गर्मियों में छुट्टियां बिताने और कुछ दिन की सैर के लिए दिल्ली के आस पास शिमला सबसे पुराना और ऐतिहासिक हिल स्टेशन है। लेकिन शिमला में बढ़ती आबादी , भवन निर्माण और गाड़ियों की भरमार से शिमला एक कंक्रीट जंगल बन कर रह गया है। यदि आपको कुछ दिन शहर की भीड़ भाड़ और शोर शराबे से दूर प्रकृति के बीच शांत जगह पर छुट्टियां बिताने का विचार मन में आये तो शिमला के पास चैल ( चायल ) एक ऐसी जगह है जहाँ जाकर आपको वास्तव में मन की शांति और सकूँ मिलेगा।
दिल्ली से चैल जाने के लिए राष्ट्रिय राजमार्ग १ से होकर करनाल , अम्बाला और पंचकुला होते हुए , कालका बाई पास से होकर शिमला के लिए सीधी सड़क है। रास्ते में कुरुक्षेत्र में मिला ये हाइवे रेस्ट्रां जहाँ हाथ मुँह धोकर और खा पीकर आप तरो ताज़ा होकर निकल पड़ते हैं आगे के सफर के लिए।
अब कालका बाई पास बनने से सफ़र बहुत आसान हो गया है। बाई पास से गुजरते हुए बिलकुल विदेश में होने जैसा अहसास होता है। सोलन होते हुए कंडाघाट पहुंचकर दायीं ओर मुड़कर एक पतली लेकिन खाली सड़क पर ड्राईव करते हुए एक नदी को पार कर आप पहुँच जाते हैं चैल से करीब ३ किलोमीटर पहले बने होटल्स में जहाँ आपको शांत जगह पर हरी भरी वादियों के बीच एक या दो दिन रहने में बहुत आनंद आएगा।
सड़क किनारे बने होटल ग्रैंड सनसेट से सामने वादी का खूबसूरत नज़ारा आपका मन मोह लेगा।
वादी के बायीं ओर का क्षेत्र बहुत घने जंगल से बना है। इस जंगल से होकर एक सड़क सोलन तक जाती है। लेकिन इस सुनसान सड़क पर दिन में भी सफ़र करना एक साहसिक कार्य लगता है क्योंकि करीब २५ किलोमीटर तक आपको न कोई इंसान मिलेगा न कोई वाहन।
यहाँ करीब १० -११ होटल्स बने हैं जो काफी आरामदायक , भीड़ भाड़ से दूर और शांत जगह है। चैल में पहाड़ों की कई अलग अलग चोटियां हैं जहाँ तक आप ड्राईव कर के जा सकते हैं। एक चोटी पर बना है महाराजा पटियाला का महल जिसमे प्रवेश के अब प्रति व्यक्ति १०० रूपये देने पड़ेंगे। महल को एक होटल में परिवर्तित किया गया है जहाँ आपको २५०० से ३५०० रूपये में एक कमरा मिल जायेगा।
भूतल पर आप महल में बैठने और फोटो खींचने का आनंद ले सकते हैं। यहीं पर एक रेस्ट्रां है जहाँ ३०० रूपये में आप बुफे लंच का लुत्फ़ उठा सकते हैं।
पैलेस के बाहर एक बड़ा मैदान है जहाँ आप धूप का सेवन करते हुए आस पास की हरियाली को निहार सकते हैं। इस मैदान के चारों ओर पैदल पथ बना है जहाँ सैर करते हुए प्रकृति के बेहद निकट महसूस किया जा सकता है।
पैलेस के ड्राईव वे से ही एक रास्ता जाता है एक छोटी सी पहाड़ी पर , जिसे लवर्स हिल कहते हैं। इसके चारों ओर घूमने के लिए रास्ता बना है जिसे लवर्स लेन नाम दिया गया है। इस रास्ते पर टहलते हुए आप चैल के चारों ओर की घनी हरियाली का मनमोहक नज़ारा देख सकते हैं।
चैल एक पुराना क़स्बा सा है। इसकी दूसरी पहाड़ी की चोटी पर बना है विश्व का सबसे ऊँचाई पर स्थित क्रिकेट ग्राउंड। यह क्षेत्र पूर्णतया सेना के अधिकार क्षेत्र में है लेकिन आम जनता भी बुकिंग कराकर खेलों के लिए इस्तेमाल कर सकती है । यहाँ सभी तरह के खेलों के टूर्नामेन्ट आयोजित किये जा सकते हैं।
ग्राउंड में एक पुराना ऐतिहासिक सूखा वृक्ष।
चैल कस्बे से करीब ३ किलोमीटर की दूरी पर एक और पहाड़ की चोटी पर बना है ये महाकाली मंदिर जहाँ तक गाड़ी से जाया जा सकता है, लेकिन आखिरी १ किलोमीटर की ड्राईव ज़रा मुश्किल लगेगी क्योंकि सड़क काफी टूटी फूटी है। लेकिन मंदिर के अहाते में पार्किंग की अच्छी सुविधा है।
यहाँ से चारों ओर का ३६० डिग्री नज़ारा गज़ब का खूबसूरत है। ऐसा महसूस होने लगता है जैसे आप अंतरिक्ष से पृथ्वी का दृश्य देख रहे हों। यहाँ ठहरने के लिए कमरे भी बने हैं , हालाँकि खाने का कोई इंतज़ाम नहीं है ।
शाम को होटल की टेरेस से सूर्यास्त का नज़ारा बेहद खूबसूरत था। रात में चमकते तारों को देखते हुए यह महसूस होने लगा कि बड़े शहर में रहकर हम तो जैसे चाँद सितारों को देखना ही भूल गए हैं।
शहर के प्रदुषण , शोर शराबे और भीड़ भाड़ से दूर चैल एक शांत जगह है जहाँ आप प्रकृति के साथ मिलकर जीवन का निर्मल आनंद ले सकते हैं।
( अगली पोस्ट में शिमला रिविजिटेड .....)
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज शुक्रवार (10-07-2015) को "सुबह सबेरे त्राटक योगा" (चर्चा अंक-2032) (चर्चा अंक- 2032) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
आभार शास्त्री जी।
Deleteताऊजी उत्सुकता से कई पोस्ट पढ़ गया.....जिस दिन सैर पर निकलना होगा ..आपकी पोस्ट काम आएगी....
ReplyDeleteज़रूर। शुभकामनायें।
Deleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, दरोगा, जज से बड़ा - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteआभार।
Deleteचैल यात्रा विवरण सुंदर है. यहाँ कभी गये नहीं, पर अब लगता है कि जाया जा सकता है.
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ReplyDeleteसच शहर से दूर पहाड़ियों वादियों में डूबकर तन-मन तरोताजा हो उठता है ...
चैल ( चायल ) की खूबसूरत वादियों की सैर कराने हेतु आभार!
आपके खूबसूरत चित्रों में खो गए हम तो .... चैल के मनमोहक दृश्य और वादियों को देखने का अलग ही मज़ा है ...
ReplyDeleteसैर कराने का बहुत बहुत शुक्रिया ...
बेशक , बहुत सुन्दर जगह है।
Deleteयहाँ अवश्य जाना है , आभार भाई जी !
ReplyDeleteखूबसूरत वादियों की सैर कराने का शुक्रिया
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