आपने बंदरों को कूदते फांदते अवश्य देखा होगा . कैसे एक मकान की छत से दूसरे मकान की छत पर या एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर कूद फांद करते रहते हैं . इन्हें देखकर कई बार लगता है -- काश हम भी ऐसा कर पाते. हालाँकि कहते हैं , हमारे पूर्वज भी तो बन्दर ही थे. लेकिन फिर मानव ने विकास की पथ पर अग्रसर होते हुए अपने लिए सभी सुख साधन जुटा लिए. अब उसको इस तरह कूद फांद करने की आवश्यकता नहीं होती. लेकिन अभी भी कुछ लोग ऐसे हैं , जो बंदरों की तरह हरकतें करके अपनी जीविका चलाते हैं. इसे आप उनका हुनर भी कह सकते हैं. लेकिन आप देखेंगे तो हैरान रह जायेंगे.
अब इस वीडियो में देखिये , कैसे यह युवक एक पेड़ पर चढ़ता है , और पलक झपकते ही कैसे दूसरे पेड़ से होते हुए , तीसरे पेड़ से नीचे उतरता है.
ज़रा कोशिश कीजिये और देखिये , क्या आप पकड़ पाते हैं उसे नीचे उतरते हुए.
और अब बताइए , यह नज़ारा कहाँ का हो सकता है. ज़ाहिर है, यह प्रदर्शन इस युवक का रोज का काम है. जो लोग पर्यटन के शौक़ीन हैं , वे इसे अवश्य पहचान सकते हैं .
कल्यु के लिए इस फोटो को देखिये।
नोट : यह स्थान निश्चित ही अपने ही देश में है.
दक्षिण भारत का केरल प्रदेश दो वजहों से प्रतीत होता है एक तो केले के पौधे नजर आ रहे है और साथ ही खजूर के पेड़ है. साथ में नजर आ रहे सज्जन शक्ल से उत्तर भारत के किसी पहाडी प्रदेश के है और उनके बगल में खड़े सज्जन डाक्टर दराल साहब जैसे नजर आ रहे है :) और पीछे कुछ अफसरायें भी नजर अ रही है जिनमे से एक पेड़ पर चड़ने की कोशिश भी कर रही है ! :) :)
ReplyDeleteबढ़िया विश्लेषण किया है गोदियाल जी . ध्यान से देखने के लिए शुक्रिया.
Deleteएक गोरी युवती शायद जूता पहन रही है , दूसरी एक पौधे को ध्यान से देख रही है , तीसरी उसको देखते हुए फोटो खींच रही है , और चौथी हमारे फोटोग्राफर को देख रही है. साथ में मूंछों वाले हमारे जूनियर डॉक्टर है.:) लेकिन ---
इस "लेकिन" के खुलासे का इंतज़ार है|
Deleteनारियल तोड़ने के लिए लोग ऐसा ही करते हैं। बहुत हुनर है हमारे देश में।
ReplyDeleteअजित जी , यह बेचारा तो खाली हमें तमाशा दिखा रहा था.
Delete...बन्दर हमारा ही भाई है.वीडियो वाले का तो बन्दर छोटा भाई है !
ReplyDeleteकमाल है ....
ReplyDeleteबन्दर की सबसे बड़ी खासियत होती है दूसरों की नक़ल करना।
ReplyDeleteकहना आवश्यक नहीं होना चाहिए कि आदमी सारी उम्र किसी न किसी की नक़ल ही करता है!!!
चैने ,मुंबई ,कोचीन ,कहीं भी हो सकतें हैं ऐसे करामाती बच्चे .पेट की भूख इन्हें करामाती बना देती है .लास वेगास में भी छोटे छोटे बच्चे फुट पाथों पे हैरत अंगेज़ कारनामे दिखलाते हैं .हवा में कला
ReplyDeleteबाजियां देखते ही बनतीं हैं इन नौनिहालों की सब पेट का चक्कर है डॉ साहब चैने से लासवेगास तक .सब जगह पसरा हुआ है बाल श्रम .
केरल में ऐसा हुनर दिखाने वाले को कर कैमरे में कैद
ReplyDeleteउपस्थित महोदयों/अप्सराओं के विवरण के साथ
ब्लॉग में प्रस्तुत करना भी तो बहुत बड़ा हुनर है ..
बहुत बढ़िया .......सादर!
Deleteसूर्यकांत जी , यह केरल नहीं है.
लेकिन का खुलासा २४ घंटे बाद होगा.
ReplyDeleteयह दृश्य दक्षिण भारत का है -फिर टूर पर निकल गए क्या ?
ReplyDeleteजी नहीं , यह पिछले साल का है. लेकिन साउथ नही ---
Deleteपेड़ पौधे और उनके बीच अप्सराओं को देख लगता है यह गोवा का दृश्य है!
Deleteअभी २४ घंटे नहीं हुए हैं . इसलिए न हाँ कह सकते हैं , न ना. :)
Deleteसाउथ का नहीं है! तब तो माउथ बंद रखने में ही भलाई है।
ReplyDeleteवाह, सीखते सिखाते रहें..
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ReplyDeleteइस शाखा मृग सम कूद फांद का कोई पुश्तैनी (खानदानी ,जीनीय आधार नहीं है ),गरीबी है इस जोखिम उठाके भरण पोषण के पीछे .
BAHUT HI KHUBSURAT AUR ADBHUT
ReplyDeleteखुलासा : वीडियो में दिखाया गया स्थान गोवा का है. साउथ गोवा में अनेक स्पाईस गार्डंस हैं जिनमे मसालों की अनेक किस्मों की खेती होती है. पहाड़ी क्षेत्र में बने ये गार्डंस बहुत हरे भरे और पेड़ पौधों से भरे होते हैं . यहाँ टिकेट लेकर जाना पड़ता है. शायद ४०० रूपये का टिकेट था जिसमे लंच का भी प्रबंध था. लेकिन हमें जल्दी जाना था इसलिए नाश्ता ही किया . फिर पूरे गार्डन की सैर का आयोजन किया गया था. आखिर में इस युवक ने अपने कौशल का प्रदर्शन करके सबका मन मोह लिया था.
ReplyDelete:)
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