top hindi blogs

Wednesday, June 25, 2014

मसूरी की सैर पर एक कवितामयी चित्रकथा ----


दिल्ली की गर्मी की मज़बूरी ,
ऐसे मे याद आ गई मसूरी ! 
मोदी प्रभाव कहें या यू पी सरकार की समझदारी ,
दो घंटे मे तय हो गई मुज़फ़्फरनगर तक की दूरी !



आठ बजे थे नाश्ते का क्या वक्त था, 
ढाबे पर खाना भी कहाँ उपयुक्त था ! 
खटिया पर बैठ चाय पीना भला लगा , 
शायद ढाबे वाला भी मोदी भक्त था ! 






मसूरी मे सुबह का मौसम सुहाना था,
अपने हाथों मे वक्त का ख़ज़ाना था ! 
सुबह की सैर पर हमे हुआ ये अहसास, 
धुंध से आए हैं इक धुंध मे जाना था ! 




यूं पहाड़ों की जिंदगी ज़रा सुस्त होती है , 
लेकिन पहाड़ियों की चाल चुस्त होती है ! 
हम दो किलोमीटर पैदल चले तो जाना,
कि खोखे की चाय भी बड़ी मस्त होती है ! 



दिन मे मस्ती का चाव छा गया , 
दिल मे साहस का भाव आ गया ! 
डरते डरते पहली बार हमने भी , 
कमर कसी और हवा मे समा गया ! 





शाम को जब सांझ होने को आई , 
आसमान मे थी काली बदली छाई ! 
रंग बिरंगे रंगों ने फिर आसमां मे , 
आधुनिक कला की कलाकृति बनाई ! 





सूरज ने जब पर्वतों पर अंतिम किरणें डाली , 
फैल गई किसी पहाडिन के गालों सी लाली !
दूर किसी चोटी पर बज उठी एक बांसुरिया ,   
और चहकने लगी चिड़ियाँ भी डाली डाली ! 





मॉल की दुकान पर सजी थी मिठाईयां , 
रंगों की छटा लिये ज्यों पंजाबी लुगाईयां ! 
छोटे मोटे पतले लम्बे खाते पीते हंसते , 
मस्ती करते पकड़े बच्चों की कलाईयाँ ! 





हमारा नव विवाहित जोड़ी सा गर्म खून था , 
हम पर भी फोटो खिंचवाने का ज़ुनून था ! 
ना कजरा ना गजरा ना पायल ना सिन्दूर ,
भई आखिर ये हमारा पचासवां हनीमून था ! 




इन वादियों ने देखे होंगे जाने कितने सावन , 
इस मौसम मे गुजरे होंगे जाने कितने यौवन ! 
कहीं वक्त की मार ठूंठ न कर दे इस वादी को, 
आओ हम मिलकर रखें पर्यावरण को  पावन ! 


18 comments:

  1. वाह ... पचासवें हनीमून पर हवा में यूँ तैरना गज़ब ढा गया :) . ये ज़ज्बा ये जूनून यूँ ही बना रहे. बहुत अच्छी पोस्ट एवं तस्वीरें.

    ReplyDelete
  2. शब्द, चित्र दोनों प्रभावी.... शुभकामनाएं

    ReplyDelete
  3. सुन्दर कविता, लाज़वाब चित्र और सार्थक सन्देश का अद्भुत संगम … शुभकामनाएं

    ReplyDelete
  4. इस बुढ़ापे को आपका सलाम ---तुस्सी तो छा गए पापे ---

    ReplyDelete
  5. दर्शन जी , बुढ़ापा बस एक सोच है ! आप उतने ही ज़वान होते हैं , जितना आप खुद को मानते हैं !

    ReplyDelete
  6. वा वाह, वा वाह
    आज तो धमाका कर दिया , नज़र न लगे सरकार को ! मंगलकामनाएं आपको !

    ReplyDelete
  7. सुन्दर कवितामंगलकामनाएं आपको

    ReplyDelete
  8. आपकी कविता ने चित्र और भी सुन्दर बना दिए है। पचासवाँ हनीमून मुबारक हो। दूसरा नव यौवन लौट आया है :)

    ReplyDelete
  9. कविता की कविता ... सैर की सैर ... जय हो सर जी | हम जैसों को तो घर बैठे बैठे ही डबल जैकपॉट लग गया ... :)

    ReplyDelete
    Replies
    1. अरे हाँ ज़रा जोड़े से हमारा प्रणाम स्वीकारते हुये यह आशीर्वाद दीजिये कि पचासवां हनीमून मनाने का मौका हमें भी मिले |

      Delete
    2. अपन चाहें तो एक सल मे पचासवां मना सकते हैं ! ललेकिन वो थोड़ा ज्यादा हो जाएगा ! :)

      Delete
  10. वाह बहुत खूब .. इस कवितामय सफ़र और यात्रा का रोचक वर्णन ... गज़ब के चित्र ... फिर पचासवें हनीमून के नुस्खे भी दे दिए आपने ... अच्छा है जवानी में ही मना लेने चाहियें ...

    ReplyDelete
  11. I was recommended this website through my cousin. I'm now not positive
    whether or not this put up is written by way of him as no one else know
    such designated about my trouble. You're incredible!
    Thank you!

    Feel free to surf to my blog Evansville Roofing

    ReplyDelete
    Replies
    1. Mr Anonymous , I am not able to comprehend what you want to say ! Are you a blogger ? Please introduce yourself properly . Thanks ...

      Delete
  12. सुंदर तस्वीरों से सजी सार्थक भवाभिव्यक्ति ...

    ReplyDelete