फ़िल्मी मशहूर हस्तियों और मॉडल्स के परिधान देखकर उपजी ये छोटी बह्र की ग़ज़ल :
वस्र छै गज रंगा , ( वस्र = वस्त्र )
तन फिर भी नंगा।
कहने को मैया ,
मैली क्यों गंगा।
मन में रख विग्रह , ( विग्रह = वैर / शत्रुता )
कर दें कब दंगा ।
धर्म के हैं गुरु ,
मत लेना पंगा ।
जग में हो अमन ,
मन रहता चंगा।
तज दे हर व्यसन ,
बीड़ी या छंगा । ( छंगा छाप तम्बाकु )
नोट : मैट्रिक क्रम = २,२,२,२,२
वस्र छै गज रंगा , ( वस्र = वस्त्र )
तन फिर भी नंगा।
कहने को मैया ,
मैली क्यों गंगा।
मन में रख विग्रह , ( विग्रह = वैर / शत्रुता )
कर दें कब दंगा ।
धर्म के हैं गुरु ,
मत लेना पंगा ।
जग में हो अमन ,
मन रहता चंगा।
तज दे हर व्यसन ,
बीड़ी या छंगा । ( छंगा छाप तम्बाकु )
नोट : मैट्रिक क्रम = २,२,२,२,२
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ReplyDeleteबहुत सुन्दर ग़ज़ल
ReplyDeleteवाह...
ReplyDeleteबहुत खूब!
ReplyDeleteअच्छी सामयिक प्रस्तुति