अब नहीं आते ब्लॉग्स पर पाठक , अब रह गए ब्लॉग्स अकेले !
अब नहीं जागता कोई रात भर , अब नहीं लगते ब्लॉगर्स मेले !!
लेखक वही हैं लेखनी वही है , लेख बदले बदले से आते हैं नज़र !
राही वही हैं सफ़र भी वही है , अब बदली सी नज़र आती है डगर !!
वक्ता वही हैं श्रोता भी वही हैं, अब सभागार लगता गया है बदल !
कवि सही है कविता भी सही है , ब्लॉग्स क्यों है पाठकों से बेदखल !!
सब फेसबुक / ट्विटर का किया धरा है :)
ReplyDeleteदरअसल जूनून एक न एक दिन उतर ही जाता है , दूसरी बात आदमी अपने खोल में सिमट ही जाता है। फिर इतना वक्त भी कहाँ है किसी के पास , जो किसी को पढ़े ,किसी को दाद दे ....आपने अच्छा लिखा है।
ReplyDeleteफटाफट संसकृति है डॉ साहब , टाइम है मगर टाइम कहाँ ...?
ReplyDeleteसर , आज आप भी डॉक्टरों की हड़ताल ............ ?:-)
ReplyDeleteनहीं हम क्यों ? और हमारे यहाँ भी नहीं।
ReplyDeleteकिसी को क्या दोष देना कहीं न कहीं हम सभी दोषी हैं. एक कड़वा सच. एक अच्छा कटाक्ष
ReplyDeleteडाक्टर साहब के इंतज़ार में मेरी एक कविता कुलबुला रही है
आभार
किसी को क्या दोष देना कहीं न कहीं हम सभी दोषी हैं. एक कड़वा सच. एक अच्छा कटाक्ष
ReplyDeleteडाक्टर साहब के इंतज़ार में मेरी एक कविता कुलबुला रही है
आभार
महेश कुशवंश जी से सहमत हूँ ( टाइम है मगर टाइम कहाँ ) बस यही हवाला दे देते है सभी
ReplyDeleteनिरंतर बने रहने से पाठक मिलें न मिलें सृजन तो बना रहा है ...
ReplyDeleteहम आप नहीं पढ़ते न ब्लॉग.. इसलिए।
ReplyDeleteदरअसल अब ब्लॉग पर वही लोग रह गए हैं जो फेसबुक पर नहीं हैं या फेसबुक पर सक्रीय नहीं हैं।
ReplyDeleteलगता है यही प्रश्न सबके मन में घुमड़ रहे हैं .... शायद इसका एक कारण फेसबुक पर मिलने वाली त्वरित प्रतिक्रिया है …
ReplyDeleteब्लॉगिंग क्रिकेट के टैस्ट मैच की तरह है , और फेसबुक वन डे मैच की तरह। लेकिन अब लोग वन डे को छोड़ टी २० ( वाट्स एप्प ) में ज्यादा दिलचस्पी लेने लगे हैं। समय की रफ़्तार को को कौन रोक पाया है।
ReplyDeleteअधिकतर ब्लॉगर लेखन से अधिक लेखन का सम्मान चाहते हैं , फेसबुक के कारण चूंकि टिप्पणियां काम हो गयीं हैं अतः लगता है जैसे पाठक नहीं रहे और "लेखकों" का ध्यान उचट गया !
ReplyDeleteजिनका ब्लॉग लेखन महज अपनी रचनाओं को संकलित करना है वे कहीं नहीं गए , उनका अवाध लेखन जारी है , जो वाकई रीडर हैं और यदि रचना में दम है तो वे आज भी पढ़ी जा रहीं है !
ताऊजी अपन अपने हिसाब से छुक छुक गाड़ी की तरह सक्रिय हैं..कई बार रेड लाइट पर 15-20 तक खड़े रह जाते हैं..हीहीहीही
ReplyDeleteताऊजी अपन अपने हिसाब से छुक छुक गाड़ी की तरह सक्रिय हैं..कई बार रेड लाइट पर 15-20 तक खड़े रह जाते हैं..हीहीहीही
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