अब जब हमारे सभी ब्लॉगर मित्र बन्धु फेसबुक की ओर कूच कर चुके हैं, तो न चाहते हुए भी हम भी कुछ कुछ फेसबुकिया हो गए हैं। हालाँकि जो मज़ा यहाँ है , वह वहां कहाँ। इसलिए पिछले एक महीने में फेसबुक पर अलग अलग मूड और माहौल में जो कुछ चन्द पंक्तियाँ डाली, उन्हें यहाँ प्रस्तुत किया जा रहा है :
फेसबुकिया क्षणिकाएं
१)
कभी कभी
न जाने क्यों --
ऐसा लगता है,
जैसे --
हम एलियन हों ,
और 'इंसानों' की धरती पर
उतर आये हों ,
किसी
गलती के तहत।
२)
आज ---
सारी रात
मेघा , गरजते रहे
बरसते रहे ---
नयनों से
फिर आज ,
सारी रात ---
३)
यूँ समझो कि
बस हम ही हम हैं।
ये और बात है
कि हम ही हम हैं,
तो क्या हम हैं !
बस हम ही हम हैं।
ये और बात है
कि हम ही हम हैं,
तो क्या हम हैं !
४)
लोग मिलते हैं,
कहते हैं कभी, आना इस गली।
तुम भी आओ ,
कहते हैं कभी, आना इस गली।
तुम भी आओ ,
कहते हैं तभी, हम भी यही।
न आयें वो, न जाएँ हम ,
गुजर जाती है, यूँ ही जिंदगी।
न आयें वो, न जाएँ हम ,
गुजर जाती है, यूँ ही जिंदगी।
५)
सुबह से शाम होती है ,
शाम से रात होती है।
उन से अब मिलना हो तो बस
फेसबुक पर मुलाकात होती है।
शाम से रात होती है।
उन से अब मिलना हो तो बस
फेसबुक पर मुलाकात होती है।
६)
जब तक हम
फेसबुकियाते हैं ,
वो फोन पर बतियाते हैं।
उस पर शिकवा ये कि
आजकल हम बहुत
कम बतियाते हैं।
पर पढ़ने और गढ़ने का सहज आनन्द ब्लॉग में ही है..
ReplyDeleteपांचवी वाली अब तक याद है :-)
ReplyDeleteयह तो है कि पढने का मज़ा ब्लॉग में ही आता है .... फेसबुक तो तफरीह की जगह है .... सैर सपाटा कर के घर आने जैसा ....
ReplyDeleteजय हो! विजय हो। पुण्य का काम किये उधर का माल इधर ले आये।
ReplyDeleteयानि ईस्ट मीट्स वेस्ट ! :)
Deleteब्लाग-लेखन केवल ब्लागर्स तक ही पहुँच रखता है जबकि फेसबुक का सहारा लेकर आप नान-ब्लागर्स तक अपने ब्लाग लेखन को पहुंचाने मे सफल रहते है। BLOG & FACEBOOK ARE COMLIMENTARY & SUPPLEMENTARY TO EACH OTHER.
ReplyDelete'कंजूस' और संकुचित विचारकों को कुछ भी कहने की छूट होने के कारण वे फेसबुक का विरोध करते हैं।
11 मार्च 2013 को ब्लाग का एक और तमाशा पढ़ने को मिला;आप लोग भी अवलोकन करें---
Deleteअंजू शर्मा 11 मार्च 2013
पिछले दिनों एक पत्रिका में मेरी एक कविता के ठीक ऊपर मेरी ही ग़ज़ल किसी ओर के नाम से छपी थी। एक पल के लिए तो मैं सकते में आ गयी इसके बाद मैंने तुरंत अपने ब्लॉग को हाईड कर लिया। इससे पहले ऐसी घटनाएँ फेसबुक पर मेरे साथ कई बार हुई पर प्रिंट में भी ऐसा होना बेहद दुखद है ......हालाँकि संपादक और वे महिला जिनके नाम से कविता छपी थी दोनों फेसबुक मित्र हैं ....विवाद को न बढ़ाते हुए मैंने इसे गलती मानकर दोनों को संदेह का लाभ दिया और ब्लोगिंग से तौबा की। मैं नहीं जानती कि ऐसा पहले कितनी बार हुआ होगा ....... मेरा ख्याल है अपने ब्लॉग पर सिर्फ प्रकाशित रचनाएँ ही होनी चाहिए, वर्ना रोज एक नए विवाद के लिए तैयार रहिये और कलम को उठाकर साइड में रख दीजिये .......
पी के शर्मा अंजू जी मेरी कविताएं चोरी होकर अखबारों में भी खूब छपी हैं। कविसम्मेलन में भी खूब सुनाई जाती हैं। जैसा कि मुझे मेरी मेल से भी पता चला है और और लोगों ने भी बताया है। ऐसे में क्या किया जाए.... और तो और मेरी अच्छी कविताओं ने तो मुझे कविसम्मेलन में भी जाने से रोक दिया है। मुझे कविसम्मेलन के आमंत्रण भी शनै शनै बंद हो गये हैं, ....मुझे बुलाएंगे तो चोरी वाली रचनाएं नहीं सुनाई जा सकेंगी। मतलब यही कि न बुलाओ न झंझट... आपको कुपित होने की जरूरत नहीं है। आप बस इतने पर ही संतोष और गर्व कर लीजिए कि... आपकी कविता इस लायक तो है कि चोरी हो सके ...मतलब सोने की है चांदी की है। रांगे की नहीं....।
Deleteअत्यंत दुःख की बात है कविता चोरी होना।
हालाँकि यह गुणवत्ता को भी ज़ाहिर करता है।
आपने भी ताऊगिरी शुरू करदी? यानि माल की हेराफ़ेरी.:)
ReplyDeleteरामराम.
ज़माने के साथ सुर ताल मिलाते जाओ --- :)
Deleteब्लॉग का कोई मुकाबला नहीं ...
ReplyDeleteतो ठीक है ना दोनो विधाओ में रहें कल पता नही किसको छोडना पडे और किसको पकडना
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर.ब्लॉग का स्थान फेसबुक कभी नही ले सकता.महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ !
ReplyDeleteबिल्कुल ब्लॉग ही बेहतर है ...... फेसबुक पर सबसे जुड़े रहने की कोशिश है पर पूरी तरह फेसबुक की दुनिया में गुम होने से बची रहूँ यह भी ध्यान में है
ReplyDeleteकभी-कभी फेसबुक में लिखा स्टेटस ब्लॉग की एक अच्छी पोस्ट के लिए सहायक होता है।
ReplyDeleteफसबूक हो ब्लॉग पढ़ने में आनंद आना चाहिये. सुंदर भावपूर्ण और आज का यथार्थ हैं यह क्षणिकाएँ.
ReplyDeleteमहाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें.
फ़ेसबुक कंप्यूटर का वह कोढ़ है जिसकी खुजलाहट आनंददायी है :)
ReplyDelete:)
Deleteखुजाते रहो ! :)
सुबह से शाम होती है ,
ReplyDeleteशाम से रात होती है।
उन से अब मिलना हो तो बस
फेसबुक पर मुलाकात होती है...
हा हा ... फेसबुक का कमाल ... क्षणिकाएं हैं धमाल ... सभी बेमिसाल ...
अभी तक तो अकाउंट नहीं खोला ... देखें कब तक रोक पाता हूं अपने आप को ...
:) बहुत सुन्दर
ReplyDeleteसुबह से शाम होती है ,
ReplyDeleteशाम से रात होती है।
उन से अब मिलना हो तो बस
फेसबुक पर मुलाकात होती है।
हा !हा! हा!रोचक.
वाकई ,फेसबुक को'देर तक झेल सकना भी बड़ा काम है.
मैं अभी तक इस एक 'बुक' से दूर हूँ ...देखें कब तक.
अल्पना जी , फेसबुक पर भक्तों की भीड़ देखकर लगता है कि एक दिन में २४ घंटे से ज्यादा होने चाहिए।
Deleteफ़ेसबुक के ज़माने तालमेल बनाना पडता है :)
ReplyDeleteफेसबुक मुझे भी पसंद नहीं है पर...
ReplyDeletedono kaa apnaa apnaa mahattav hain ji.
ReplyDeletelekin, aaj ki peedhi padhnaa or samajhnaa or soch-vichaar karnaa hi nahi jaanti.
isliye facebook jyada chal rahaa hain.
thanks.
CHANDER KUMAR SONI
WWW.CHANDERKSONI.COM
फेसबुक की अपनी अहमियत है किन्तु ब्लॉग की कोई जगह अद्भुत आपने सिद्ध कर दिया
ReplyDeleteमहाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें.
हमें तो ब्लॉग और फेसबुक दोनों पसंद हैं :)
ReplyDeleteदोनों के बीच समन्वय बना रहे तभी मज़ा आता है |
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
फेसबुक और ब्लॉग दोनों का अपना संसार है , मिला मिला सा , जुदा जुदा सा भी !
ReplyDeleteआज की ब्लॉग बुलेटिन गर्मी आ गई... ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteफ़ेसबुक के चक्कर में ही बहुत से ड्राफ़्ट रेड़ी पड़े है ब्लॉग के लिए ... :-) लिखा ज्यादा जाता है फ़ेसबुक पर ...और सुधार कर सहेजा जाता है ब्लॉग पर ....
ReplyDeleteब्लोगिंग से अच्छा फेस बुक नही है,,,,
ReplyDeleteRecent post: रंग गुलाल है यारो,
ब्लॉग लंबी रेस को घोड़ा है..फेसबुक तुरंत आकर्षक जरूर लगता है....मगर आप हमेशा जुडे नहीं रह सकते। अच्छा लगा पढ़कर..
ReplyDeleteकसी को हो न हो पर हमें तो शिकवा यही है कि अब आप वाकई में बहुत कम बतियाते हैं :) यहाँ तक के आप अब हमारे ब्लॉग पर भी नहीं आते हैं....
ReplyDeleteशिकवा जायज़ है। :)
Deleteयकिनन……
ReplyDeleteसुबह से शाम होती है ,
शाम से रात होती है।
उन से अब मिलना हो तो बस
फेसबुक पर मुलाकात होती है।
सटीक अवलोकन आपका!!
ReplyDeleteकमेन्ट बॉक्स न खुलने की कई शिकायत आ रही हैं। हालाँकि यहाँ तो खुल रहा है।