ना मैं कहीं गया, ना कोई मेरे घर आया,
क्या बताऊँ, दीवाली का पर्व कैसे मनाया।
ना कोई गिफ्ट ना ग्रीटिंग कार्ड ना लैटर,
ना कोई ई मेल ना कोई फोन ही आया।
कभी जाते थे मंत्री और अफसरों के घर,
अब अपने ही घर बैठ आराम फ़रमाया।
कभी आते थे सैंकड़ों संदेश मोबाइल पर,
अब एक एस एम एस तक नहीं आया।
पर भरा पड़ा है मोबाइल रंग बिरंगे चित्रों से,
मानो सबने पर्व वाट्सएप्प पर हो मनाया।
एक एक ने सौ सौ को दी चित्रों सहित बधाई,
सौ सौ ने फिर सौ सौ को सन्देश पहुंचाया।
दर्ज़नों ग्रुप्स के हज़ारों मित्रों का जज़्बा जब,
आंखें बंद कर देखा तो पागल मन भर आया।
प्रदूषण और कोरोना ने ऐसा हाल किया "दराल",
कि क्या बताऊँ, हमने दीवाली पर्व कैसे मनाया।
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 08 नवम्बर 2021 को साझा की गयी है....
ReplyDeleteपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
आभार ।
Deleteवाह!!!
ReplyDeleteव्हाट्सएप पे दिवाली मैसेज वाली पर पटाखे फैलाते प्रदूषण
बहुत ही सुन्दर सार्थक सृजन।
शुक्रिया जी।
Deleteसुंदर
ReplyDeleteजी शुक्रिया।
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