मेडिकल कॉलेज में हमारे बैच में सिर्फ लड़के थे , लड़की एक भी नहीं थी. अक्सर हम सबको यह बेइंसाफी सी लगती. ऐसे में लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज जो गर्ल्स कॉलेज था, हमारे बीच बहुत लोकप्रिय था. आज भी लेडी हार्डिंग का नाम आते ही सभी के चेहरे पर एक रौनक सी आ जाती है. प्रस्तुत है, इसी विषय पर एक हास्य कविता :
रिजल्ट देख कर ताऊ का दिल, गर्व से भर गया .
उसे अपने मेडिकल कॉलेज के दिन याद आ गए
जो दिल के सोए बरसों पुराने अरमान जगा गए .
बोला , अब तो काली कम्बली वाले को भेंट चढाऊंगा ,
और सोच लिया , छोरे को लेडी हार्डिंग में ही पढ़ाऊंगा .
ताऊ ने अपनी हीरो साईकल, एल एच की ओर दौड़ाई .
परन्तु गेट पर ही एक सुन्दर सी कन्या से जा टकराई .
लड़की ने अपनी बिखरी किताबें टटोली
फिर शरमाई सकुचाई सी धीरे से बोली .
ताऊ गेट देख कर नहीं पार सकते थे
कम से कम एक घंटी तो मार सकते थे .
ताऊ बोला सॉरी ,पर छोरी ईब के तेरी आरती उतारूँ .
अरै बावली, पूरी साइकिल मार दी, ईब घंटी अलग तै मारु .
लड़की यूँ तो लेडी हार्डिंग की छात्रा थी
पर वो भी पूरी हरियाणवी पात्रा थी .
बोली, शर्म नहीं आती बुड्ढे, कब्र में लटके हैं पैर,
और करने चले हैं साईकल पर सी पी की सैर.
ताऊ बोला, दो चार को तो अब भी चक्कर दे सकता हूँ .
मैं तो मल्लिका सहरावत से भी टक्कर ले सकता हूँ .
रिसेप्शन पर जाकर बोला, ये फॉर्म भरवाना है
लड़के को एम् बी बी एस में दाखिल करवाना है .
रिसेप्शनिस्ट बोली ताऊ ये फॉर्म नहीं भर सकते
ये तो गर्ल्स कॉलेज है ,यहाँ लड़के नहीं पढ़ सकते.
ताऊ बोला --
जब यु सी एम् एस में लड़कियां पढ़ सकती हैं
तो फिर एल एच में लड़कों पर क्यों सख्ती है .
माना के म्हारे हरियाणे में लड़कियों का अभाव है
लेकिन यहाँ तो सरासर लड़कों के साथ भेद भाव है .
अब तो मैं 52 गावों के खाप की पंचायत बुलाऊंगा
और यहीं खटोला बिछाकर अन्ना सा धरना लगाऊंगा .
लड़की ने समझाया , ताऊ
लड़के को यु सी एम् एस में भर्ती करा दे ,उसका भी बहुत नाम है .
हॉस्टल , केन्टीन , प्लेग्राउंड, लाइब्रेरी, सबका बढ़िया इंतजाम है .
ताऊ बोला पता है बेटी , वहां पढाई तो अच्छी करवाते हैं
लेकिन दीक्षांत समारोह अभी भी, उधार की जगह करवाते हैं .
आखिर ताऊ ने छोरा यु सी एम् एस में भर्ती करवाया
लेकिन जाते जाते छोरे को अच्छी तरह से समझाया .
बेटा एम् बी बी एस तो तू यु सी एम् एस से कर लेना
लेकिन एम् डी तो शर्तिया, लेडी हार्डिंग से ही करना .
बेशक पढाई में यु सी एम् एस का नहीं कोई सानी है
लेकिन डॉक्टर बहु तो मैंने लेडी हार्डिंग से ही लानी है .
प्रेम विवाह हो या आयोजित, कोई फर्क नहीं पड़ना।
पर एक विनती है आपसे, दहेज़ मांगकर मेरी
और मेरी उच्च शिक्षा का, बेडा गर्क नहीं करना।
एल एच एम् सी = लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज , दिल्ली .
:-)
ReplyDeleteअब लड़का लड़की बन कर ओलम्पिक में मेडल जीत लाता है तो ताऊ का बेटा भी लेडी हार्डिंग में पढ़ ही लेगा....इच्छाशक्ति हो बस.
मस्त कविता.
सादर
अनु
:) nice poem . bahut anand aaya padh kar , hasana- hansana bahut prayi si bimari hai ,
Deleteताऊ बोला सॉरी ,पर छोरी ईब के तेरी आरती उतारूँ .
ReplyDeleteअरै बावली, पूरी साइकिल मार दी, ईब घंटी अलग तै मारु .
बहुत जानदार :))
ताऊ ने तो यही करना है ...खुद के लिए ना मिली तो बहू ही सही !
ReplyDeleteवाह! आपने हमें भी याद दिलादिया कि सन '65 से '71 के बीच एल एच के अनेक चक्कर हमने भी काटे, क्यूंकि इस दौरान एक तो अपनी तीन बेटियाँ उसी अस्पताल में पैदा हुईं! और, इसे संयोग कहें या डिजाइन कि पत्नी की एक पुरानी सहपाठिन और प्रिय मित्र ने भी इस कॉलेज में पढ़ाई इसी दौरान की! इस प्रकार उसके कारण भी उन दिनों उसका हमारे घर आना, और हमारा ताऊ समान, किन्तु मोटर साइकिल में उधर आना जाना और भी अधिक हुवा!
ReplyDeleteजे सी जी , लेडी हार्डिंग हमें हमेशा लुभाता रहा है. :)
Deleteपर एक विनती है आपसे, दहेज़ मांगकर मेरी
ReplyDeleteऔर मेरी उच्च शिक्षा का, बेडा गर्क नहीं करना।
आखिर में सुन्दर संदेश देती हास्य रचना दिल को छू गयी
हास्य-व्यंग्य से भरी अच्छी रचना !
ReplyDeleteहास्य व्यंग्य में भी संदेश छिपा है .... बढ़िया रचना
ReplyDeleteबेशक पढाई में यु सी एम् एस का नहीं कोई सानी है
ReplyDeleteलेकिन डॉक्टर बहु तो मैंने लेडी हार्डिंग से ही लानी है...बढ़िया हास्यव्यंग,,,
recent post: बात न करो,
मैं तो ताऊ , अपना वाला समझा था ...
ReplyDelete:)
ताऊ तो ताऊ है , क्या अपना क्या पराया ! :)
Deleteवाह, बहुत खूब..
ReplyDeleteताऊ तो ताऊ ही ठहरा :)
ReplyDeleteपर लड़का होशियार सिंह है :)
ऐसे लड़कों की आजकल बहुत ज़रुरत है.
Deleteआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 06-12 -2012 को यहाँ भी है
ReplyDelete....
सफ़ेद चादर ..... डर मत मन ... आज की नयी पुरानी हलचल में ....संगीता स्वरूप
. .
हा हा ,मैंने तो यह सोचा था कि अपने ताऊ आपके किसी हस्पताल में आ पहुंचे -
ReplyDeleteचलो,ताऊ(चाहे बछिया के हों)हरियाणा के लड़के समझदार हो रहे हैं !
ReplyDeleteहा हा हा हाहा .......घनी मस्त बन पड़ी से कविता
ReplyDeleteएक सीख देती हास्य कविता
लड़कों के साथ यह बहुत ज्यादिती होरही है. आखिर लड़किओं के लिये अलग मेडिकल कालेज क्यों? ताऊ की परेशानी जायज़ है.
ReplyDeleteवैसे कविता बहुत उम्दा है.
क्या बात है आज तो ब्लोगिया ताऊ ने छक्का मारा है ,हास्य व्यंग्य को पुचकारा है .बेहतरीन तंज और लय ताल लिए है हसोड़ काव्य .हकीकत का दर्द भी हरयाना से गायब होती छोरियां और खाप की बड़ जोरियाँ जो प्रेम में पहरा बिठाए हैं यथा स्थिति बनाए हैं .एक प्रतिक्रया ब्लॉग पोस्ट :
ReplyDeletehttp://tsdaral.blogspot.in/2012/12/blog-post_5.html#comment-form
Wednesday, December 5, 2012
लेडी हार्डिंग में ताऊ
मेडिकल कॉलेज में हमारे बैच में सिर्फ लड़के थे , लड़की एक भी नहीं थी. अक्सर हम सबको यह बेइंसाफी सी लगती. ऐसे में लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज जो गर्ल्स कॉलेज था, हमारे बीच बहुत लोकप्रिय था. आज भी लेडी हार्डिंग का नाम आते ही सभी के चेहरे पर एक रौनक सी आ जाती है. प्रस्तुत है, इसी विषय पर एक हास्य कविता :
एक हरियाणवी ताऊ का छोरा, जब टॉप कर गया
रिजल्ट देख कर ताऊ का दिल, गर्व से भर गया .
उसे अपने मेडिकल कॉलेज के दिन याद आ गए
जो दिल के सोए बरसों पुराने अरमान जगा गए .
बोला , अब तो काली कम्बली वाले को भेंट चढाऊंगा ,
और सोच लिया , छोरे को लेडी हार्डिंग में ही पढ़ाऊंगा .
ताऊ ने अपनी हीरो साईकल, एल एच की ओर दौड़ाई .
परन्तु गेट पर ही एक सुन्दर सी कन्या से जा टकराई .
लड़की ने अपनी बिखरी किताबें टटोली
फिर शरमाई सकुचाई सी धीरे से बोली .
ताऊ गेट देख कर नहीं पार सकते थे
कम से कम एक घंटी तो मार सकते थे .
ताऊ बोला सॉरी ,पर छोरी ईब के तेरी आरती उतारूँ .
अरै बावली, पूरी साइकिल मार दी, ईब घंटी अलग तै मारु .
लड़की यूँ तो लेडी हार्डिंग की छात्रा थी
पर वो भी पूरी हरियाणवी पात्रा थी .
बोली, शर्म नहीं आती बुड्ढे, कब्र में लटके हैं पैर,
और करने चले हैं साईकल पर सी पी की सैर.
ताऊ बोला, दो चार को तो अब भी चक्कर दे सकता हूँ .
मैं तो मल्लिका सहरावत से भी टक्कर ले सकता हूँ .
रिसेप्शन पर जाकर बोला, ये फॉर्म भरवाना है
लड़के को एम् बी बी एस में दाखिल करवाना है .
रिसेप्शनिस्ट बोली ताऊ ये फॉर्म नहीं भर सकते
ये तो गर्ल्स कॉलेज है ,यहाँ लड़के नहीं पढ़ सकते.
ताऊ बोला --
जब यु सी एम् एस में लड़कियां पढ़ सकती हैं
तो फिर एल एच में लड़कों पर क्यों सख्ती है .
माना के म्हारे हरियाणे में लड़कियों का अभाव है
लेकिन यहाँ तो सरासर लड़कों के साथ भेद भाव है .
अब तो मैं 52 गावों के खाप की पंचायत बुलाऊंगा
और यहीं खटोला बिछाकर अन्ना सा धरना लगाऊंगा .
लड़की ने समझाया , ताऊ
लड़के को यु सी एम् एस में भर्ती करा दे ,उसका भी बहुत नाम है .
हॉस्टल , केन्टीन , प्लेग्राउंड, लाइब्रेरी, सबका बढ़िया इंतजाम है .
ताऊ बोला पता है बेटी , वहां पढाई तो अच्छी करवाते हैं
लेकिन दीक्षांत समारोह अभी भी, उधार की जगह करवाते हैं .
आखिर ताऊ ने छोरा यु सी एम् एस में भर्ती करवाया
लेकिन जाते जाते छोरे को अच्छी तरह से समझाया .
बेटा एम् बी बी एस तो तू यु सी एम् एस से कर लेना
लेकिन एम् डी तो शर्तिया, लेडी हार्डिंग से ही करना .
बेशक पढाई में यु सी एम् एस का नहीं कोई सानी है
लेकिन डॉक्टर बहु तो मैंने लेडी हार्डिंग से ही लानी है .
छोरा बोला बापू , बहु डॉक्टर हो या इन्जीनियर
प्रेम विवाह हो या आयोजित, कोई फर्क नहीं पड़ना।
पर एक विनती है आपसे, दहेज़ मांगकर मेरी
और मेरी उच्च शिक्षा का, बेडा गर्क नहीं करना।
नोट : यु सी एम् एस = यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ़ मेडिकल साइंसिज
एल एच एम् सी = लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज , दिल्ली .
Posted by डॉ टी एस दराल at 8:00 AM
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Labels: इन्जीनियर, एल एच एम् सी, डॉक्टर, दहेज़, यु सी एम् एस, हास्य कविता
:)बहुत ही बढ़िया मज़ेदार व्यगात्मक प्रस्तुति....
ReplyDeleteआनंद आ गया सर जी बहुत ही मजेदार
ReplyDelete"पूरी साइकिल मार दी, ईब घंटी अलग तै मारु". छा गए आप तो
ReplyDeleteपहले लेडिज और गर्ल्स कालेज का बहुत नाम हुआ करता था ...अभिभावक लड़की को सिर्फ गर्ल्स कालेज में ही पढने भेजा करते थे ...लड़के वहां चक्कर लगाते फिरते थे की कोई लड़की फसे ...पर आजकल वो बात नहीं रही....
ReplyDeleteबहुत मस्त है जी।
ReplyDeleteहास्य व्यंग्य में भी बढ़िया संदेश ....
ReplyDeleteमज़ा आ गया इस मधुर हास्य को पढ़ के ... कई दिनों बाद हंसी की फुहार पढ़ने को मिले ... शुक्रिया ...
ReplyDeleteआपने हँसना शुरू किया , अच्छा लगा।
Deleteअच्छा ही हुआ जो ताऊ लेडी होर्डिंग तक पहुंच गया.:)बहुत शानदार लिखा आपने.
ReplyDeleteरामराम.
ईश्वर करे आपको एल एच एम सी से इस कविता को सस्वर पढ़ने का निमंत्रण मिले और आप बची खुची हसरतें पूरी कर सकें। :)
ReplyDeleteपहले यु सी एम् एस में सुना लें . :)
Deleteबेहतरीन हास्य के साथ एक उत्तम संदेश भी...जिओ ताऊ!!! :)
ReplyDeleteस्वागत है .
Deleteइब ये ताऊ कदै बाहर आयेगा भी कै नहीं ?शुक्रिया आपकी सांगीतिक अर्थ पूर्ण टिपण्णी के लिए जो हमारे लिए किसी आशीष से कमतर नहीं है .
ReplyDeleteआपके कई सारे पोस्ट पढ़े पर कभी टिपण्णी नहीं कर पाया. आज ये कहना चाहता हूँ की बहुत अच्छा लगा आपका ब्लॉग. आमोद-प्रमोद के साथ बहुत गहराई में ले जाते हैं और ज्ञानवर्धक बातें कह देते है.
ReplyDeleteआदर सहित,
निहार
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 03 अगस्त 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteवाह !!!
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