इंसान ने अपने आराम के
सभी संसाधन तो बना लिए,
लेकिन खुद बेकाम हो गया।
इसीलिए बी पी शुगर मोटापा
जैसे जीवन शैली रोगों का,
मानव शरीर गुलाम हो गया।
पहले गांवों में लोग काम पर
जाते थे मीलों पैदल चलकर,
अब पैदल चलना भी एक काम हो गया।
और पार्क में पैदल चलकर तो हम
कैलरीज जलाते हैं, पर पार्क जाने को
कार का इस्तेमाल करना आम हो गया।
जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (०५ -०२ -२०२२ ) को
'तुझ में रब दिखता है'(चर्चा अंक -४३३२) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
जी शुक्रिया।
Deleteबिल्कुल सही .... लोग मॉर्निंग वॉक पर कार से ही जाते हैं पार्क तक ये फैशन भी आम हो गया है ।
ReplyDeleteइंसान ने अपने आराम के
ReplyDeleteसभी संसाधन तो बना लिए,
लेकिन खुद निष्काम हो गया।
इसीलिए बी पी शुगर मोटापा
जैसे जीवन शैली रोगों का,
मानव शरीर गुलाम हो गया
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आज की स्थिति को बयां करती सार्थक पंक्तियाँ, बहुत सुंदर
काव्य स्रजन...
और पार्क में पैदल चलकर तो हम
ReplyDeleteकैलरीज जलाते हैं, पर पार्क जाने को
कार का इस्तेमाल करना आम हो गया।
बिल्कुल सही कहा आपने!
यथार्थ को बयां करती हुई बहुत ही बेहतरीन रचना
सबसे बड़ी विडंबना तो यह है कि गांव के लोग शहर की जिंदगी जीना चाहते हैं और अपनी दिनचर्या को बिगाड़ रहे हैं जिसका सीधा असर स्वास्थ्य पर पड़ रहा है
सही कहा आपने ।
Deleteनिष्काम अथवा बेकाम, वैसे बात तो बिलकुल ठीक कही है आपने, यंत्रों पर आश्रित रहने से मानव का बहुत नुक़सान हुआ है
ReplyDeleteअनीता जी , अभी चेक किया। बेकाम ही सही है। ठीक कर दिया। शुक्रिया। :)
Deleteशुक्रिया।
ReplyDeleteबिल्कुल सही कहा आपने!
ReplyDeleteयथार्थ को बयां करती हुई बहुत ही बेहतरीन रचना
इसीलिए बी पी शुगर मोटापा
ReplyDeleteजैसे जीवन शैली रोगों का,
मानव शरीर गुलाम हो गया
आज की स्थिति को बयां करती सार्थक पंक्तियाँ,