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कोरोना संक्रमण एक ऐसी बीमारी है जो जब तक नही होती , तब तक सब नॉर्मल लगता है।
कोरोना संक्रमण एक ऐसी बीमारी है जो जब तक नही होती , तब तक सब नॉर्मल लगता है। आखिर, वायरस न नज़र आता है, न ही इसमे कोई गंध है। बस जब बुखार आता है , तब टैस्ट कराते हैं और पॉजिटिव आने पर हाथ पैर फूलने लगते हैं । घर मे किसी एक को हो जाये तो बाकी लोगों का बिना संक्रमित हुए बचना बहुत मुश्किल होता है। ज़रा सोचिए, यदि घर के सभी लोग संक्रमित हो जाएं और अस्पताल में भर्ती होने की ज़रूरत पड़ जाए, आप जगह जगह फोन करें और सब जगह से यह जवाब मिले कि बेड नही है, तो आपकी सांस भी फूलने लगती है।
अस्पताल जाने के लिए भी एम्बुलेंस चाहिए, अस्पताल में कागज़ी कार्रवाई के लिए कोई रिश्तेदार चाहिए। बाद में बिल भरने के लिए पैसे और पैसे देने वाला चाहिए। घर पर रखवाली के लिए कोई होना चाहिए। और यदि आपने पैट या पेट्स पाल रखे हैं तो आप से पहले उनका इंतज़ाम करना पड़ेगा। इस सब के बाद भी यदि सब ठीक होकर घर आ जाएं तो भगवान का शुक्र मनाएं। यदि आपके पास हेल्थ पॉलिसी नही है तो आपकी आर्थिक सेहत ठीक होने में वर्षों लग सकते हैं। इन सब मुसीबतों से बचने के लिए सावधानी बरतना तो ज़रूरी है ही, साथ ही भगवान से प्रार्थना भी करते रहेंकि आप बचे रहें। इस अनिश्चिताओं के समय मे सोच और कर्मों को सकारात्मक बनाये रखिये, क्योंकि एक स्टेज के बाद आपके या आपके डॉक्टर के हाथ मे भी कुछ नही रहता। सुरक्षित रहें, किसी को गरियाने के लिए तब तक स्थगित कर दें, जब तक कोरोना देश और संसार नही छोड़ देता।
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ReplyDeleteसब बातों का सार - "सुरक्षित रहें, किसी को गरियाने के लिए तब तक स्थगित कर दें, जब तक कोरोना देश और संसार नही छोड़ देता।"
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (09-12-2020) को "पेड़ जड़ से हिला दिया तुमने" (चर्चा अंक- 3910) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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सार्थक
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