अच्छे दिन शायद फिर आने लगे हैं,
लोग मिलते ही हाथ मिलाने लगे हैं।
कोरोना के डर से हुए निडर इस कदर,
कि दोस्तों को फिर गले लगाने लगे हैं।
शादियां भी अब होने लगी हैं पंडाल में,
गली में बैंड वाले भी बैंड बजाने लगे हैं।
नेता भी दिखते हैं अब हर महफ़िल में,
लगता है कि चुनाव पास आने लगे हैं।
टीकाकरण से मिली है राहत जग को,
बच्चे भी स्कूल कॉलेज जाने लगे हैं।
अपने ही घर में दुबके बैठे थे "तारीफ़,
अब हम भी पार्क में घूमने जाने लगे हैं।
जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार(१९-११-२०२१) को
'प्रेम-प्रवण '(चर्चा अंक-४२५३) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
जी आभार।
Deleteसचमुच अब अच्छे दिन अब आने लगे है। लेकिन हमे सावधानी बरतनी पड़ेगी।
ReplyDeleteसुंदर रचना!
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