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Friday, February 4, 2022

इंसान खुद निष्काम हो गया --


    इंसान ने अपने आराम के

सभी संसाधन तो बना लिए,

लेकिन खुद बेकाम हो गया।


इसीलिए बी पी शुगर मोटापा

जैसे जीवन शैली रोगों का,

मानव शरीर गुलाम हो गया।


पहले गांवों में लोग काम पर

जाते थे मीलों पैदल चलकर,

अब पैदल चलना भी एक काम हो गया।


और पार्क में पैदल चलकर तो हम

कैलरीज जलाते हैं, पर पार्क जाने को

कार का इस्तेमाल करना आम हो गया।


11 comments:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (०५ -०२ -२०२२ ) को
    'तुझ में रब दिखता है'(चर्चा अंक -४३३२)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  2. बिल्कुल सही .... लोग मॉर्निंग वॉक पर कार से ही जाते हैं पार्क तक ये फैशन भी आम हो गया है ।

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  3. इंसान ने अपने आराम के

    सभी संसाधन तो बना लिए,

    लेकिन खुद निष्काम हो गया।


    इसीलिए बी पी शुगर मोटापा

    जैसे जीवन शैली रोगों का,

    मानव शरीर गुलाम हो गया
    .
    .
    आज की स्थिति को बयां करती सार्थक पंक्तियाँ, बहुत सुंदर
    काव्य स्रजन...

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  4. और पार्क में पैदल चलकर तो हम

    कैलरीज जलाते हैं, पर पार्क जाने को

    कार का इस्तेमाल करना आम हो गया।


    बिल्कुल सही कहा आपने!
    यथार्थ को बयां करती हुई बहुत ही बेहतरीन रचना
    सबसे बड़ी विडंबना तो यह है कि गांव के लोग शहर की जिंदगी जीना चाहते हैं और अपनी दिनचर्या को बिगाड़ रहे हैं जिसका सीधा असर स्वास्थ्य पर पड़ रहा है

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  5. निष्काम अथवा बेकाम, वैसे बात तो बिलकुल ठीक कही है आपने, यंत्रों पर आश्रित रहने से मानव का बहुत नुक़सान हुआ है

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    1. अनीता जी , अभी चेक किया। बेकाम ही सही है। ठीक कर दिया। शुक्रिया। :)

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  6. बिल्कुल सही कहा आपने!
    यथार्थ को बयां करती हुई बहुत ही बेहतरीन रचना

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  7. इसीलिए बी पी शुगर मोटापा
    जैसे जीवन शैली रोगों का,
    मानव शरीर गुलाम हो गया

    आज की स्थिति को बयां करती सार्थक पंक्तियाँ,

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