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Saturday, September 26, 2009

सुंदर, निर्मल, चंचल, कोमल ---मेरी दिल्ली।--

अपनी पिछली पोस्ट में मैंने दिल्ली के कुरूप चेहरा का वर्णन किया था। उसे पढ़कर कई साथियों को निराशाजनक आर्श्चय हुआ। एक पाठक ने तो इसे कोरी बकवास तक कह डाला।
दोस्तों, सच का सामना करने का साहस सब में होना चाहिए, फ़िर चाहे सच कितना भी कड़वा क्यों न हो।
अगर हम अपने अवगुणों की नही पहचानेगे, तो गुणों का विकास कैसे कर पाएंगे।
लेकिन ऐसा नही है की सच हमेशा कड़वा ही होता है। सच मीठा भी होता है। हमारी दिल्ली का भी दूसरा पहलू ऐसा ही मीठा सच है।
मैं तो दिल्ली का मूल निवासी हूँ । यहीं पैदा हुआ, बड़ा हुआ और पढ़ा लिखा । भला हम से ज्यादा दिल्ली को और कौन समझ सकता है।

प्रस्तुत है दिल्ली का दूसरा रूप :

हम दिल्ली वाले दिल वाले हैं,
जीते हैं शान से।
अब तो शोपिंग भी करते हैं
तो मॉल की दुकान से।


परांठे वाली गली के परांठे,
और फतेहपुरी की लस्सी
कहाँ मिलेगी चाट- पापडी,
जो मिले यू पी एस सी।


गर देखने हैं शहर में,
गाँव के ठाठ बाठ
तो आप भी आइये
दिल्ली हाट ।


लाल किला, जामा- मस्जिद और कुतुब मीनार,
इंडिया गेट, सी पी का सेन्ट्रल पार्क
और मेट्रो की सवारी,
आप भी करना चाहेंगे, बारम्बार।


प्रगति का प्रतीक , प्रगति मैदान
यमुना तीरे नव- निर्मित, अक्षर- धाम।
लोटस टेम्पल और बिरला मंदिर
यही सब तो हैं, मेरी दिल्ली की शान।


दिल्ली है दिलवालों की बस्ती,
ये महमान नवाजी में भी कभी नहीं थकती.
यहाँ के तो लोग भी इतने सीधे सादे और भले हैं,

तभी तो दिल्ली के द्वार सभी के लिए खुले हैं।


दिल्ली के द्वार सभी के लिए खुले हैं
सभी के लिए खुले हैं।

दोस्तों , अगले साल कॉमनवेल्थ गेम्स होने वाले हैं. होटलों में जगह मिले या न मिले, दिल्ली वालों के दिल में ज़रूर जगह मिलेगी. इसलिए अवश्य आइये और दिल्ली की महमान नवाजी का आनंद उठाइये.
अगली पोस्ट में --दिल्ली दर्शन -- मेरे दुसरे ब्लॉग , चित्रकथा पर.

8 comments:

  1. दिल्ली दिलवालों की नगरी है? एक बात ब्लू लाइन में सफ़र करें तो पता चलेगा यहाँ के लोग कितने बदतमीज़ हैं.

    हर शहर के द्वार सबके लिए खुले हैं. यहाँ हर बाहरी आदमी कहता है - "मुंबई, कलकत्ता, बैंगलौर, भोपाल, आदि-आदि यहाँ से अच्छे हैं. दिल्ली के लोग बस आलू-चाट और छोले-कुलचे खाना जानते हैं".

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  2. दराल सर की दिल्ली,
    दिल में दिल्ली...

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  3. दिल वालों की हुआ करती थी,दिल्ली
    दिलजलों को जलाया करती थी दिल्ली
    अब नेताओं का सपना है, चलो दिल्ली

    वाकई दिल्ली अब बहुत बेगाना लगता है !

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  4. ट्रांस फैट में तले पराठे, जो ह्रदय रोग दें
    लस्सी, पनीर, चाय सिंथेटिक मिल्क की, गुर्दे बर्बाद करना हो तो पियो
    मेट्रो जो निचले स्तर के कर्मचारी और मजदूरों का जमकर शोषण करती है, अब दिल्ली की जीवनरेखा यमुना को भी लील रही है
    यहाँ के लोग इतने सीधे की माँ की भेन की.....छेड़छाड़ कमेन्ट..... बच्चे उठा लिए जाना तो आम बात है, पुलिस रिपोर्ट तक नहीं लिखेगी चाहे जो कर लो

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  5. जैसे व्‍यक्ति के कई रूप होते हैं वैसे ही प्रत्‍येक शह‍र के भी विवधि रूप होते हैं। दिल्‍ली के लिए कहावत है कि दिल वालों की दिल्‍ली। मुझे तो दिल्‍ली हमेशा ही आकर्षित करता रहा है, पता नहीं कौन सा सम्‍मोहन है इस शहर में?

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  6. आप की पोस्ट पढकर पता नही क्यों मुझे हंसी आ जाती है....
    कहते है न कि सिक्के के दो पहलू होते है खामियां तो सब जगहो पर है
    पर दिल्ली वाकई में एक एतिहासिक जगह तो है ही लेकिन क्या कुछ नही है वहां ये तो बताने की आवशयकता है नही Delhi is the heart of our country .....

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  7. Daral saheb,
    post mein bahut kuchh kah diya hai .badhai!!

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  8. भले ही लाख बुराइयां हों दिल्ली में(ऐसा किस शहर में नहीं?) लेकिन फिर भी दिल्ली...दिल वालों की है...इसका कोई मुकाबला नहीं

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