होली त्यौहार है मौज मस्ती का , खाने खिलाने का , पीने पिलाने का , हंसने हंसाने का और सबको प्यार से गले लगाने का। इस अवसर पर हमारे यहाँ तो होली के दिन सब लोग जो होली खेलते हैं , नीचे सेन्ट्रल पार्क में इकट्ठे हो जाते हैं और सामूहिक रूप से होली खेलते हैं। बच्चे , बड़े , बूढ़े और महिलाएं अपनी अपनी टोलियों में होली का आनंद लेते हैं।
इस बार हमारी सोसायटी ने डी जे का भी प्रबंध किया था। छोटे बच्चों के लिए बाथ टब और बड़े बच्चों के लिए सीधा पानी का पाइप और सब के लिए ठंडाई। बुजुर्गों के लिए बेंच जो ११ बजे तक खाली पड़े थे।
सोसायटी में होली का शुभारभ : चित्र बालकनी से सेटेलाईट द्वारा ! :)
इस वर्ष निकट सम्बन्धियों और मित्रों में कई लोगों का आकस्मिक देहांत होने से होली खेलने का मूड नहीं बन रहा था। दोनों बच्चे भी बाहर होने से घर भी सूना सूना सा लग रहा था। हालाँकि हमने तो एक दिन पहले दिन में अस्पताल में और शाम को एक मित्र की सोसायटी में हुए कवि सम्मेलन में हास्य कवितायेँ सुनाकर होली का आनंद ले लिया था। लेकिन श्रीमती जी को थोड़ी मायूसी सी हो गई जब हमने कहा कि छोड़ो क्या करेंगे होली मनाकर। आखिर तय हुआ कि चलो पहले एक दूसरे को तो गुलाल लगा लें , फिर सोचा जायेगा।
होली से पहले
इस फोटो में आपको कुछ विशेष नज़र आ रहा है ? शायद सिर्फ प्यार करने वाले ही समझ पायें !
खैर रंग लगाकर मन कुछ प्रसन्न हुआ तो सोचा कि चलिए चलते हैं और होली खेलते हैं सब के साथ। आखिर लाइफ़ हैज टू गो ओन। फिर :
होली खेलने को हम घर से निकले
और जब एक पडोसी नज़र आये।
हमने उनके गालों पर गुलाल लगाया
और प्यार से गले मिलने को हाथ बढाए।
पर तभी हम चौंके , हाथ अपने रोके।
क्योंकि आन पड़ी एक अड़चन थी ,
पता चला वो पड़ोसी नहीं , पड़ोसन थी।
होली पर यही समस्या हर जगह आती है। रंग में रंगे चेहरे पहचानना ही मुश्किल हो जाता है। समूह में तो और भी विकट समस्या होती है। एक बार रंग लगाने के बाद याद भी नहीं रहता कि पहले लगाया था या नहीं। हमने तो इसका एक तरीका सोचा और हरा गुलाल लेकर गए जो और किसी के पास नहीं था। इसलिए जिसके भी चेहरे पर हरा रंग नहीं था , उसके चेहरे पर रंग लगाते गए। थोड़ी देर बाद सभी के चेहरे हरे भरे नज़र आ रहे थे।
अंत में नहाने धोने , और रंग उतारने के बाद सामूहिक भोज का आयोजन था। जो लोग होली खेलने नहीं आए थे , अब वे भी सपरिवार सहभोज का आनंद ले रहे थे। शुद्ध सात्विक भोजन कर अब घर जाकर आराम करने का समय था। अब तक फेसबुक पर भी फेसबुकियों की भीड़ लग चुकी थी। हमने भी एक फोटो फेसबुक पर टांगा और व्यस्त हो गए लाइक पर लाइक करने में।
लेकिन इस सब के बीच हम सुबह से ही देख रहे थे हलवाई के लोगों को खाना बनाने की तैयारी करते हुए। जब सोसायटी के सब लोग होली मनाने में व्यस्त थे, तब सुबह से ही ये लोग अपने काम में व्यस्त थे। जहाँ होली के दिन सब दुकानें बंद रहती हैं , वहीँ इन बेचारों की न कोई छुट्टी थी , न होली मिलन। रह रह कर यही गाना याद आ रहा था :
सब की किस्मत , अपनी अपनी
कोई हँसे , कोए रोये ----
शायद यही इस नश्वर संसार की रीति है। यहाँ सब अपनी अपनी किस्मत लेकर आते हैं। लेकिन आपकी किस्मत आपके अपने कर्म बनाते हैं। बस यही याद रखना ज़रूरी है।
हर एक का अपना अपना आनंद .... अच्छा हुआ जो जल्दी ही पता चल गया कि वो पड़ोसी नहीं पड़ोसन थी ...
ReplyDeleteडॉ.साहब ..आपको और भाभी जी को होली मुबारक हो ....एक ने रंग लगाया ....दुसरे ने कार्बन कापी :-)))))
ReplyDeleteशुभकामनायें ! बुरा न मानो ..होली है ??
अनुभव बोल रहा है। :)
Deleteआपने अनुभव से ही तो पूछा था दखिए कित्ता फ़ट्ट से पकडे गए :)
Deleteक्या सचमुच पता नहीं था कि पड़ोसन है :)
ReplyDeleteफोटो का ख़ास साफ़ नजर आ रहा है !
जी सचमुच। :)
Deleteनजर मिलाने तक से जो कतराती थी
ReplyDeleteवही पड़ोसन गले मिली है होली में,
आपको होली की हार्दिक शुभकामनाए,,,
Recent post: होली की हुडदंग काव्यान्जलि के संग,
होली तो हो...ली...
ReplyDeleteकोई हँसे, कोई रोये.
शुभकामनाएँ...
संग संग ली हुई तो हर फोटो ख़ास होती है...
ReplyDelete:-)
सादर
अनु
जी सही कहा।
Deleteथोड़ी छानी होती भांग वाली ठंडाई तो मिल लेते गले पड़ोसन से...:)
ReplyDeleteऔर आप ऐन वक्त पर चूक गए :)
ReplyDeleteअब भंग की तरंग में चलोगे तो पडोसने ही नजर आएगी .... डॉ साहेब !
ReplyDeleteहोली की तरंग में भी आपने याद क्यों रक्खा इतनी छोटी छोटी बातों को ... मिल लेते होली इसी बहाने ...
ReplyDeleteलगता है भाभी जी साथ थीं इसी लिए सजग हो गए ...
आपको परिवार सहित होली की शुभकामनायें ...
:-)
ReplyDelete... होली पर ढेरों शुभकामनाएं!
rochak sansmaran ... hardik shubhakamanayen ...
ReplyDeleteदेर के लिए माफ़ी होली की शुभकामना . आदरणीय नेट महोदय ने हमें आप तक पहुचने नहीं दिया . खुबसूरत यादें संजो रखिये ..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शुक्रवार के चर्चा मंच-1198 पर भी होगी!
सूचनार्थ...सादर!
--
होली तो अब हो ली...! लेकिन शुभकामनाएँ तो बनती ही हैं।
इसलिए होली की हार्दिक शुभकामनाएँ!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!होली की शुभकामनायें
ReplyDeletelatest post हिन्दू आराध्यों की आलोचना
latest post धर्म क्या है ?
.रोचक प्रस्तुति आपको होली की हार्दिक शुभकामनायें मोदी संस्कृति:न भारतीय न भाजपाई . .महिला ब्लोगर्स के लिए एक नयी सौगात आज ही जुड़ें WOMAN ABOUT MAN
ReplyDeleteफोटो में खास से भी ज्यादा कुछ खास है :)
ReplyDeleteहोली की आनंदमयी पोस्ट.
होली का हुड़दंग हम देखा किये ,
ReplyDeleteप्रेम निर्झर हर बरस देखा किये .
अच्छी रसधार, बहा दी होली में ,
बढ़िया व्यंग्य विनोद सजाया होली में .
ताऊ हरियाणवी इतने शरीफ़ कब से होगये?:)
ReplyDeleteहमको फ़ोटो की जगह एक जरा सा स्पाट दिख रहा है, शायद ब्लागर की समस्या है, फ़ोटो बिल्कुल नही दिखाई दे रहा है. होली की शुभाकामनाएं.
रामराम.
फेस नहीं दिख रहे तो फेसबुक पर देखिये। :)
Deleteहोली के अवसर पर पहचान के संकट वाला यह बहाना जोरदार है और चलता भी है ! :-)
ReplyDeleteHOli mubaraka
ReplyDelete@ शायद सिर्फ प्यार करने वाले ही समझ पायें !
ReplyDeleteअजी जाओ जी ये मुस्कराहट तो फोटो खिंचवाने की है .....:))
@ होली के अवसर पर पहचान के संकट वाला यह बहाना जोरदार है और चलता भी है ! :-)
जा रे जा दीवाने तू
होली के बहाने तू
छेड़ न मुझे बेशर्म .....
:)
Deleteपता चला वो पड़ोसी नहीं , पड़ोसन थी---
ReplyDeleteहोली त्यौहार है मौज मस्ती का , खाने खिलाने का , पीने पिलाने का , हंसने हंसाने का और सबको प्यार से गले लगाने का। इस अवसर पर हमारे यहाँ तो होली के दिन सब लोग जो होली खेलते हैं , नीचे सेन्ट्रल पार्क में इकट्ठे हो जाते हैं और सामूहिक रूप से होली खेलते हैं। बच्चे , बड़े , बूढ़े और महिलाएं अपनी अपनी टोलियों में होली का आनंद लेते हैं।
इस बार हमारी सोसायटी ने डी जे का भी प्रबंध किया था। छोटे बच्चों के लिए बाथ टब और बड़े बच्चों के लिए सीधा पानी का पाइप और सब के लिए ठंडाई। बुजुर्गों के लिए बेंच जो ११ बजे तक खाली पड़े थे।
कई बार तो सोचता हूं कि दूसरे जिन समाजों में हमारे यहां जैसे त्योहार नहीं होते, कैसा फीका फीका सा जीवन होता होगा उनका
ReplyDeleteहोली की ढेरों शुभकामनायें..
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ....happy holi
ReplyDeleteऐसा तो नहीं था कि पड़ोसन की जगह पडोसी निकल गया? होली की शुभकामनाएं जी।
ReplyDeleteचित्र में ख़ास स्पष्ट दिख रहा है पता नही उन्होंने आपसे रंग लिया या आपने उनसे आप दोनों की मुस्कुराहट ही बता रही है बहुत सुंदर चित्र और होली का वर्णन भी बहुत-बहुत मुबारक हो ,मेरा नेट भी तीन दिनों से रो रहा था आज ही कुछ चला है|
ReplyDeleteतस्वीरें सुन्दर हैं.
ReplyDeleteहोली तो सोसिएटी में सब मिलकर मनाते हैं अच्छा लगता है.
खाकर खाना -पीना भी.
'अपनी -अपनी किस्मत है ,ये कोई हँसे कोई रोये'...गीत होली के एक गीत का ही हिस्सा है.
अगर दूसरे नज़रिए से देखें तो उनको त्यौहार के दिन अधिक काम मिलता है ,यही उनका त्यौहार होता है.
हलवाई ही क्यूँ और भी कई प्रोफेशन हैं जिनकी ड्यूटी त्योहारों पर अधिक सख्त और व्यस्त हो जाती है.