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Saturday, January 20, 2024

सर्दियों के दिन ...

 सर्दियों के दिन, हैं बहुत कठिन,

कास्तकार लोगों के जीने के लिए।


धोबी का लड़का रोज पूछता है,

कपड़े हैं क्या प्रैस करने के लिए।


कपड़े भी ऐसे हैं कि फटते ही नहीं,

दर्जी भी पूछे, हैं क्या सीने के लिए। 


ना कोला, ना शरबत, ना ही ठंडाई, 

एक चाय ही काफ़ी है पीने के लिए। 


बैठे बैठे खाते रहते हैं मूंगफली रेवड़ी,

कोई काम नहीं होता पसीने के लिए। 


सर्दियों का मौसम होता स्वस्थ मौसम, पर 

कामवालों के लाले पड़े रहते जीने के लिए।

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