top hindi blogs

Wednesday, November 7, 2012

नियमित स्वास्थ्य जाँच बहुत आवश्यक होती है ---


बहुत दिनों से अपनी सोसायटी के निवासियों के लिए एक स्वास्थ्य शिविर का आयोजन करने का विचार था। इस रविवार आखिर यह संभव हो ही गया जब फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल के सहयोग से हमने एक हार्ट चेकअप कैम्प का आयोजन किया। इस कैम्प में 100 से ज्यादा लोगों का मुफ्त चेकअप किया गया। शिविर में बी पी , ब्लड सुगर , ई सी जी, पी ऍफ़ टी, और बी एम् डी टेस्ट किये गए।   





मुख्य द्वार से प्रवेश करते ही सामने है यह मंदिर , हरियाली में घिरा हुआ। यहाँ रोज शाम को भक्तजनों के लिए भगवान के दर्शन हेतु मंदिर के द्वार खोले जाते हैं। यह स्थान महिलाओं विशेषकर वृद्धों के लिए एक अच्छा मिलन स्थान भी है जहाँ वृद्ध महिलाएं शाम को शांत वातावरण में बैठकर कुछ चैन की सांसें ले लेती हैं . 




मंदिर के पीछे एक बहुत बड़ा पार्क है जिसे बड़ी मेहनत और श्रद्धा से हरा भरा बनाया गया है। इस पार्क में करीब 1000 पेड़ पौधे लगाये गए हैं , जिसका श्रेय जाता है सोसायटी के उपाध्यक्ष श्री एम् एन डुडेजा जी को। पर्यावरण की सुरक्षा के लिए हमारे निवासी कटिबद्ध है।  




हमने  कैम्प का आयोजन किया एक ब्लॉक के नीचे पार्किंग जगह पर जिसे खाली करा दिया गया था।  





ठीक दस बजे सब तैयारियां हो चुकी थी। 



रविवार के दिन लोगों को आराम से उठने की आदत होती है। एक एक कर लोग आते रहे और चेकअप करवाते रहे।   


अपनी बारी का इंतजार करते हुए। पीछे बैठे हैं अस्थि रोग विशेषज्ञ।  




खान पान सम्बन्धी जानकारी देने के लिए डाईटीसीयन उपलब्ध थीं।  शहरों में मोटापे से ग्रस्त लोगों की संख्या बहुत होती है। शायद इसीलिए सबसे ज्यादा व्यस्त ये ही रहीं।   





बारह बजे के बाद भीड़ काफी बढ़ गई थी। कारडियोलोजिस्ट्स ने सभी के टेस्ट की रिपोर्ट देखकर उसी समय परामर्श देते हुए अपना कार्य पूर्ण किया। 


अंत में सारे स्टाफ को खाना खिलाकर हमने भी विदा ली। और इस तरह यह कार्य सम्पूर्ण हुआ। 

कैम्प का आयोजन रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री नीरज चुग के सौजन्य से हुआ।  


क्यों आवश्यक होते हैं इस तरह के कैम्प्स ? 

बचाव में ही सुरक्षा है . ब्लड प्रेशर , मधुमेह और  हृदय रोग जैसे घातक रोग जो पहले ५०-६० वर्ष की आयु  के बाद होते थे , आजकल बदलती जीवन  शैली के कारण २०-२५ वर्ष की आयु  में भी होने लगे हैं. इनका निदान जितना जल्दी हो जाये , विकारों की सम्भावना उतनी ही कम हो जाती है. इन कैम्पों में स्थानीय निवासियों को घर बैठे ही सभी टेस्ट और सलाह मुफ्त उपलब्ध हो जाती है. इसलिए अक्सर लोग इनका पूरा फायदा उठाते हैं 

आज बात करते  हैं बी एम् डी के बारे में : 

बी एम् डी यानि बॉन मिनरल डेंसिटी -- यह एक ऐसा टेस्ट है जो हमारी हड्डियों में मौजूद कैल्सियम आदि खनिज पदार्थों की कमी के बारे में बताता है. हड्डियों में मजबूती इनमे मौजूद कैल्सियम और फोस्फोरस के मिश्रण की वज़ह से होती है. उम्र के साथ साथ ये खनिज पदार्थ स्वत: कम होने लगते हैं जिससे हड्डियाँ कमज़ोर हो जाती हैं और टूटने की सम्भावना बढ़ जाती है. आम तौर पर यह स्थिति  महिलाओं में ६५ और पुरुषों में ७० वर्ष के बाद देखने को मिलती है. 

 लेकिन कुछ परिस्तिथियों में यह प्रक्रिया उम्र से पहले ही शुरू हो जाती है जैसे पूर्व में हुआ फ्रक्चर , रयुमेटोइड आरथ्राईटिस , हाइपरपैराथायरायडिज्म , सटीरोइड दवाओं का सेवन और वज़न का अत्यधिक कम होना. इन हालातों में कम उम्र में भी हड्डी कमज़ोर होने की  वज़ह से फ्रक्चर हो सकते हैं. 

इस टेस्ट को करने का सबसे सस्ता और आसान तरीका है -- अल्ट्रासाउंड . हालाँकि एक्स-रे आधारित कई टेस्ट हैं जो बेहतर परिणाम देते हैं. इस टेस्ट के द्वारा हम व्यक्ति की हड्डी के मिनरल कंटेंट का जायज़ा लेते हैं. इसे  टी  और जेड स्कोर द्वारा प्रदर्शित किया जाता है. टी स्कोर में आपकी हड्डी की ३० वर्ष के व्यक्ति की हड्डी से तुलना की जाती है और जेड स्कोर में सामान आयु के लोगों की तुलना की जाती है. ५० वर्ष की आयु से ऊपर वालों के लिए टी स्कोर लिया जाता है . 

परिणाम : 

स्कोर :        -१ .० से ज्यादा    =   सामान्य  
                  - १.० से -२.५       =  ओस्टियोपिनिया       
                  - २.५ से या कम  =  ओस्टियोपोरोसिस     

ओस्टियोपिनिया :  का अर्थ है , आपकी हड्डियों में कैल्सियम की कमी शुरू हो चुकी है. यदि अभी से सावधानी नहीं बरती गई तो आगे चलकर समस्या खड़ी हो सकती है।  लेकिन घबराने की ज़रुरत नहीं . रोज सुबह शाम सैर करने , कसरत करने और जीवन शैली में परिवर्तन करने से इसे रोका जा सकता है. यदि धूम्रपान करते हैं तो बंद कर दीजिये.  यदि हड्डियों में दर्द लगे तो एक गोली  कैल्सियम एक दिन छोड़कर लेने से आराम मिलेगा.  

ओस्टियोपोरोसिस : 

यह असली समस्या है जिसमे  हड्डियाँ इतनी कमज़ोर हो जाती हैं की ज़रा सी चोट से भी टूट सकती हैं . बुढ़ापे में अक्सर बाथरूम में फिसलकर कूल्हे की हड्डी टूट जाती है जिसका इलाज बड़ा कष्टदायी होता है. इसका इलाज लम्बा और मुश्किल भी होता है. हालाँकि कैल्सियम और विटामिन डी लेने से आराम मिलता है लेकिन और भी कई दवाओं का सेवन करना पड़ता है. यह इलाज डॉक्टर की देख रेख में ही हो सकता है. 

एक पते की बात : उपरोक्त सभी समस्याओं से काफी हद तक बचा सकता है -- रोजाना ३-४ किलोमीटर पैदल चलकर . शहरी जिंदगी में सब कुछ ज्यादा होता है लेकिन पैदल चलना कम से कम होता है . इसीलिए अनेकों विकार उत्पन्न होने लगते हैं .साथ ही दूध और धूप का सेवन ज़रूर करें . दूध से कैल्सियम और धूप से विटामिन डी भरपूर मात्रा में मिलता है.  



नोट : अब अगली बार लोगों की फरमाईश पर नेत्र और ई एन टी कैम्प का आयोजन किया जायेगा। 



25 comments:

  1. अभी हमारे यहाँ सबका चेक अप हुआ था, बहुतों की आँखें खुल गयीं।

    ReplyDelete
  2. हमारी भी आँखें खुल गयीं.....
    आभार !

    ReplyDelete
  3. नेक कार्य के लिए धन्यवाद ! वैसे अपनी तो सरजी भगवान् से एक ही गुजारिश रहती है की किसी चिकित्सक का साया भी अपने ऊपर न पड़ने पाए :)

    ReplyDelete
  4. समय रहते सचेत हो जाएँ तो बेहतर ..... इसके लिए नियमित स्वास्थ्य जाँच सच में बहुत ज़रूरी है .

    ReplyDelete
  5. ...हम भी जल्द आँखें खोलते हैं !!

    ReplyDelete
  6. देर करो न जाँच कराओ ,पता लगे क्या बीमारी है
    जल्दी से इलाज करवाओ ,अपनी जान जो प्यारी है,,,,,,

    RECENT POST:..........सागर

    ReplyDelete
  7. सराहनीय कार्य .... साथ ही बहुत उपयोगी जानकारी भी मिली ...

    ReplyDelete
  8. ये बेहद प्रसंशनीय कार्य करते हैं आप लोग.ऐसे शिविर से बहुत से लोगों में सेहत के प्रति जागरूकता आती है.

    ReplyDelete
  9. बढ़िया पोस्ट.....प्रशंसनीय काम...
    अकसर लोग अनदेखा करते हैं अपने स्वास्थ को..विशेषकर महिलायें...
    मुझे भी कराना है अपना बोन डेंसिटी टेस्ट :-)

    शुक्रिया सर
    अनु

    ReplyDelete
  10. अच्छे कार्य और अच्छी जानकारी के लिए ....
    आभार!

    ReplyDelete
  11. हम्म..एक मोटी बात सभी को गाँठ बाँध लेनी चाहिए कि मार्निंग वॉक से बहुत से रोग दूर होते हैं। हाथ में कैमरा भी हो तो मन भी चंगा रहेगा। :)

    ReplyDelete
    Replies
    1. लेकिन ध्यान वॉक में होना चाहिए, कैमरे में नहीं. :)

      Delete
  12. बहुत बढ़िया जानकारी और सभी को स्वास्थ्य के प्रति सचेत करने के लिये शुक्रिया.

    ReplyDelete
  13. स्वास्थ गया सब कुछ गया अच्छी जानकारी के लिए आभार!

    ReplyDelete
  14. आपको और आपकी टीम को बहुत बहुत साधुवाद ... इस सार्थक पोस्ट के लिए आभार !


    एक खबर जो शायद खबर न बनी - ब्लॉग बुलेटिन आज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

    ReplyDelete
  15. प्रशंसनीय कार्य एवं सुझाव !

    ReplyDelete
  16. "जब तक जान है, जहान है", को सार्थक करता प्रशंसनीय प्रयास एवं उपयोगी सुझाव डॉक्टर तारीफ जी, धन्यवाद!
    कहावत है, "स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन होता है"!
    किन्तु यह भी सत्य है कि मन चंचल है और (दशरथ समान?) नियंत्रण में न हो (दशानन समान हो?) तो नदी जल समान पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के कारण नीचे/ अपने मूल स्रोत खारे सागर जल की ओर ही बहता है - पतंग/ बादल समान आकाश में ऊपर जाने के लिए पंचतत्वों/ वायु का सहयोग भी आवश्यक होता है!

    ReplyDelete
    Replies
    1. चंचल मन को वश में करना -- सात्विकी की ओर पहला कदम है.

      Delete
    2. सत्य वचन डॉक्टर तारीफ जी!
      "सत्यम शिवम सुन्दरम"! एवं "सत्यमेव जयते"!
      सम्पूर्ण साकार ब्रह्माण्ड का सार (सत्व), अर्थात प्रतिरूप , गंगाधर शिव अर्थात पृथ्वी को ही अनंत पाया हमारे पूर्वजों ने!!! और इस लिए इसे ब्रह्माण्ड के केंद्र में भारतीय खगोलशास्त्रियों द्वारा दर्शाया जाता आया था!!!

      Delete
  17. सर ,
    आपके बारे में रश्मि जी के ब्लॉग पर पढ़ा था तभी से आपसे प्रभावित था बस कुछ कारणों से ब्लॉग पर नहीं आ पाया |
    केम्प के बारे में अच्छे से लिखा है आपने , मैंने भी अपने कॉलेज में रक्तदान शिविर आयोजित करवाया था , थकान होती है लेकिन अच्छा लगता है |

    सादर

    ReplyDelete
    Replies
    1. आकाश चिंता न करें . रक्तदान से कमजोरी नहीं आती . आप हर वर्ष शिविर का आयोजन करते रहें . बढ़िया प्रयास है.

      Delete
  18. बहुत अच्छी जानकारी ! आभार !
    आपका कहना बिल्कुल सही है...समय से पहले ही रोग का शिकार होने से बचा जा सकता है..इसके लिए हम सभी को कम से कम वर्ष में एक बार Complete Health Checkup ज़रूर करवाना चाहिए...!
    नहीं तो अक्सर... साठ / सत्तर की उम्र में, जिसे कहा जाता है.. कि "गिरने से हड्डी टूट गयी" ...वो 'असलियत' में "हड्डी टूटने से गिरना" होता है...
    ~सादर !

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी , बिल्कुल सही फ़रमाया आपने. शुक्रिया.

      Delete
  19. bahut hi upayogi janakari di hai abhar..

    ReplyDelete