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Wednesday, December 9, 2015

ये ऑड ईवन का चक्कर तो अफ़्सर से आम बना देगा ---


प्रस्तुत है, दिल्ली में बढ़ते प्रदुषण को रोकने के लिए कारों पर लगे प्रतिबन्ध पर एक हास्य व्यंग कविता :


जब से ईवन ऑड की खबर आई है ,
अपने तो मन पर मुर्दनी सी छाई है।
बिन गाड़ी अब ऑफिस कैसे जाएंगे ,
ये सोचकर श्रीमती जी भी घबराई हैं।


कभी कहते थे कि महंगाई ने मार डाला ,
फिर शादी की तो लुगाई ने मार डाला।
दोनों को नियति समझ किया स्वीकार ,
पर अब प्रदुषण की बुराई ने मार डाला।


गाड़ियां तो हैं पर दोनों  की दोनों ईवन,
ड्राईविंग में भी हम रहे सदा नंबर वन।
जो एक गाड़ी को ऑड से स्वैप करले ,
ढूंढ रहे हैं हम बेसब्री से ऐसा इक जन।


आम आदमी तो फिर साईकिल से काम चला लेगा ,
मिडल क्लास गाड़ी छोड़ मोटरसाईकिल उठा लेगा।
हम चिकने चुपड़े खाए अघाये भारी भरकम कहाँ जाएँ ,
ये ऑड ईवन का चक्कर तो अफ़्सर से आम बना देगा।


अब तो सन्डे के सन्डे ही  गाड़ी निकाल पाएंगे ,
या मूंह अँधेरे निकलेंगे, अँधेरे में ही घर आएंगे।
ग़र इमरजेंसी में भी निकाली गलत नंबर की गाड़ी ,
तो पी यू सी होते हुए भी लुटने से नहीं बच पाएंगे।


या तो दफ़्तर एक दिन छोड़कर जाना पड़ेगा,
या फिर दफ़्तर में ही बिस्तर लगाना पड़ेगा ।
ग़र ऑड दिनों में ईवन नंबर की गाड़ी निकाली,
तो अनजान लोगों को गाड़ी में बिठाना पड़ेगा।


हम जानते थे कि एक दिन अच्छे दिन ज़रूर आएंगे ,
जब समस्याओं को हम मिल जुल कर सुलझाएंगे।
पहले हम ऑफिस जाते थे अलग अलग गाड़ियों में ,
अब श्रीमती जी ड्राईव करेंगी और हम बैठकर जायेंगे ।


6 comments:

  1. बहुत बढ़िया व्यंग्य है डा0 साहब।
    फोन आये, किसी मरीज को इमरजेंसी पड़े,
    डा0 साहब, फोन पर ही बता देना खड़े-खड़े ,
    मरीज़ को अभी नींद की दवा खिलाकर सोने दो,
    मैं आ जाऊंगा, बस ऑड को ज़रा ईवन होने दो।

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    1. वाह गोदियाल जी , बढ़िया कंट्रीब्यूशन किया है। शुक्रिया।

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  2. वैसे मेरे पास एक लेटेस्ट जोक भी है :-)
    बजरीलाल का सड़क पर किसी से झगड़ा हो गया। बात मारपीट तक पहुंची तो बजरीलाल ने अपने दोस्त पप्पू को फोन लगाया और कहा कि अपनी गाड़ी में ४-६ लड़के ले आ जल्दी से, यहां पिटने की नौबत आ गई है।
    पप्पू बोला, अबे मेरी गाड़ी का नंबर ऑड है मैं आज नहीं आ सकता , तू मार खा ले। :-)

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  3. हम जानते थे कि एक दिन अच्छे दिन ज़रूर आएंगे ,
    जब समस्याओं को हम मिल जुल कर सुलझाएंगे।
    पहले हम ऑफिस जाते थे अलग अलग गाड़ियों में ,
    अब श्रीमती जी ड्राईव करेंगी और हम बैठकर जायेंगे ।
    .....चलिए कुछ तो अच्छा परिणाम निकला अच्छे दिनों का ..
    बहुत सुन्दर

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