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Saturday, February 12, 2022

काव्यात्मक प्रवचन --

 

जो कविता के चक्कर में अपनी कविता को भूल जाए,

उसे कवि कहते हैं।

जो संगीत के चक्कर में अपनी संगीता को भूल जाए,
उसे संगीतज्ञ कहते हैं।

जो विशेष के चक्कर में आम बातों को भूल जाए,
उसे विशेषज्ञ कहते हैं।

जो प्रजातंत्र के चक्कर में अपनी प्रजा को भूल जाए,
उसे नेता कहते हैं।

जो अभिनय के चक्कर में हकीकत को भूल जाए,
उसे अभिनेता कहते हैं।

और आजकल ऐसे लोग दुनिया में बहुतायत में रहते हैं।

10 comments:

  1. ज़बरदस्त प्रवचन अभियान ।

    जो संगीत के चक्कर में अपनी संगीता को भूल जाए,
    उसे संगीतज्ञ कहते हैं।
    पक्का मेरे पति संगीतज्ञ हैं 😆😆😆😆😆

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  2. वाह! एकदम सटीक व्यंग्य 😂😂

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  3. सत्य और सटीक प्रचनात्मक कथन!--ब्रजेंद्रनाथ

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  4. असाधारण मापदंड ।
    कवि की कल्पना का जवाब नहीं वो कविता और कल्पना दोनों को भूला दे।
    सुंदर सृजन ।

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