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Friday, February 1, 2013

कहीं दीप जले कहीं दिल, एक ग़ज़ल ---


एक सुबह अस्पताल जाते हुए रास्ते में यह नज़ारा देखा तो फोटो ले लिया। यही ज़ेहन में आकर एक ग़ज़ल बन गई :



                                                           हर सू  हरियाली छाई  है ,
                                                           अपनी जाँ पे बन आई है। 


                                                           औरों की सजती, महफ़िल है, 
                                                           एक  हम  पर ही तनहाई  है। 



                                                              उनके रौशन चाँद सितारे,
                                                              अपने हिस्से  रुसवाई  है।  

                                                               धोखा मत  खा जाना यारो, 
                                                               तन उजला, मन पर काई है। 

                                                               छोड़ें या अपनायें किसको,  
                                                               एक है कूआँ,  एक खाई है । 




                                                              दूल्हा  दुल्हन ना बाराती,
                                                               क्यों बाजा ना शहनाई है। 

                                                               शूगर का रोगी है खुद वो 
                                                               जो  पेशे  से  हलवाई  है। 
                                                           
                                                              ना समझे ना माने दिल की, 
                                                               क्यों  ऐसा  वो  हरजाई  है। 

                                                               रक्त का रंग है एक, मानो तो 
                                                               सब  ही आपस  में  भाई  हैं।


                                                               दिल जीते जो 'तारीफ़ों' से,
                                                               तो  खुशियों की भरपाई है। 

नोट :  ग़ज़ल में मात्रिक क्रम है - 22  22 22 22

41 comments:

  1. ...हर बात पे ताकूँ मैं तुझको,
    दिल मेरा सौदाई है !

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  2. शूगर का रोगी है खुद वो
    जो पेशे से हलवाई है।
    :) एक कटु यथार्थ , बहुत सुन्दर रचना है डा0 साहब !

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  3. रक्त का रंग है एक, मानो तो
    सब ही आपस में भाई हैं।,,,,बहुत खूब दराल साहब ,,,,

    RECENT POST शहीदों की याद में,

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  4. बहुत खूब है,
    मजा आ गया, हमें जो सुनायी है..

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  5. बहुत खूब कही है आप ने यह ग़ज़ल .

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  6. बढ़िया है हर पंक्ति में छुपी एक सच्चाई है :)

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  7. सच कहा है, सच लिखा है,
    गज़ल खूब बनाई है।

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  8. धोखा मत खा जाना यारो,
    तन उजला, मन पर काई है।
    क्या बात है ...बहुत खूब
    यह गज़ल है या सच्चाई है .

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  9. अरे वाह....
    एकदम U turn !!!

    बड़े दिनों बाद आपकी ग़ज़ल पढने मिली....
    तारीफों के पुल बाँधने को जा चाहता है..

    सादर
    अनु

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  10. सवाल पूछती चलती यह गजल 'मेरा घर छोड़ के कुल शहर में बरसात हुई ',परिवेश की झरबेरियों से सावधान भी करती है .


    औरों की सजती, महफ़िल है,
    एक हम पर ही तनहाई है। बढ़िया अशआर सन्देश देते से कुछ कहते से .शुक्रिया आपकी टिपण्णी का .हमारी ब्लॉग पोस्ट को मान्यता दिलवातीं हैं आपकी टिप्पणियाँ .

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  11. ना समझे ना माने दिल की,
    क्यों ऐसा वो हरजाई है।

    बहुत सुन्दर रचना है डा0 साहब !

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  12. चलो !आपके बाद ही सही
    अब सब की बारी आई है :D

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  13. यह मन्ज़र खूब रहा यारो,
    सब पर दीवानी छाई है । :)

    पसंद करने के लिए आप सबका आभार।

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  14. शूगर का रोगी है खुद वो
    जो पेशे से हलवाई है।

    इससे बुरा क्या होगा ...

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    1. सतीश जी , कभी मन में यह बेतुका सा सवाल आता था कि हलवाई के तो बड़े मज़े होते होंगे क्योंकि सारे दिन मिठाई जो खाता रहता होगा। :)

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    2. ऐसा कौन सा बच्चा होगा जिसे यह सपना न आया हो भाई जी ??

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  15. ये हलवाई का उदहारण बढ़िया उदहारण है. बेचारा.

    सुंदर गज़ल.

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  16. धोखा मत खा जाना यारो,
    तन उजला, मन पर काई है।
    बहुत खुबसूरत अभिव्यक्ति है .
    New postअनुभूति : चाल,चलन,चरित्र
    New post तुम ही हो दामिनी।

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  17. वाह अच्छी सिनर्जी है!

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  18. बेहतरीन पंक्तियाँ बनाई हैं .....

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  19. रक्त का रंग है एक, मानो तो
    सब ही आपस में भाई हैं।


    दिल जीते जो 'तारीफ़ों' से,
    तो खुशियों की भरपाई है।
    क्या कहने डॉ साहब आनंद आ गया ...

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  20. ये अब कविता है कि गजल ये पता नहीं चल सका..हां इतना तो है कि लिखी काफी अच्छी लाइने हैं

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    1. रोहित जी , एक ग़ज़ल में काफ़िया और रदीफ़ होते हैं , एक मतला होता है , एक मक्ता होता है। कम से कम 3- 5 अश'आर होते हैं। और मात्राओं का एक विशेष क्रम होता है। ये सभी इसमें हैं , इसलिए ग़ज़ल ही कहेंगे।
      अब इन सबका क्या अर्थ होता है , यह तो लम्बी कहानी है। :)

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  21. शानदार और असरदार गजल

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  22. वाह दाराल साहब बेहद खूबसूरत और मजेदार ग़ज़ल , हलवाई का हस्र देखकर कुछ और भी याद आया :
    ......
    दिल भी घायल उसका.... उनसे...
    बाई-पास करवाई है ....

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    1. वाह कुश्वंश जी . इसे यूँ भी कह सकते हैं :

      दिल का रोगी निकला जिससे
      दिल में तारें डलवाई हैं ।

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  23. शुक्रिया आपकी सद्य टिपण्णी का -


    जितने भी आसपास जाए ,हरजाई हैं ,

    सबके सब सेकुलर भाई हैं .

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  24. रक्त का रंग है एक, मानो तो
    सब ही आपस में भाई हैं ...

    मानो तो ... आपने सही कहा है पर इस बात को सब कहाँ मानते हैं आज ...
    लाजवाब शेर हैं सभी .. कुछ कुछ बोलते हैं ...

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  25. शूगर का रोगी है खुद वो
    जो पेशे से हलवाई है।

    वाह ..वाह .....वाह .....

    हम तो बस तारीफ की तारीफ किये जा रहे हैं .....

    ज जाने आपको ऐसे अल्फाज़ सूझते कहाँ से हैं .....

    बहुत खूब ...!!

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  26. दोष दें किसको अपनी किस्मत में ही रुसवाई है .बढ़िया प्रस्तुति डॉ साहब .

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  27. क्या तुक भिडाई है पेशे से डाक्टर हो पर लगता है की तुम भी हमारी जमात के भाई हो .....वाह ! वाह !वाह !

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  28. ek se badhkar ek moti piroye hai...sundar

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  29. शूगर का रोगी है खुद वो
    पेशे से हलवाई है।
    तुकबंदी के साथ तारीफ़ खुशियों का पैमाना , और क्या चाहिए एक ग़ज़ल होने को !

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  30. रक्त का रंग है एक, मानो तो
    सब ही आपस में भाई हैं।

    क्या बात है
    डॉ.तारीफ़ दराल भाई जी
    अच्छी ग़ज़ल कही है आपने , लेकिन हमारे लिए मुश्किल भी हो सकती है ...
    :)
    अब शायर साहब कहें आपको या डॉक्टर साहब
    हां , हम भी तारीफ़ की तारीफ़ किए जा रहे हैं ... ...



    बसंत पंचमी एवं
    आने वाले सभी उत्सवों-मंगलदिवसों के लिए
    हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !
    राजेन्द्र स्वर्णकार

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  31. हर सू हरियाली छाई है ,
    अपनी जाँ पे बन आई है।


    औरों की सजती, महफ़िल है,
    एक हम पर ही तनहाई है। bahut sunder rachana.

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