एक सर्द रात में
घर पे फोन आया
बेटे ने उठाया
मैंने पूछा, बेटा कौन था
बोला उसी आंटी का फोन था
जो फोन पर भी मचाती है शोर
और घंटों करती है बोर
मैंने पूछा, क्या फरमा रही थी
बोला, मम्मी को बुला रही थी
मैंने बोल दिया, मम्मी बिजी हैं
रजाई में बैठी, हीटर पे हाथ सेक रही हैं
और दो घंटे से, एक के बाद एक
सास बहु के सीरिअल देख रही हैं
मैंने कहा, सही कहा भय्ये
हमेशा सच बोलना चाहिए
इस पर वो बोला
फ़िर वो कहने लगी
पापा को ही बुला दो
वो क्या कहीं कविता सुना रहे हैं
मैंने कहा आंटी, वो भी बिजी हैं
किचन में रोटियां बना रहे हैं
मैंने कहा, बेटा थोड़ा दिमाग का
इस्तेमाल कर लिया होता
अच्छा होता, यदि कोई और
बहाना लगा दिया होता
बेटा बोला, आप भी कमाल करते हैं
कभी कुछ, कभी कुछ कहते हैं
अभी अभी तो आपने बोला
हमेशा सच बोलना चाहिए !!!!
उसकी बात सुनकर मैं सोचने पर मजबूर हो गया, क्या वास्तव में हमें हमेशा सच बोलना चाहिए ?
क्या किसी की इज्ज़त बचाने को, मान रखने को, या खुशी प्रदान करने को , कभी कभी झूठ बोलना भी सही है?
हम डॉक्टर्स की जिंदगी में तो ऐसे लम्हे अक्सर आते रहते हैं, जब हमें बुद्धिमता का प्रयोग करते हुए , मरीज़ की भलाई की खातिर , कभी कभी झूठ बोलना पड़ता है। पर आम जिंदगी में भी क्या कभी सच न बोलना सही हो सकता है ?
ज़रा सोचियेगा और अपने विचार ज़रूर बताइयेगा।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
डाक्टर साहब, बढ़िया लिखा है आपने। सच में ही यह सोचने वाली बात है। मुझे जहां तक याद है मैंने आप को कोई कार्यक्रम टीवी पर भी देखा था।
ReplyDeleteशुभकामनायें।
sanskrit men kaha gaya hai satyam bruyat priyam bruyat n bruyat satyam apriyam .. sach bolana chahiye per apriya sach nahin bolanaa chahiye
ReplyDeletehaan bolena hamesha sach chahiye,agar achhai ke liye kaha gaya juth bhi juth nahi hota.
ReplyDeleteसोचने वाला विषय है कि सच की कितनी मात्रा उचित है. मीठा और मीठा..ज्यादा में कड़वा हो जाता है.
ReplyDeletesach hamesha nahi bolna chahiye :)
ReplyDeletevenus kesari
sach hamesha nahi bolna chahiye :)
ReplyDeletevenus kesari
badhiya...beta sahi keh raha hai...darr kyun
ReplyDeleteसंच को आंच नहीं होती, पर यह भी सही है कि जो आँखों से देखा या कानों से सुना, वह भी हमेसा सही ही हो..
ReplyDeleteचन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com
सच बोलो पर जिस तरह का सच आपके बेटे ने बोला उससे तो पोल खुल जाती है !! बहुत सुन्दर मजाक!!
ReplyDeleteसच है डॉक्टर भी मनुष्य होता है ।
ReplyDeleteसच कहा आपने ......
ReplyDeleteकभी कभी सच न बोलना भी हितकारी
होता है ...
ऐसा सच , जिसके न कहने से किसी का
कुछ भला हो सकने की गुन्जायिश हो ...
वैसे डॉ साहब ! आपके हाथों से बना खाना तो
मैं भी खाना चाहूँगा ...!!
खैर एक अच्छी और स्वस्थ्य-वर्धक रचना
पर बधाई और हौसला-अफजाई का शुक्रिया
---मुफलिस---
मुफलिस जी आपका स्वागत है. पारीक जी, आपका ह्यूमर भी अच्छा लगता है.
ReplyDeleteबाकी सब दोस्तों को भी् विचार प्रकट करने के लिए धन्यवाद.
बहुत बढ़िया लगा! बिल्कुल सही फ़रमाया है आपने!
ReplyDeleteमेरे इस नए ब्लॉग पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com
vakt vakt ki baat jo kaam aa jaye vo theek hai.chahe sach ho ya jhoot.badhai!!
ReplyDeletevakt vakt ki baat hai jo kaam aa jaye chahe jhoot ho ya sach ho. badha!!
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteफौरी तौर पर काम चलाने के लिए तो झूठ बढ़िया रहता है लेकिन लंबे समय मन को शांत रखने के लिए सच ही सही रहता है...बेशक वो कड़वा ही क्यों ना हो
ReplyDelete