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Monday, June 7, 2010

कारवां गुजर गया गुबार देखते रहे ---एक शाम वरिष्ठ कवि गोपाल दास नीरज जी के साथ ---

२८ मई को दिल्ली के हिंदी भवन में सुप्रसिद्ध वरिष्ठ कवि एवम गीतकार श्री गोपाल दास नीरज का एकल काव्य पाठ सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ । ८६ वर्ष की आयु में भी नीरज जी का कविता के प्रति उत्साह देखकर दंग रह जाना पड़ा ।

उनके लिखे गीत हिंदी फिल्मो में अपनी धूम मचा चुके हैं ।

१९६५ में बनी फिल्म --नई उम्र की नई फसल --में मोहम्मद रफ़ी द्वारा गाया गया ये गाना आज भी जब मैं सुनता हूँ तो रोमांचित हो उठता हूँ ---

स्वपन झरे फूल से
मीत चुभे शूल से
लुट गए श्रृंगार सभी
बाग़ के बबूल से
और हम खड़े खड़े --बहार देखते रहे
कारवां गुजर गया , गुबार देखते रहे

एक छोटी सी मुलाकात नीरज जी के साथ --



काव्य पाठ शुरू हुआ और चलता रहा , चलता रहाएक के बाद एक , एक से बढ़कर एक कवितायेँ , गीत और दोहे सुनाकर नीरज जी ने सब का मन मोह लिया


कुछ नमूने --

तन से भारी सांस है , इसे जान लो खूब
मुर्दा जल में तैरता , जिन्दा जाता डूब

ज्ञानी हो फिर भी कर , दुर्जन संग निवास
सर्प सर्प है भले ही , मणि हो उसके पास


कभी कभी कवि सीधे सादे शब्दों में कितनी बड़ी बात कह जाते हैं , इसका एक उदाहरण देखिये --

जितना कम सामान रहेगा
उतना
सफ़र आसान रहेगा
जितना भारी बक्सा होगा
उतना तू हैरान रहेगा

अब सफ़र रेल का हो या जिंदगी का , दोनों पर यह बात लागू होती है

आपके लिए ये वीडियो भी है । सुनिए और आनंद लीजिये ।



तो कैसी रही यह काव्य संध्या ?


42 comments:

  1. सूर्य के बेटे अंधेरो का समर्थन करते हैं !
    अद्भुत -एक जीवित किवदंती से मिलाने के लिए आभार ! ...

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  2. जितना कम सामान रहेगा
    उतना सफ़र आसान रहेगा
    जितना भारी बक्सा होगा
    उतना तू हैरान रहेगा ।


    ......लाजवाब पंक्तियाँ

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  3. नीरज जी से मिलाने के लिए आभार !

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  4. वाह! नीरज जी को सुनना और पढना आनंददायी है।

    आप मिल भी लिए, आनंद वर्षा हुई।

    शुभकामनाएं

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  5. जितना कम सामान रहेगा
    उतना सफ़र आसान रहेगा
    जितना भारी बक्सा होगा
    उतना तू हैरान रहेगा ...
    हमारा तो यही मूल मंत्र है ..फालतू का समान ढोते ही नहीं ...
    बहुत अच्छी रही नीरज जी से यह मुलाकात ...!!

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  6. बहुत बढ़िया!
    ब्रह्मा की रात्रि के आगमन के लक्षण? सूर्यास्त के निकट कुछेक मानस पटल पर उभरते प्रतिबिंब?...

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  7. एक दो बार मुझे भी आदरणीय नीरज जी को सुनने का सौभाग्य मिला है. धीरे-धीरे लय पकड़ते हैं, श्रोता के मिजाज को भांपते हैं, यदि श्रोता ध्यान से सुन रहे है तो अकेले पूरी रात कविता पाठ कर सकते हैं. इसके विपरीत श्रोताओं ने ध्यान से नहीं सुना तो भड़क कर ५ मिनट में मंच छोड़ भी सकते हैं.
    इनसे सुना मेरा नाम जोकर फिल्म का गीत ...
    ए भाई जरा देख के चलो
    आगे ही नहीं पीछे भी ...
    ...अभी याद आ रहा है.आपने अपने पोस्ट से उनकी याद ताजा कर दी.

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  8. मज़े हैं आपके..इतने बड़े-बड़े लोगों से मिला-जुलना होता रहता है आपका ...:-(
    शायद!...कुछ जल रहा है मेरे भीतर

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  9. बहुत बढ़िया काव्य यात्रा नीरज जी जैसे महान साहित्यिक पुरुष की काव्य संध्या में कुछ पल बिताना निश्चित रूप से सुखद पल रहा होगा...बढ़िया प्रस्तुति धन्यवाद डॉ. साहब

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  10. नीरज जी कि आवाज़ और अंदाज़ दोनों ही मनोहारी है लुच्नो वाले भी इस सुख वर्षा में खूब नहाये हैं ..फिर से मिलाने के लिए आपको शुक्रिया

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  11. आनन्द आ गया. कुछ बरस पहले यहाँ उनका एकल पाठ सुना था. गजब की उर्जा है इस उम्र में भी.

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  12. नीरज जी को पहली बार शायद १९७४ में सुना था , वे पहली ही बार में दिल में जगह बना गए थे , मेरे लिखे हुए गीतों पर उनका असर हमेशा रहता है ! ईश्वर इन्हें चिरायु बख्शे !

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  13. आपका बहुत बहुत धन्यवाद और आभार |

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  14. एक साधारण संसारी सूचना, कि '५५- '५६ के दौरान मैं मेरठ कॉलेज में भी पढ़ा जहां लगभग प्रतिदिन नीरज जी के दर्शन होते थे, भले ही कविता सुनने का शुभ अवसर प्राप्त नहीं हुआ... किन्तु बाद में टीवी आदि पर उनके कविता पाठ सुनने के अनेक अवसर मिले,,, और विशेषकर यह गाना, 'कारवां गुजर गया/ गुब्बार देखते रहे ...', मुझे बहुत प्रिय लगा था,,, क्यूंकि यह मानव जीवन में आम आदमी की अधिकतर हर स्तिथि में 'हाथ मलने' की अवस्था को दर्शाता है ("हाय हुसैन! हम न हुवे!" जैसे)...

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  15. नीरज जी को प्रणाम!
    आपका आभार!

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  16. नीरज जी से यहाँ मिलवाने के लिए आभार....

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  17. जितना कम सामान रहेगा
    उतना सफ़र आसान रहेगा
    जितना भारी बक्सा होगा
    उतना तू हैरान रहेगा ..

    वाह डाक्टर साहब .. आपने तो जीवन का फलसफा पढ़ लिया .... नीरज जी के साथ आपने तो यादगार शाम जीवन की खूबसूरत शाम बना ली ... जो आपके जेह्न में हमेशा ताज़ा रहेगी ...

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  18. नीरज जी,से मुलाकात का विवरण रोचक रहा...और उनके बारे में कुछ कहना तो सूरज को दीपक दिखाना है...उनकी कवितायें और गीत पढ़ते हुए ही साहित्य में रूचि जागी...

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  19. pandit ji ki bat kya hai ...bas pranam unko ..aur aap ko mubarakbaad

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  20. बहुत शुक्रिया कवि गोपालदास जी से इस भेंट प्रस्तुति के लिए

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  21. "...आज वही लोग देश के लुटेरों का समर्थन करते हैं.
    सूर्य के बेटे अंधेरो का समर्थन करते हैं ! "

    ..... क्या कहें सर हम!

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  22. यह पोस्ट देख कर समझ में आया कि बातचीत में नीरज जी की चर्चा क्यों हुई थी.. आपने बड़ी सफाई से अहसास भी न होने दिया कि आज की पोस्ट है ये..... घर पहुंचकर दो घंटे आराम कर नेट पर आया तो फिर आप से मुलाकात करने ब्लाग पर चला आया..... बेहतरीन संस्मरण... नीरज जी तो नीरज जी हैं.. गीतों के राजकुअंर.. वाह...

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  23. neeraj ji ko sunanaa har baar sukhad rahataa hai.iss baar bhi aanand aayaa. ve shatau ho.

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  24. Dr. Saab,
    Hamein aapki kismet par rashk hai.....
    तन से भारी सांस है , इसे जान लो खूब
    मुर्दा जल में तैरता , जिन्दा जाता डूब ।
    Lillaaah!

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  25. नीरज जी से मिलाने के लिये आप का दिल से आभार है जी,बहुत सुंदर लगा. धन्यवाद

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  26. नीरज जी को साक्षात आपके माध्‍यम से सुना, बहुत अच्‍छा लगा। आपका आभार।

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  27. सूर्य के बेटे अंधेरो का समर्थन कर रहे हैं ।
    लाजवाब

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  28. नीरज जी का सानिध्य...धन्य हो गए दराल सर आप...

    नीरज जी ने फिल्मों में कम लिखा, लेकिन जो भी लिखा बेमिसाल लिखा...ऐसी ही एक फिल्म थी प्रेम पुजारी...एक बानगी हाज़िर है...

    शोखियों में घोला जाए थोड़ा सा शबाब,
    उसमें फिर मिलाई जाए थोड़ी सी शराब,
    होगा जो नशा तैयार,
    वो प्यार है...

    जय हिंद...

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  29. ये शाम तो बहुत खूब रही ...आनंद आ गया

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  30. चलिए आपके बहाने हम भी उनसे मिल लिए और उनको सुन भी लिया हम सब के लिए इतनी मेहनत करने के लिए आभार

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  31. पूज्य नीरज जी के गीत अनोखे और उनकी गायन शैली अद्वितिय है… इसी से प्रभावित होकर सचिन देव बर्मन (हालाँकि उनसे नीरज जी का विवाद भी सुनने में आया था) ने उनके कविता पाठ की शैली को धुन में पिरोया था .. गीत था
    फूलों की रंग से, दिल की कलम से, तुझको लिखी रोज़ पाती
    कैसे बताऊँ किस किस तरह से पल पल मुझे तू सताती.
    एक अविस्मरणीय काव्या सन्ध्या में सम्मिलित कर आपने कृतार्थ किया...

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  32. बहुत बढ़िया लगा! नीरज जी से मिलवाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद!

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  33. Tan se bharee sans hai...
    es ko jan lo khoob
    murda jal main tearta
    jinda jata doob....

    kitanee gahree baat hai....
    Kabhee es trah socha hee hanee tha...
    Neeraj ji milvana achaa laga....

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  34. नीरज की कवितायें , गीत और अब दोहे जहां मंच को गरिमा देती हैं वहीं साहित्य की भी धरोहर हैं. इस पोस्ट में प्रस्तुत पंक्तियाँ भी उतनी ही उत्कृष्ट हैं.

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  35. मज़ा आ गया हुजू़र, शुक्रिया भी लेते जाइए।
    --------
    ब्लॉगवाणी माहौल खराब कर रहा है?

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  36. नीरज जी से मिलाने के लिए बहुत-बहुत आभार...वीडियो डाउनलोड कर लिया है...फिर से देखूंगा

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