top hindi blogs

Saturday, April 7, 2018

वाट्स अप जिंदगी ---


आंधी वर्षा से नरमाई रैन की ,

शीतल सुहानी भोर में अपार्टमेंट की,

बालकॉनी में बैठ चाय की चुस्कियां लेते,

दूर क्षितिज में छितरे बादलों की खिड़की से

शरमाये सकुचाये से सूरज को

ताक झांक करते देखकर हमें सोचना पड़ा।


कि कंक्रीट के इस जंगल में ,

ऊंचे अपार्टमेंट्स की ऊँचाईयों में ,

क्षितिज भी सिकुड़ सा गया है ऐसे ,

जैसे संसार को कर लिया है कैद मुट्ठी में,

हमने, एक स्मार्ट फोन के ज़रिये।


कुछ ही तो वर्ष पहले की बात है जब ,

घर हो या दफ्तर , घरवाले हों या मित्र ,

सब एक साथ बैठकर गपियाते थे ,

उन्मुक्त हँसते मुस्कराते थे ,

व्यस्त होकर भी मिल जाती थी फुर्सत,

आँखों में आँखें डालकर बतियाने की।


देखते देखते ये समां कैसे बदल गया !

अब अंदर हों या बाहर ,

घर हो या दफ्तर , या हो मैट्रो का सफर ,

जिसे देखो वही ,

सज़दे में सर झुकाये नज़र आता है।

न ढंग से खाता है न सोता है ,

बस अपने आप में गुम सा नज़र आता है।


अब नहीं करते पति पत्नी प्यार की बातें ,

नहीं चह्चहाते चिड़ियों से,  बच्चे गले लगकर ।

अब कोई नहीं करता बातें नज़रों से नज़रें मिलाकर ,

नहीं आती कानों में दोस्तों की मधुर आवाज़।

लेकिन आती हैं रोजाना ढेरों शुभकामनायें ,

फूल पत्तियों में लिपटी हुई प्रभात की ''सुप्रभात" ।

आते है नित नए सैंकड़ों सन्देश ,

कॉपी पेस्ट किये हुए, यहाँ से वहां से, जिनके

न जन्मदिन का पता होता है न जन्मदाता का।


यंत्रवत ये जिंदगी बस आभासी बनकर रह गई है।

वाट्सएप्प ने जैसे जिंदगी को गुलाम बना लिया है।

हार्डवेयर ने सरकारी सॉफ्टवेयर को किया था क्रैश ,

परन्तु स्मार्ट फोन के सॉफ्टवेयर ने,

जिंदगी के हार्डवेयर को ही क्रैक कर दिया है।

रोज सुबह होते ही वाट्सएप्प पूछता है,

''वाट्स अप'' जिंदगी !



7 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (08-04-2017) को "करो सतत् अभ्यास" (चर्चा अंक-2934) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete
  2. सच शहरी कंक्रीट में जीते हम लोग भी कंक्रीट से बिछ रहे हैं
    बहुत अच्छी प्रेरक प्रस्तुति

    ReplyDelete
  3. सुंदर रचना

    ReplyDelete
  4. आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' ०९ अप्रैल २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। अतः आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

    टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।

    निमंत्रण

    विशेष : 'सोमवार' ०९ अप्रैल २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने साप्ताहिक सोमवारीय अंक में आदरणीय 'रवींद्र' सिंह यादव जी से आपका परिचय करवाने जा रहा है।

    अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

    ReplyDelete
  5. निमंत्रण

    विशेष : 'सोमवार' १६ अप्रैल २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने साप्ताहिक सोमवारीय अंक में ख्यातिप्राप्त वरिष्ठ प्रतिष्ठित साहित्यकार आदरणीया देवी नागरानी जी से आपका परिचय करवाने जा रहा है। अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/



    टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।

    ReplyDelete
  6. ....... प्रेरक प्रस्तुति

    ReplyDelete