भूल मत जाना उसको जो जन्मदाता है।
खुद एक कोट में जीवन काटे ,
पर बच्चों को ब्रांडेड कपड़े दिलवाता है।
खुद झेले डी टी सी के झटके ,
पर आपको नैनो के सपने दिखलाता है।
चलना सीखा जिसकी उंगली की जकड़ में ,
अब पकड़ कर हाथ सहारा देना ,
भूल मत जाना उसको जीवन के पतझड़ में।
Bahut sundar Kavita...Happy fathers day.
ReplyDeleteसहत आपकी बात से ... पिता संबल हैं जो थामे रहते हैं हर मुसीबत ...
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन के पितृ दिवस विशेषांक, क्यों न रोज़ हो पितृ दिवस - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteआभार।
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (22-06-2015) को "पितृ-दिवस पर पिता को नमन" {चर्चा - 2014} पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
अन्तर्राष्ट्रीय योगदिवस की के साथ-साथ पितृदिवस की भी हार्दिक शुभकामनाएँ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
आभार शास्त्री जी ।
Deleteभूलने जैसा कुछ भी नहीं हैं भूल भी नहीं सकते
ReplyDeleteनई पीढ़ी भूल जाती है रचना जी।
Deleteनहीं भूलेगे डाक्टर साहब , संस्कारों मे रचे बसे बच्चे नहीं भूलेंगे ...
ReplyDeleteबस यही बात युवा पीढ़ी को समझानी है कुश्वंश जी !
Deleteबहुत सुंदर भाव
ReplyDeleteपिता को भूल जाये ऐसा नहीं है डाक्टर साहब पर नै पीढ़ी ऐसी है आज कल कुछ भी हो सकताहै
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