top hindi blogs

Monday, August 17, 2015

वृक्ष और डॉक्टर -- इनकी सुरक्षा में ही सब की सुरक्षा है ।


जिसकी मज़बूत जड़ें जुड़ी हों ज़मीन से ,
उस दरख़्त की डाल पर
जब कोई लटकता है , या झूला झूलता है ,
तो वो झुकती नहीं !
तनी रहती हैं सीना तान कर , टूटती नहीं।

उसी डाल की डालियों से फल तोड़ने ,
जब कोई डालियों को झुकाता है ,
तब वो झुक जाती हैं आसानी से , अड़ती नहीं।
फलों के बोझ से मुक्त हो फिर हो जाती सीधी ,
फिर से फलने फूलने के लिए, नई कोपलों के साथ !
थके हारे मुसाफिरों को छाँव देने की खातिर।

लेकिन जब इंसान खोद देता है उसकी जड़ें ,
या घोट देता है तने का गला, कंक्रीट के फंदे से।
वो तड़पने लगता है , इक इक साँस के लिए ,
और खोजने लगता है , जिंदगी के नए आयाम।
कभी कभी दम घुटने से ,  दम ही तोड़ देता है।

नादां इंसां नहीं समझता कि इसी की जिंदगी में ,
बसी है उसकी भी जिंदगी ही।
नहीं जानता कि दूसरों की जड़ें खोदने वालों की
अपनी जड़ें भी हो जाती हैं खोखली।
नहीं समझता कि जिंदगी लेने से नहीं ,
जिंदगी देने से ही मिलती है जिंदगी।

एक डॉक्टर भी होता है वृक्ष जैसा ही,
वो सहारा देता है दर्द और तक़लीफ़ में।
खुद झुकता है अपने स्पर्श से ,
रोगी के दर्द निवारण के लिए ।
जागता है सारी रात , मरीज़ को सुलाने की खातिर।
फिर हाज़िर होता है सुबह रोगी के जागने से पहले।

फिर भी जाने क्यों , ये शेखचिल्ली,
उसी डाल पर आरा चलाते हैं।
जिस पर बैठ वो खाते पीते सोते हैं ,
नादाँ ये भी नहीं समझते कि
उसी से तो नई जिंदगी पाते हैं।
जीवन दाता का जीवन लेना क्या अच्छा है !
कोई तो उन्हें समझाए कि,
इनकी सुरक्षा में ही तो उनकी सुरक्षा है ।


9 comments:

  1. सही कहा ..परन्तु यदि बृक्ष...व उसकी डालें आवागमन में बाधा डालते हैं तो उन्हें छांटना ही पड़ता है ---- इसी प्रकार जब डाक्टर अपने कार्य को व्यवसाय बना लेते हैं तो सामान्य जन की प्रतिक्रया अनिवार्य है ....

    ReplyDelete
    Replies
    1. व्यवसाय तो है ही। लेकिन गलत इस्तेमाल करना गलत है।

      Delete
  2. अच्छी तुलना है. खराब और अच्छे की छटाई भी आवश्यक है :)

    ReplyDelete
  3. डाक्टरों के साथ हिंसा की घटनाएँ दिल्ली में ही ज्यादा सुनते है.

    अच्छा विषय.

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी आजकल तो सब जगह यही हाल है।

      Delete
  4. तुलनात्मक रचना ... डाक्टर और वृक्ष एक से ही हैं जब तक मर्यादा में हैं ... उनकी रक्षा समाज की ही रक्षा है ...

    ReplyDelete