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Tuesday, June 23, 2015

जाने कहाँ गए वो दिन :




अब नहीं आते ब्लॉग्स पर पाठक , अब रह गए ब्लॉग्स अकेले !
अब नहीं जागता कोई रात भर , अब नहीं लगते ब्लॉगर्स मेले !!

लेखक वही हैं लेखनी वही है , लेख बदले बदले से आते हैं नज़र !
राही वही हैं सफ़र भी वही है , अब बदली सी नज़र आती है डगर !!

वक्ता वही हैं श्रोता भी वही हैं, अब सभागार लगता गया है बदल !
कवि सही है कविता भी सही है , ब्लॉग्स क्यों है पाठकों से बेदखल !!

16 comments:

  1. सब फेसबुक / ट्विटर का किया धरा है :)

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  2. दरअसल जूनून एक न एक दिन उतर ही जाता है , दूसरी बात आदमी अपने खोल में सिमट ही जाता है। फिर इतना वक्त भी कहाँ है किसी के पास , जो किसी को पढ़े ,किसी को दाद दे ....आपने अच्छा लिखा है।

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  3. फटाफट संसकृति है डॉ साहब , टाइम है मगर टाइम कहाँ ...?

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  4. सर , आज आप भी डॉक्टरों की हड़ताल ............ ?:-)

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  5. नहीं हम क्यों ? और हमारे यहाँ भी नहीं।

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  6. किसी को क्या दोष देना कहीं न कहीं हम सभी दोषी हैं. एक कड़वा सच. एक अच्छा कटाक्ष
    डाक्टर साहब के इंतज़ार में मेरी एक कविता कुलबुला रही है
    आभार

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  7. किसी को क्या दोष देना कहीं न कहीं हम सभी दोषी हैं. एक कड़वा सच. एक अच्छा कटाक्ष
    डाक्टर साहब के इंतज़ार में मेरी एक कविता कुलबुला रही है
    आभार

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  8. महेश कुशवंश जी से सहमत हूँ ( टाइम है मगर टाइम कहाँ ) बस यही हवाला दे देते है सभी

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  9. निरंतर बने रहने से पाठक मिलें न मिलें सृजन तो बना रहा है ...

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  10. हम आप नहीं पढ़ते न ब्लॉग.. इसलिए।

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  11. दरअसल अब ब्लॉग पर वही लोग रह गए हैं जो फेसबुक पर नहीं हैं या फेसबुक पर सक्रीय नहीं हैं।

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  12. लगता है यही प्रश्न सबके मन में घुमड़ रहे हैं .... शायद इसका एक कारण फेसबुक पर मिलने वाली त्वरित प्रतिक्रिया है …

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  13. ब्लॉगिंग क्रिकेट के टैस्ट मैच की तरह है , और फेसबुक वन डे मैच की तरह। लेकिन अब लोग वन डे को छोड़ टी २० ( वाट्स एप्प ) में ज्यादा दिलचस्पी लेने लगे हैं। समय की रफ़्तार को को कौन रोक पाया है।

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  14. अधिकतर ब्लॉगर लेखन से अधिक लेखन का सम्मान चाहते हैं , फेसबुक के कारण चूंकि टिप्पणियां काम हो गयीं हैं अतः लगता है जैसे पाठक नहीं रहे और "लेखकों" का ध्यान उचट गया !
    जिनका ब्लॉग लेखन महज अपनी रचनाओं को संकलित करना है वे कहीं नहीं गए , उनका अवाध लेखन जारी है , जो वाकई रीडर हैं और यदि रचना में दम है तो वे आज भी पढ़ी जा रहीं है !

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  15. ताऊजी अपन अपने हिसाब से छुक छुक गाड़ी की तरह सक्रिय हैं..कई बार रेड लाइट पर 15-20 तक खड़े रह जाते हैं..हीहीहीही

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  16. ताऊजी अपन अपने हिसाब से छुक छुक गाड़ी की तरह सक्रिय हैं..कई बार रेड लाइट पर 15-20 तक खड़े रह जाते हैं..हीहीहीही

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