आज हम भारत की स्वतंत्रता की ६२ वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। इस अवसर पर मैं सभी देशवासियों को हार्दिक बधाई एवम शुभकामनायें देता हूँ। मित्रो आज हम याद करते हैं उन नेताओं को, वीर सैनिकों को, और देश के उन शहीदों को , जिन्होंने हमारे सुनहरे भविष्य के लिए अपना वर्तमान देश पर न्यौछावर कर दिया। जिनके खून से सींचकर हमें ये आज़ादी मिली , आज दिन है उनको श्रधांजलि देने का तथा साथ ही प्रण करने का कि हम उनके द्वारा किए गए बलिदान को व्यर्थ न होने देंगे और देश की आज़ादी और एकता को बनाये रखेंगे।
दोस्तों, अंग्रेजों से तो भारत आजाद हो गया लेकिन अभी भी कई गुलामी की जंजीरें है जो हमें जकडे हुए हैं।
अभी देश को आजाद कराना है --
मंहगाई ,प्रदुषण और भृष्टाचार से ,
युवाओं के बदलते आचार और व्यवहार से।
आतंकवाद और अलागवाद से,
सीमाओं के विवाद से।
जात पात के झगडों से,
धर्म के लफडों से।
बेहिसाब बढती आबादी से,
पर्यावरण की बर्बादी से।
गरीबों को कुपोषण से,
शरीफों को शोषण से।
अभी तो आज़ादी दिलानी है ---
भूखों को भूख से,
घूसखोरों को घूस से।
देश को नकली नोटों से,
चुनावों को फर्जी वोटों से।
गंगा-यमुना को गंदगी से,
बाल मजदूरों को बंदगी से।
अभी तो हाथ में जाम है, पर यारों कितने काम हैं।
किसी ने ठीक ही कहा है,
दा वुड्स आर लवली, डार्क एंड डीप,
बट आई हैव प्रोमिसिस तो कीप ,
एंड माइल्स टू गो , बिफोर आई स्लीप।
माइल्स टू गो , बिफोर आई स्लीप।
जय हिंद !
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अजब-गजब, डा.साहिब
ReplyDeleteवाह बहुत बढ़िया लिखा है आपने! स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDeleteआज़ादी की 62वीं सालगिरह की हार्दिक शुभकामनाएं। इस सुअवसर पर मेरे ब्लोग की प्रथम वर्षगांठ है। आप लोगों के प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष मिले सहयोग एवं प्रोत्साहन के लिए मैं आपकी आभारी हूं। प्रथम वर्षगांठ पर मेरे ब्लोग पर पधार मुझे कृतार्थ करें। शुभ कामनाओं के साथ-
ReplyDeleteरचना गौड़ ‘भारती’
Daral ji, very nice poem.badhai!!!
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteएक साल पुरानी होने के बावजूद भी आपकी रचना अब भी सामयिक है ...
ReplyDeleteवो कहते हैं ना कि पुरानी शराब में ज्यादा नशा होता है...
सोचने और कुछ कर गुजरने को विवश करती रचना