आम आदमी तो आम ही होता है लेकिन उसकी पसंद और पहुँच खास ( विशेष ) वस्तुओं तक ही सीमित होती है . हालाँकि जो वस्तु खास लोगों के लिए आम होती है , वही आम लोगों के लिए खास होती है . यदि ड्राई फ्रूट्स को देखें तो आम आदमी के लिए मूंगफली ही मेवे का काम करती है . काजू , बादाम , किसमिस और अखरोट आदि भला आम आदमी की किस्मत में कहाँ .
लेकिन क्या हुआ यदि आप इन मेवों से वंचित रहते हैं . मूंगफली यानि पीनट्स भी तो एक मेवा ही है . और देखिये कितने गुण समाये हैं इस आम आदमी के मेवे में :
पोषक तत्व :
मूंगफली में 25 % प्रोटीन होती है जो सब मेवों में सबसे ज्यादा है . साथ में करीब २० % कार्बोहाइड्रेट और ४८ % फैट होता है . इसलिए मूंगफली से ऊर्जा अत्यधिक मात्रा में मिलती है जो ५७० केल्रिज प्रति १०० ग्राम होती है . ज़ाहिर है , इसे कम मात्रा में ही खाया जा सकता है .
विटामिन और खनिज पदार्थ :
विटामिन बी कॉम्प्लेक्स , सी , फोलेट और लोह तत्व , मैग्निसियम , पोटासियम, फोस्फोरस, कैल्सियम और जिंक काफी मात्रा में मिलते हैं .
एंटीऑक्सीडेंट्स :
प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं जो शरीर को निरोग बनाये रखने में सहायक सिद्ध होते हैं .
उपयोग:
* मूंगफली में प्रोटीन और केल्रिज भरपूर होने के कारण यह बच्चों , गर्भवती महिलाओं और दूध पिलाती माताओं के लिए सर्वोत्तम आहार है . इससे इन में रक्त की कमी नहीं होती और प्रतिदिन की ज़रुरत पूरी होती है .
* मूंगफली के तेल में मोनो और पॉली अनसेचुरेटेड फैट की मात्रा अधिक होती है . इसलिए यह कॉलेस्ट्रोल को कम रखता है . इसलिए हृदय रोगियों के लिए भी उपयुक्त रहता है।
* इसमें फाईबर की मात्रा अधिक होने से पेट के लिए सही रहता है और कब्ज़ को दूर रखने में सहायक है।
* इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और अन्य प्रतिरोधक पदार्थ कैंसर और हृदय रोग जैसे घातक रोगों से बचाव करते हैं .
अत : मूंगफली बच्चों , बड़ों और महिलाओं सभी के लिए एक बढ़िया और स्वास्थ्यवर्धक आहार है। विशेषकर सर्दियों में इससे मिलने वाली ऊर्जा हमें भरपूर स्वाद के साथ शक्ति भी प्रदान करती है। गुड़ और मूंगफली से बनी पट्टी न सिर्फ खाने में मज़ा आता है , बल्कि स्वस्थ जीवन के लिए भी लाभकारी है।
मूंगफली को सर्दियों में गर्मागर्म खाने में बड़ा आनंद आता है . यह अलग बात है कि छिलके फेंककर हम सड़कों पर गन्दगी ज़रूर फैलाते हैं . मूंगफली की गीरी पूरे वर्ष पैकेट बंद मिलती है . हालाँकि नमक वाली या तली हुई मूंगफली बी पी के रोगियों को कम ही खानी चाहिए . इसके अलावा पीनटबटर के रूप में भी टोस्ट पर लगा कर खाया जा सकता है। मूंगफली की पट्टी के तो क्या कहने , खाने में भी स्वाद और शक्तिवर्धक भी।
अंत में : पीने वालों को भी पीनट्स चबाने से पीने का मज़ा और भी बढ़ जाता है।
नोट: मूंगफली से कुछ लोगों को एलर्जी हो सकती है। यह एलर्जी प्रोटीन से होती है। ऐसे में नहीं खाना चाहिए। इसके अलावा इससे कुछ लोगों को थायरोय्ड सम्बंधित रोग भी हो सकता है। हालाँकि यह रिस्क न के बराबर होता है .
मूंगफली महात्म्य -मुझे पसंद है !
ReplyDeleteमुझे बहुत पसंद है....।
ReplyDeleteमूंगफली पर लाभदायक जानकारी के लिए धन्यवाद!
ReplyDeleteभगवान् ने हरेक वस्तु और प्राणी को विभिन्न गुण प्रदान कर उन्हें किसी न किसी के लिए कभी न कभी उपयोगी बनाया है, तो साथ साथ उनमें कुछ अवगुण भी दिए हैं, जिनको यदि जानें तो उन से बचाव और उनके दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है। कृष्ण भी कह गए की गलती के मूल में अज्ञान होता है!
मूंगफली पर और अधिक जानकारी हेतु निम्नलिखित लिंक भी देखा जा सकता है।
Deletehttp://www.best-home-remedies.com/herbal_medicine/nuts_seeds/groundnut.htm
अच्छा और उपयोगी आर्टिकल है . आभार.
Deleteबढ़िया जानकारी....
ReplyDeleteबड़े शौक से खाते हैं हम तो ये...आम इंसान जो हैं :-)
वैसे एक जानकारी और दीजिए सर...कि मूंफाली का छिलका..वो कड़ा वाला नहीं बल्कि ब्राउन पिंक सा जो हर दाने के ओप्पर होता है..वो खाया जाना चाहिए न नहीं????i mean that is good fiber or something which stick inside the elementary canal and may cause trouble ???
regards
anu
अच्छा सवाल है . लेकिन इसका ज़वाब नहीं मिला. वैसे फाइबर छिलके में नहीं , मूंगफली के दाने में ही होता है.
Deleteमूंगफली के छिलके से मुझे याद आया कि सन '1958-'62 में हमारे हॉस्टल में महाराष्ट्र मुंबई का एक लड़का था , मेरा सहपाठी और मित्र। उसकी माँ उसके लिए मूंगफली की गुड की चिक्की बना कर भेजती रहती थी, जिसमें बाहरी मोटा छिलका भी साबुत फली के साथ कुटा होता था!
Deleteदो-एक बार उसने हमें भी वो चखने को दिया। वो वेट लिफ्टर था और उसका नित्य प्रति सेवन करता था !
स्वाद कैसा था , यह भी बताइए .
Deleteवैसे बहरी छिलके को भी कुछ लोग खाते हैं . हालाँकि यह मनुष्यों के कहने की चीज़ नहीं .
हम दिल्ली में जो सर्दियों में गुड की चिक्की खाते थे उसकी तुलना में फीका था, और स्वाद ऐसा नहीं था कि 'दिल मांगे मोर'!
Deleteमूँगफली के मामले में हम आम लोगों मेन शामिल हैं .... प्रोटीन एलर्जी और थायरोड के विषय मेन पहली बार पता चला ...आभार ।
ReplyDeleteस्वस्थ ,सुंदर और टिकाऊ पोस्ट हर आमो-ख़ास के लिए ....
ReplyDeleteमुबारक और आभार !
बाबा रामदेव ने अखरोट खाने की सलाह क्या दी, अखरोट आम आदमी की पहुँच से बाहर चले गए ! अब लगता है डाo साहब की हमें इस सीजन में मूंगफली से भी वंचित रहना पडेगा :) वैसे इस उपयोगी जानकारी के लिए आपका आभार !
ReplyDeleteगोदियाल जी , अखरोट तो पहले ही आम आदमी की पहुँच से बाहर थे. बेचारे रामदेव का क्या कसूर ! :)
Deleteखास हो या आम, मेवा हो या न हो, पर मूंगफली का किसी भी महंगे मेवे से कोई मुकाबला नहीं, सर्दियों में जो तलब मूंगफली की लगती है और जो मजा उसे खाने में है. वो किसी बादाम पिस्ते में नहीं.
ReplyDeleteजो वस्तु खास लोगों के लिए आम होती है, वही आम लोगों के लिए खास होती है. यदि कददू को देखा जाए तो भी यही सिद्ध होता है।
ReplyDeleteआपने सही कहा है।
कृप्या देखें-
देखिये अल्लाह ने कद्दू में क्या तासीर रखी है ?
बहुत सुंदर एवं जानकारी भरा पोस्ट । मेरे नए पोस्ट पर आपका हार्दिक स्वागत है।
ReplyDeleteअच्छी जानकारी मिली,,,आभार
ReplyDeleterecent post...: अपने साये में जीने दो.
आपने अंत में लिखा है कि इससे कुछ लोगों को थायरोय्ड सम्बंधित रोग भी हो सकता है। तो क्या जिन्हें पहले से ही थायरोयय्ड है उन्हें भी मूँगफली नहीं खानी चाहिए क्या ?
ReplyDeleteपल्लवी जी , कुछ खाद्य पदार्थों के सेवन से गोय्टर ( थाइरोइड का फूलना ) होने की सम्भावना रहती है. इन्हें goitrogenic कहते हैं. मूंगफली भी इनमे से एक है. हालाँकि जितनी मात्रा हम खाते हैं , उसमे ऐसा होने की सम्भावना न के बराबर है. इसलिए बेफिक्र होकर खाई जा सकती है. महिलाओं में अक्सर हाइपोथायरायडिज्म होता है यानि हॉर्मोन की कमी. अक्सर इसमें थायरोइड नष्ट हो जाती है . इसलिए फूलने का सवाल ही नहीं उठता.
Deleteसबसे अधिक खाता हूँ :))
ReplyDeleteहमें तो सदा ही प्रतीक्षा रहती है, इस मौसम की..
ReplyDeleteसर्दी में मूगफली खाने के मजे ही अलग हैं, ऐसा मजा काजू बादाम में नहीं है।
ReplyDeleteहम तो यही मेवा खाते हैं..सर्दी का मौसम गर्म अलाव....औऱ साथ में मूंगफली.....याद है बचपन में रजाई में घुसे होते थे औऱ माता श्री या कोई घर का सदस्य काफी सारी मुंगफली लेकर बैठ जाता था..और पूरी गप पुराण वहां चलती रहती थी...अब वो मजा कहां रह गया है..अब तो परिवार ही समय की मार की वजह से नैनो साइज का हो गया है.....जहां मेहमान नाम के प्राणी का प्रवेश न हो तो बेहतर समझा जाता है....
ReplyDeleteरोहित जी , अकेले बैठकर मूंगफली चबाना भी किसी मेडिटेशन से कम नहीं . :)
Deleteघर वाले टोकते हैं, ज़्यादा मत खाओ :(
ReplyDeleteक्या मूंगफली वह खा सकता है जिसका कैलोस्ट्राल बढ़ा हुआ है?
ReplyDeleteबेशक , मूंगफली तो खुद ही कोलेस्ट्रोल को कम करती है.
Deleteबेशक , मूंगफली तो खुद ही कोलेस्ट्रोल को कम करती है.
ReplyDeleteअच्छी जानकारी मिली मूंगफली वैसे मुझे ड्राई फ्रुट्स से ज्यादा पसंद है पर कुछ लोग कहते हैं की इससे खांसी होने की संभावना रहती है क्या वो सच है ??
ReplyDeleteजी नहीं. छिला उतार कर खाने से सही रहेगा.
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