बहुत दिनों से अपनी सोसायटी के निवासियों के लिए एक स्वास्थ्य शिविर का आयोजन करने का विचार था। इस रविवार आखिर यह संभव हो ही गया जब फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल के सहयोग से हमने एक हार्ट चेकअप कैम्प का आयोजन किया। इस कैम्प में 100 से ज्यादा लोगों का मुफ्त चेकअप किया गया। शिविर में बी पी , ब्लड सुगर , ई सी जी, पी ऍफ़ टी, और बी एम् डी टेस्ट किये गए।
मुख्य द्वार से प्रवेश करते ही सामने है यह मंदिर , हरियाली में घिरा हुआ। यहाँ रोज शाम को भक्तजनों के लिए भगवान के दर्शन हेतु मंदिर के द्वार खोले जाते हैं। यह स्थान महिलाओं विशेषकर वृद्धों के लिए एक अच्छा मिलन स्थान भी है जहाँ वृद्ध महिलाएं शाम को शांत वातावरण में बैठकर कुछ चैन की सांसें ले लेती हैं .
मंदिर के पीछे एक बहुत बड़ा पार्क है जिसे बड़ी मेहनत और श्रद्धा से हरा भरा बनाया गया है। इस पार्क में करीब 1000 पेड़ पौधे लगाये गए हैं , जिसका श्रेय जाता है सोसायटी के उपाध्यक्ष श्री एम् एन डुडेजा जी को। पर्यावरण की सुरक्षा के लिए हमारे निवासी कटिबद्ध है।
हमने कैम्प का आयोजन किया एक ब्लॉक के नीचे पार्किंग जगह पर जिसे खाली करा दिया गया था।
ठीक दस बजे सब तैयारियां हो चुकी थी।
रविवार के दिन लोगों को आराम से उठने की आदत होती है। एक एक कर लोग आते रहे और चेकअप करवाते रहे।
अपनी बारी का इंतजार करते हुए। पीछे बैठे हैं अस्थि रोग विशेषज्ञ।
खान पान सम्बन्धी जानकारी देने के लिए डाईटीसीयन उपलब्ध थीं। शहरों में मोटापे से ग्रस्त लोगों की संख्या बहुत होती है। शायद इसीलिए सबसे ज्यादा व्यस्त ये ही रहीं।
बारह बजे के बाद भीड़ काफी बढ़ गई थी। कारडियोलोजिस्ट्स ने सभी के टेस्ट की रिपोर्ट देखकर उसी समय परामर्श देते हुए अपना कार्य पूर्ण किया।
अंत में सारे स्टाफ को खाना खिलाकर हमने भी विदा ली। और इस तरह यह कार्य सम्पूर्ण हुआ।
कैम्प का आयोजन रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री नीरज चुग के सौजन्य से हुआ।
क्यों आवश्यक होते हैं इस तरह के कैम्प्स ?
बचाव में ही सुरक्षा है . ब्लड प्रेशर , मधुमेह और हृदय रोग जैसे घातक रोग जो पहले ५०-६० वर्ष की आयु के बाद होते थे , आजकल बदलती जीवन शैली के कारण २०-२५ वर्ष की आयु में भी होने लगे हैं. इनका निदान जितना जल्दी हो जाये , विकारों की सम्भावना उतनी ही कम हो जाती है. इन कैम्पों में स्थानीय निवासियों को घर बैठे ही सभी टेस्ट और सलाह मुफ्त उपलब्ध हो जाती है. इसलिए अक्सर लोग इनका पूरा फायदा उठाते हैं
बी एम् डी यानि बॉन मिनरल डेंसिटी -- यह एक ऐसा टेस्ट है जो हमारी हड्डियों में मौजूद कैल्सियम आदि खनिज पदार्थों की कमी के बारे में बताता है. हड्डियों में मजबूती इनमे मौजूद कैल्सियम और फोस्फोरस के मिश्रण की वज़ह से होती है. उम्र के साथ साथ ये खनिज पदार्थ स्वत: कम होने लगते हैं जिससे हड्डियाँ कमज़ोर हो जाती हैं और टूटने की सम्भावना बढ़ जाती है. आम तौर पर यह स्थिति महिलाओं में ६५ और पुरुषों में ७० वर्ष के बाद देखने को मिलती है.
लेकिन कुछ परिस्तिथियों में यह प्रक्रिया उम्र से पहले ही शुरू हो जाती है जैसे पूर्व में हुआ फ्रक्चर , रयुमेटोइड आरथ्राईटिस , हाइपरपैराथायरायडिज्म , सटीरोइड दवाओं का सेवन और वज़न का अत्यधिक कम होना. इन हालातों में कम उम्र में भी हड्डी कमज़ोर होने की वज़ह से फ्रक्चर हो सकते हैं.
इस टेस्ट को करने का सबसे सस्ता और आसान तरीका है -- अल्ट्रासाउंड . हालाँकि एक्स-रे आधारित कई टेस्ट हैं जो बेहतर परिणाम देते हैं. इस टेस्ट के द्वारा हम व्यक्ति की हड्डी के मिनरल कंटेंट का जायज़ा लेते हैं. इसे टी और जेड स्कोर द्वारा प्रदर्शित किया जाता है. टी स्कोर में आपकी हड्डी की ३० वर्ष के व्यक्ति की हड्डी से तुलना की जाती है और जेड स्कोर में सामान आयु के लोगों की तुलना की जाती है. ५० वर्ष की आयु से ऊपर वालों के लिए टी स्कोर लिया जाता है .
परिणाम :
स्कोर : -१ .० से ज्यादा = सामान्य
- १.० से -२.५ = ओस्टियोपिनिया
- २.५ से या कम = ओस्टियोपोरोसिस
ओस्टियोपिनिया : का अर्थ है , आपकी हड्डियों में कैल्सियम की कमी शुरू हो चुकी है. यदि अभी से सावधानी नहीं बरती गई तो आगे चलकर समस्या खड़ी हो सकती है। लेकिन घबराने की ज़रुरत नहीं . रोज सुबह शाम सैर करने , कसरत करने और जीवन शैली में परिवर्तन करने से इसे रोका जा सकता है. यदि धूम्रपान करते हैं तो बंद कर दीजिये. यदि हड्डियों में दर्द लगे तो एक गोली कैल्सियम एक दिन छोड़कर लेने से आराम मिलेगा.
ओस्टियोपोरोसिस :
यह असली समस्या है जिसमे हड्डियाँ इतनी कमज़ोर हो जाती हैं की ज़रा सी चोट से भी टूट सकती हैं . बुढ़ापे में अक्सर बाथरूम में फिसलकर कूल्हे की हड्डी टूट जाती है जिसका इलाज बड़ा कष्टदायी होता है. इसका इलाज लम्बा और मुश्किल भी होता है. हालाँकि कैल्सियम और विटामिन डी लेने से आराम मिलता है लेकिन और भी कई दवाओं का सेवन करना पड़ता है. यह इलाज डॉक्टर की देख रेख में ही हो सकता है.
एक पते की बात : उपरोक्त सभी समस्याओं से काफी हद तक बचा सकता है -- रोजाना ३-४ किलोमीटर पैदल चलकर . शहरी जिंदगी में सब कुछ ज्यादा होता है लेकिन पैदल चलना कम से कम होता है . इसीलिए अनेकों विकार उत्पन्न होने लगते हैं .साथ ही दूध और धूप का सेवन ज़रूर करें . दूध से कैल्सियम और धूप से विटामिन डी भरपूर मात्रा में मिलता है.
नोट : अब अगली बार लोगों की फरमाईश पर नेत्र और ई एन टी कैम्प का आयोजन किया जायेगा।
अभी हमारे यहाँ सबका चेक अप हुआ था, बहुतों की आँखें खुल गयीं।
ReplyDeleteहमारी भी आँखें खुल गयीं.....
ReplyDeleteआभार !
नेक कार्य के लिए धन्यवाद ! वैसे अपनी तो सरजी भगवान् से एक ही गुजारिश रहती है की किसी चिकित्सक का साया भी अपने ऊपर न पड़ने पाए :)
ReplyDeleteसमय रहते सचेत हो जाएँ तो बेहतर ..... इसके लिए नियमित स्वास्थ्य जाँच सच में बहुत ज़रूरी है .
ReplyDelete...हम भी जल्द आँखें खोलते हैं !!
ReplyDeleteदेर करो न जाँच कराओ ,पता लगे क्या बीमारी है
ReplyDeleteजल्दी से इलाज करवाओ ,अपनी जान जो प्यारी है,,,,,,
RECENT POST:..........सागर
सराहनीय कार्य .... साथ ही बहुत उपयोगी जानकारी भी मिली ...
ReplyDeleteये बेहद प्रसंशनीय कार्य करते हैं आप लोग.ऐसे शिविर से बहुत से लोगों में सेहत के प्रति जागरूकता आती है.
ReplyDeleteबढ़िया पोस्ट.....प्रशंसनीय काम...
ReplyDeleteअकसर लोग अनदेखा करते हैं अपने स्वास्थ को..विशेषकर महिलायें...
मुझे भी कराना है अपना बोन डेंसिटी टेस्ट :-)
शुक्रिया सर
अनु
अच्छे कार्य और अच्छी जानकारी के लिए ....
ReplyDeleteआभार!
हम्म..एक मोटी बात सभी को गाँठ बाँध लेनी चाहिए कि मार्निंग वॉक से बहुत से रोग दूर होते हैं। हाथ में कैमरा भी हो तो मन भी चंगा रहेगा। :)
ReplyDeleteलेकिन ध्यान वॉक में होना चाहिए, कैमरे में नहीं. :)
Deleteबहुत बढ़िया जानकारी और सभी को स्वास्थ्य के प्रति सचेत करने के लिये शुक्रिया.
ReplyDeleteस्वास्थ गया सब कुछ गया अच्छी जानकारी के लिए आभार!
ReplyDeleteआपको और आपकी टीम को बहुत बहुत साधुवाद ... इस सार्थक पोस्ट के लिए आभार !
ReplyDeleteएक खबर जो शायद खबर न बनी - ब्लॉग बुलेटिन आज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 08 - 11 -2012 को यहाँ भी है
ReplyDelete.... आज की नयी पुरानी हलचल में ....
सच ही तो है .... खूँटे से बंधी आज़ादी ..... नयी - पुरानी हलचल .... .
प्रशंसनीय कार्य एवं सुझाव !
ReplyDelete"जब तक जान है, जहान है", को सार्थक करता प्रशंसनीय प्रयास एवं उपयोगी सुझाव डॉक्टर तारीफ जी, धन्यवाद!
ReplyDeleteकहावत है, "स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन होता है"!
किन्तु यह भी सत्य है कि मन चंचल है और (दशरथ समान?) नियंत्रण में न हो (दशानन समान हो?) तो नदी जल समान पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के कारण नीचे/ अपने मूल स्रोत खारे सागर जल की ओर ही बहता है - पतंग/ बादल समान आकाश में ऊपर जाने के लिए पंचतत्वों/ वायु का सहयोग भी आवश्यक होता है!
चंचल मन को वश में करना -- सात्विकी की ओर पहला कदम है.
Deleteसत्य वचन डॉक्टर तारीफ जी!
Delete"सत्यम शिवम सुन्दरम"! एवं "सत्यमेव जयते"!
सम्पूर्ण साकार ब्रह्माण्ड का सार (सत्व), अर्थात प्रतिरूप , गंगाधर शिव अर्थात पृथ्वी को ही अनंत पाया हमारे पूर्वजों ने!!! और इस लिए इसे ब्रह्माण्ड के केंद्र में भारतीय खगोलशास्त्रियों द्वारा दर्शाया जाता आया था!!!
सर ,
ReplyDeleteआपके बारे में रश्मि जी के ब्लॉग पर पढ़ा था तभी से आपसे प्रभावित था बस कुछ कारणों से ब्लॉग पर नहीं आ पाया |
केम्प के बारे में अच्छे से लिखा है आपने , मैंने भी अपने कॉलेज में रक्तदान शिविर आयोजित करवाया था , थकान होती है लेकिन अच्छा लगता है |
सादर
आकाश चिंता न करें . रक्तदान से कमजोरी नहीं आती . आप हर वर्ष शिविर का आयोजन करते रहें . बढ़िया प्रयास है.
Deleteबहुत अच्छी जानकारी ! आभार !
ReplyDeleteआपका कहना बिल्कुल सही है...समय से पहले ही रोग का शिकार होने से बचा जा सकता है..इसके लिए हम सभी को कम से कम वर्ष में एक बार Complete Health Checkup ज़रूर करवाना चाहिए...!
नहीं तो अक्सर... साठ / सत्तर की उम्र में, जिसे कहा जाता है.. कि "गिरने से हड्डी टूट गयी" ...वो 'असलियत' में "हड्डी टूटने से गिरना" होता है...
~सादर !
जी , बिल्कुल सही फ़रमाया आपने. शुक्रिया.
Deletebahut hi upayogi janakari di hai abhar..
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