सामान्य है और काम में ध्यान लगाने के लिए सहायक सिद्ध होती है।
* चाय पीने से तनाव से मुक्ति मिलती है। इसलिए काम में उत्पादकता बढती है।
* चाय सभी पारिवारिक , सामाजिक, धार्मिक और औपचारिक कार्यक्रमों में आवभगत का बढ़िया माध्यम है।
* अविवाहित लोगों के लिए चाय का बुलावा एक वरदान साबित होता है।
* विवाह प्रस्ताव में वर पक्ष को लड़की दिखाने के लिए जब घर पर बुलाया जाता है तो लड़की चाय लेकर ही सामने आती है।
* दुनिया में पानी के बाद चाय ही ऐसा पेय है जो सबसे ज्यादा पिया जाता है। शायद लोगों को चाय पानी की आदत सी पड़ गई है। इसीलिए आजकल कहीं भी जाइये , बिना चाय पानी के कोई काम ही नहीं होता।
अंत में : चाय पीजिये , खूब पीजिये , पिलाइये , खूब पिलाइये -- लेकिन खुद भी बनाइये।
वाह "जहाँ चाय है वहां चाह है" . चाय ने इसकदर दीवाना बना दिया है की वगैर इसके नींद ही दूर नहीं होती ... मेरे कार्यालय में अधिकारी कहते थे की मिश्रा जी को सीट पर बैठाल कर काम लेना है तो उनको हर आधे घंटे में चाय काफी पहुंचाते जाओ ... आभार
ReplyDeleteचाय की प्याली और पति की व्यथा पर कभी एक पोस्ट लिखी थी, उसी का एक अंश...
ReplyDeletehttp://www.deshnama.com/2010/07/blog-post.html
चाय की प्याली...ये भी जनाब बड़ा दर्द देने वाली है...आप वक्त बेवक्त कभी भी उठकर नेट खोल कर ब्लॉगिंग जैसे पुनीत कार्य में अपना दिमाग़ खपा कर खुद को धन्य समझ रहे होते हैं...सोच रहे होते हैं कि ब्लॉगजगत हमें पढ़़-पढ़ कर निहाल हो रहा होगा...अब जनाब वहम तो किसी को भी हो सकता है न...अब गालिब़, इसी तरह खुद को खुश कर लिया जाए तो हर्ज़ ही क्या है...ऐसे में आपको एक और वहम होता है...सिरदर्द का...अब आप ये ज़ोर से बोलकर सुनिश्चित भी कर लें कि पत्नीश्री ने सुन ही लिया है..तो फिर भी गारंटी नहीं कि चाय की प्याली फौरन आ ही जाएगी...आएगी उसी वक्त जब पत्नीश्री की कृपा होगी...
जय हिंद...
अपनी तो कभी कभार सुबह दूध वाली चाय होती है, नहीं तो दिन भर तुलसी ग्रीन टी ही अपने साथ होती है ।
ReplyDeleteग्रीन टी पीने से कोलेस्ट्रोल पर कंट्रोल रहता है।
Deleteयह सर्टीफिकेट तो आपने घर में बनबा लिया है इसकी जाँच तो आपके हाँथ की बनी चाय पी कर के ही की जा सकती है. लेकिन हमें तो चाय अदरक बाली चाहिये.
ReplyDeleteजी अदरक वाली चाय सर्दियों में ज्यादा अच्छी लगती है और गर्माइश भी देती है। गला खराब होने पर अदरक वाली चाय में थोडा नमक डाल कर पियें तो आराम आता है।
Deleteचाय में नमक???स्वाद तो बेस्वाद हो जाएगा!काली मिर्च तो सुनी है..नमक?
Deleteजी यह डॉक्टरी नुस्खा है। सोर थ्रोट में नमक के गरारे न कर सकें तो नमक वाली चाय पीजिये , लेकिन चीनी थोड़ी ज्यादा डालकर ताकि स्वाद बना रहे।
Deleteबहुत बढ़िया ... चाय के बारे में सब कुछ समेटे पोस्ट
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ReplyDeleteचाय पीने का मजा न आता अगर चे प्याला और प्याली न होते,
ससुराल जाने में मजा न आता अगर चे शाला और शाली न होते,,,
Recent post: तुम्हारा चेहरा ,
आप ने मध्य प्रदेश की चाय नहीं पी कभी। रतलाम में हम एक चाय की दुकान पर बैठे बोला - चाय में चीनी आधा चम्मच डालना। चाय चखी तो खालिस चाय का शरबत थी। हमने चाय वाले को बोला -इतनी शक्कर डालते हैं क्या, तुम्हें सिर्फ आधी चम्मच डालने को कहा था। - साब! आधी चम्मच ही डाली है। हमने उसे चम्मच बताने को कहा तो जो वह दिखाने लाया वो दाल को हिलाने वाला चमचा था।
ReplyDeleteहा हा हा ! यह समस्या घर से बाहर सब जगह नज़र आती है।
Deleteअब तो जाने कितनी तरह की चाय आ गई है बाज़ार में पर अपने को तो दूध, शक्कर ओर अदरक इलायची वाली चाय न हो तो मज़ा नहीं आता ... वैसे अलग अलग जगह के चाय स्वाद अलग होते हैं .. एक बार काठियावाड की चाय पी .. कड़क, मस्त ... आज तक वैसा स्वाद नहीं मिला ... हमारे दुबई में सादा चाय (केरल वासी बनाते हैं ज्यादातर) का प्रचलन बहुत है ... कड़क मस्त चाय होती है पता नहीं आपने पी या नहीं ...
ReplyDeleteचाय हमारे घर भी श्री गणेश करती है।
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ReplyDeleteचाय की महिमा वर्णन करती आपकी लेख मजेदार लगा .बचपन में कप नहीं मग भर पीते थे (कभी कभी ). पर अब तो चाय नहीं पीते ,पिलाते जरुर है.
latest postजीवन संध्या
latest post परम्परा
हम तो अक्सर सुबह की चाय घर के बाहर कुल्हड़ वाली पीते हैं। चाय वाला भी बिना चीनी की, खूब चीनी वाली दोनो तरह की चाय बनाता है। पहले बिना चीनी की चाय छानता है फिर खूब चीनी डालकर चाय छानता है जिसे कम चीनी की चाय पीनी हो, दोनो को आपस में मिला देता है।
ReplyDeleteयानि पत्नि पर रहम करते हैं और खुद पर भी। :)
Deleteपेशे खिदमत है डॉ दराल 'स चाय ? मैंने आज बनायी इसी नुस्खे पर -पत्नी ने आपको धन्यवाद कहा है और कहा है मैं बहुत अच्छी बनाया :-) कोई फसंत तो नहीं है डॉ साहब! ?
ReplyDeleteहा हा हा ! चलिए इसी बहाने आपने घर के काम में हाथ तो बंटाया । :)
Deleteअंग्रेज बेड टी पीते हैं तो रात को खाने के बाद दाँत साफ करके सोते हैं। भारतीय दाँत तो नहीं साफ करते लेकिन बेड टी पीते हैं। अंग्रेज बनो तो पूरे बनो वरना सुबह-सुबह मसूड़ों में जमा सड़न घोंटते रहो...
ReplyDeleteपाण्डेय जी , वैसे तो हर बार कुछ खाने या पीने के बाद कुल्ला करना चाहिए। लेकिन शहर में लोग खाने के बाद भी कुल्ला करना अनकूल समझते हैं।
Deleteहम तो चाय पीते ही नहीं...मगर हाँ बनाते बहुत अच्छी है..(ऐसा सब कहते हैं :-)
ReplyDeleteचाय पर पोस्ट थी मगर अदरक,तुलसी और इलायची का ज़िक्र थोडा miss किया हमने :-)
सादर
अनु
अनु जी , हमने बिल्कुल सादी चाय पर ध्यान दिया है। :)
Delete....अच्छी चाय का तलबगार मैं भी हूँ ।
ReplyDeletemujhe chaai banaani aati hain ji.
ReplyDeletebachpan se hi.
matlab jab mein 15-16 saal kaa thaa, tab se.
waise mujhe coffee jyada pasand hain.
thanks ji.
CHANDER KUMAR SONI
WWW.CHANDERKSONI.COM
हम पर जब तक मैडम की कृपा रहेगी चाय मिलती रहेगी ...
ReplyDeleteकिसी को भिगो-भिगो के देने के लिए भी चाय अच्छे काम आती है, सामने वाला उठ के भाग भी नही सकता :-)
ReplyDeleteधन्यवाद जी, गुणगान किया। मैं भी खूब चाय पियक्कड़ हूं
ReplyDeleteचाय के बिना दिन की शुरुवात करना...शायद ही कम हिन्दुस्तानी हों...मस्त पोस्ट!!
ReplyDeleteदिन की शुरुवात का नाम ही चाय है..बढ़िया..
ReplyDeleteइसी चाय के मसले पर हमने एक बार घरवाली को कहा कि चाय बनाना कौन सा बडा काम है? बस हमको आर्डर हो गया कि कल से सुबह की चाय तुम बनाओगे. अगले दिन सुबह हमने अपनी सारी अक्ल लगाते हुये बढिया मलाईदार दूध, खूब सारी चाय पत्ती और शक्कर डालकर चकाचक उबालना शुरू किया. फ़्लेवर के लिये अदरक, तुलसी के पत्ते और साथ में लहसुन की दो कलियां भी रगड कर डाल दी. पहली बार घरवाली के लिये चाय बनाई थी सो सबसे सुंदर कपों में चाय डाली और पेश करदी.
ReplyDeleteइसके बाद जो हुआ वो आजतक हमारी शक्ल पे लिखा है. घरवाली ने बुरा सा मुंह बनाते हुये (शायद लहसुन की गंध आगई होगी) पहली घूंट भरी और उसके साथ ही कप उठाकर हमारे मुंह पर दे मारा. सारा मुंह सुकरात के चेहरे जैसा जल गया और यही राज है हमारी बंदर शक्ल का.:)
वो दिन है और आजका दिन है हमको तो दो लठ्ठ खाने के एवज में बैठे बिठाये चाय मिल जाती है. हम तो सबको यही सलाह देते हैं कि चाय बनाने से बचना हो तो यह सौदा महंगा नही है. आजमा कर देखिये.:)
रामराम.
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Deleteआदरणीया ताई को लहसुन के गुण बताते तो शायद ये हालत न होती। :)
Deleteहम तो फ्यूजन टी पीते हैं - ग्रीन टी में तुलसी का पत्ता डाल के :)
ReplyDeleteसद्भाव संवाहक चाय.
ReplyDeleteचाय पीने का शौक शादी के बाद ही लगा ..क्योंकि सासू जी कई बार पीती थीं और उन्हें कंपनी देनी पड़ती थी ..सो अब तो २-३ चाय की आदत पड़ ही गयी है..आप ने इतने गुण गिना दिए हैं तो संतोष हो रहा है कि चाय की आदत गलत नहीं पड़ी.
ReplyDeleteडॉ.जी.डी.प्रदीप की लिखी 'चाय पर एक बेहतरीन पोस्ट 'सबाई'ब्लॉग पर मैंने भी डाली थी ..
अच्छी लगी यह पोस्ट.
शुक्रिया अल्पना जी।
Deleteडॉ साहब आपने बाबूजी की याद दिला दी .....
ReplyDelete*अंतिम यात्रा * चाय वाह http://zaruratakaltara.blogspot.in/2012/01/last-journey.html
बहुत खूब लिखा आपने | चाय को लेकर आपने हल्ला बोल दिया | बहुत ही सुन्दर शब्दावली द्वारा विचारों को अभिव्यक्त किया | पढ़कर अच्छा लगा | सादर
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
अब आप इतनी बढ़िया चाय बनाते हैं तो पीकर देखना ही पड़ेगा। धन्यवाद!
ReplyDeleteजैसे सुकरात को उनकी पत्नि जानथिप्पे द्वारा चेहरे पर गर्म चाय फ़ेंके जाने के बाद तत्व ज्ञान की प्राप्ति हुई उसी प्रकार हमें भी चाय बनाने का तत्व ज्ञान प्राप्त करने की धुन सवार हो गई और हमने उसे प्राप्त भी कर लिया. सभी लोगों के कल्याण और भलाई के लिये हम अपना गुप्त फ़ार्मुला यहां बता रहे हैं. इस मजाक ना समझे और इस नायाब फ़ार्मुले के फ़ायदे आजमा कर देखें. हम आपको यह पहले ही बता देते हैं कि हम एक अच्छे चाय टेस्टर रह चुके हैं.
ReplyDeleteदो बडे कप चाय बनाने के लिये सामग्री :-
1. डेढ गिलास पानी
2. पानी उबालने के लिये बर्तन और ढकने के लिये 1 ढक्कन नुमा तश्तरी
3. एक छोटा चम्मच चाय पत्ती (अपर आसाम की सैकिंड फ़्लश की मिले तो नायाब रहेगी)
4. आधा से छोटा चम्मच ग्रीन टी पत्ती
5. दो पत्ती तुलसी
=============
विधी:-
डेढ गिलास पानी को गैस पर उबलने के लिये चढा दिजीये. जैसे ही पानी उबलना शुरू हो गैस का बर्नर बंद कर दिजीये. तुरंत इसमे दोनों तरह की चाय पत्ती, तुलसी की पत्ती डाल दिजिये और इसको तश्तरी/ढक्कन से तुरंत ढक दिजीये. पांच मिनट बाद ढक्कन हटाकर इसे बढिया से कांच के गिलास या कप में सीधे छान लिजिये. बस यह शानदार टी पीने के लिये तैयार है.
आप चाहे तो छानने के बाद इस गिलास/कप में एक गोल बारीक स्लाईस नींबू की डाल दिजिये जो आपको एक महकता हुआ फ़्लेवर देगा. यह चाय पीने में बहुत ही मिठास लिये होती है. शक्कर दूध की जरूरत ही नही पडेगी. इसके अनगिनत फ़ायदे हैं. हम तो रोज सुबह यह बनाकर घरवाली को भी पिलाते हैं इसी वजह से उसमें अब तक लठ्ठ मारने की ऊर्जा बनी हुई है. स्वयं भी पीते हैं जिसकी वजह से लठ्ठ की मार बर्दाश्त करने का हौंसला बना हुआ है.
यदि किसी को इसमें भी हरियाणा छाप चाय का स्वाद लेना हो तो गिलास में छानने के बाद स्वाद अनुसार शक्कर और पांच दस बूंद नीम्बू के रस की डालकर पी सकता है.
अब आते हैं इसके सीधे औषधीय उपचार के तरीकों पर:-
जब भी सर्दी जुकाम हो या गला खराब हो तो उपरोक्त विधी से पानी (जरुरत अनुसार ले सकते हैं) को उबलने के बाद चाय पत्ती डालकर पांच मिनट बाद उस पानी से गरारे करें. थोडा नमक डाल लेंगे तो गला तुरंत ठीक होगा. दो चार घूंट गले के अंदर पेट तक भी उतार लें तो और बढिया रहेगा.
उपरोक्त फ़ार्मुले वाली चाय हम पिछले 25 सालों से पी रहे हैं दोनों टाईम. आप भी यह आजमाईये और अपनी सेहत बनाईये. फ़ायदा होने पर फ़ार्मुले की रायल्टी जरूर ताऊ को भिजवा दें.:)
रामराम.
बहुत काम की जानकारी दी है , सीरियसली।
Deleteचाय बनाने के अनेक तरीके और विकल्प हैं। आप किस तरह की चाय पसंद करते हैं यह आप पर निर्भर करता है या फिर मूड पर। गला ख़राब होने पर गरारे करने से या नमक वाली चाय पीने से निश्चित ही बहुत फायदा होता है। आइस्ड टी , लेमन टी , ग्रीन टी आदि अलग अलग तरीके से बने जाने वाली चाय हैं।
अब हम भी लट्ठ विरोधी शक्ति उत्पन्न करने की दिशा में प्रयासरत होते हैं। :)
चाय पर टिप्पणी क्या लिखूं , कविता लिखी ही थी कि चाय का प्याला है या जिंदगी , दोनों हर रंग रूप में बहुत भाती है , हम तो कविता पर ही रुके , आपने पूरी रेसिपी बता दी .
ReplyDelete" चाय पीने से तनाव से मुक्ति मिलती है। इसलिए काम में उत्पादकता बढती है।"
ReplyDeleteलेकिन डाक्टर साहब मुझे डाक्टर ने चाय पीने से मना किया है। वे कहते है कि चाय तनाव (anxiety) बढाती है! यह सलाह मुझे उस समय दी गयी थी जब मै कार्य के तनाव के कारण लगातार तीन दिन सो नही पाया था!
क्या कैफिन का प्रभाव दो अलग अलग व्यक्तियों मे अलग अलग हो सकता है?
आशीष जी , कहते हैं ना कि अति हर चीज़ की खराब होती है। चाय कम मात्रा में स्फूर्ति पैदा करती है लेकिन अत्यधिक मात्रा में नर्वस सिस्टम का ज्यादा स्टिमुलेशन होने से एन्जाईटी हो सकती है। इसी तरह सोते समय चाय पीने से अक्सर नींद भाग जाती है जबकि काम के समय नींद भगाने के लिए चाय पीते हैं।
Deleteधन्यवाद जी!
Deleteएक बात और - हमें तो चाय का विकल्प ही समझ नहीं आता, कई बार मेहमान यक्ष प्रशन रख देते हैं, कि चाय नहीं पीते..
ReplyDeleteफलाहार के बाद भी लगता है मेहमान बिना चाय पिए जा रहा है.. :)
सच कहा पति को कम से कम चाय तो बनाना सीखना चाहिए मेरे पति जब कभी चाय बनाते हैं तो जाने कौन सी विधि अपनाते हैं की चाय ट्रांसपेरेंट हो जाती है अर्थात कप की पेंदी साफ़ दिखाई देती है ,इस लिए मैं खुद ही उनको बनाने के लिए मना कर देती हूँ
ReplyDeleteआपकी पोस्ट पढ़ कर तो सचमुच चाय पीने की इच्छा हो गई मैं तो चली !!!!!
खुद चाय बनाके औरों को पिलाके खुश होना निरभिमान बनाता है .औरों को महत्व देता है सम्मान देता है .
ReplyDeleteचाय पानी बनाए सगरे काम ,
जय माया ,जय जय हरीनाम .
बने सब बिगड़े अगड़े पिछड़े काम .
आप लिखने का कोई विषय जाने नहीं देते ....
ReplyDeleteअब चाय पर इंतनी बढ़िया पोस्ट और उससे भी बढिया टिप्पणियाँ
ताऊ जी का दादी अम्मा वाला नुस्खा तो राजकुमारी जी की पेंदी .....
सभी ने मन लुभाया :))
जी यही तो ब्लॉगिंग की खूबसूरती है। देखिये ना , किस तरह एक आम विषय पर ढेर सारे अनुभव पढने को मिल गए। :)
Deleteअपने लिए तो सुबह की एक कप चाय बहुत ज़रूरी है ठीक वैसी ही जैसी आपने बताई उसके बाद भले ही दिन भर न मिले तो न सही, मगर यदि सुबह की चाय न मिले तो सर दर्द होने लगता है।
ReplyDeleteहम तो चाय पीते नहीं, लेकिन पतिदेव को जरूर एक कप चाय पिला देते है।
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