top hindi blogs

Thursday, December 18, 2014

जितनी स्कूल कॉलेज की औपचारिक शिक्षा आवश्यक होती है , उतनी ही अनौपचारिक शिक्षा भी आवश्यक होती है ---


आजकल के बच्चे हमारे ज़माने के बच्चों से ज्यादा भाग्यशाली होते हैं ! न सिर्फ आजकल सुख सुविधाएं ज्यादा उपलब्ध हैं , बल्कि शिक्षा के क्षेत्र मे भी अब अभिभावकों द्वारा बच्चों पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है ! ६० और ७० के दशक मे मात पिता जीविका उपार्जन मे ही इतने व्यस्त रहते थे कि बच्चों की पढ़ाई की ओर ध्यान ही नहीं जा पाता था ! बच्चा विधालय मे क्या कर रहा है , होम वर्क करता है या नहीं या फिर वह अपना समय कैसे व्यतीत करता है , इस ओर उनका ध्यान ही नहीं जा पाता था ! शिक्षा के क्षेत्र मे भी मेधावी छात्रों के लिये मेडिकल और इंजीनियरिंग के अलावा कोई विकल्प नहीं होता था ! जो बच्चे इन दो क्षेत्रों मे नहीं जा पाते थे और जिन्हे कुछ कर दिखाने का ज़ुनून होता था , वे अक्सर कॉलेज मे आर्ट्स सब्जेक्ट लेकर सिविल सर्विसिज की तैयारी करते थे ! इसके अलावा विधालय मे मास्टर बनना ही एक विकल्प रह जाता था ! 

लेकिन आजकल शिक्षा और व्यवसाय के मामले मे बच्चों और युवाओं के सामने अनेक विकल्प होते हैं ! मेडिकल की पढ़ाई तो अत्यंत सख्त होती है और बहुत से बच्चे इसे पसंद ही नहीं करते ! लेकिन इंजीनियरिंग मे बच्चों की रुचि दिन पर दिन बढ़ती जा रही है ! हालांकि अधिकतर बच्चे इसके बाद एम बी ए करने की कोशिश करते हैं और अपना कार्य क्षेत्र ही बदल लेते हैं ! अब अभिभावक भी बच्चों की पढ़ाई मे बच्चों जितना ही शामिल होते हैं ! होम वर्क करना हो , या ट्यूशन ले जाना हो , यहाँ तक कि परीक्षा दिलाने के लिये भी अभिभावक काम से छुट्टी लेकर बच्चों के भविष्य के प्रति चिंतित रहते हैं ! 

इन सब के रहते , आश्चर्य नहीं कि अब हमारे बच्चे शिक्षा के क्षेत्र मे विश्व भर मे अग्रणी रहते हैं ! बहुत से बच्चे अब विदेशों मे जाकर शिक्षा ग्रहण करने लगे हैं ! लेकिन आधुनिक शिक्षा प्रणाली के साथ साथ इससे जुड़ी समस्याएं भी सामने आने लगी हैं ! अब बच्चे अपने संस्कार भूलते जा रहे हैं ! कहते हैं , जितनी स्कूल कॉलेज की औपचारिक शिक्षा आवश्यक होती है , उतनी ही अनौपचारिक शिक्षा भी आवश्यक होती है , जो घर मे बड़ों से मिलती है ! औपचारिक शिक्षा से जहां भौतिक विकास होता है , वहीं अनौपचारिक शिक्षा से नैतिक विकास होता है ! असली विकास वही होता है जब आधुनिकता के साथ साथ हम अपने संस्कारों को भी जीवित रख सकें ! वर्ना आधुनिकता की आंधी मे संस्कार खत्म होकर हम अपनी पहचान ही खो जायेंगे ! 

१७ - १८ की उम्र मे शिक्षा के अलावा कुछ और बातों का भी ध्यान रखना ज़रूरी है ! इनमे सबसे महत्त्वपूर्ण है किसी भी नशे की लत से बचना ! इस उम्र मे प्रभावित होना बहुत सहज और सरल होता है ! इसलिये अक्सर युवा अपने संगी साथियों के प्रभाव मे आकर धूम्रपान जैसी आदत का शिकार हो जाते हैं ! धूम्रपान एक ऐसा मीठा ज़हर है जो धीरे धीर अपना प्रतिकूल प्रभाव छ्ड़ता है और हमारे शरीर को हानि पहुंचाता है ! जब तक हम इसका अहसास करते हैं तब तक बहुत देर हो चुकी होती है ! इसलिये इन व्यसनों से बचे रहना अत्यंत आवश्यक होता है ! 

याद रखिये, धूम्रपान करने से क्या हस्र होता है :

सिगरेट पीते थे हमदम , हम दम भरकर, 
अब हरदम हर दम पर दम निकलता है !   

11 comments:

  1. बहुत सही बात ..गला काट प्रतियोगिता ने औपचारिक शिक्षा के अलावा हर चीज़ को हाशिए पर डाल दिया है. इसके परिणाम बहुत खतरनाक तरीके से सामने आ रहे हैं.

    ReplyDelete
  2. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शुक्रवार (19-12-2014) को "नई तामीर है मेरी ग़ज़ल" (चर्चा-1832) पर भी होगी।
    --
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete
  3. कैरियर बनाना और पैसा कमाना शिक्षा का उद्देश्य रह गया है - संस्कार,व्यवहार ,आचार और नैतिकता सब उसी बाँट से तुलते हैं .

    ReplyDelete
    Replies
    1. प्रतिभा जी , आपा धापी मे ये सब गुण लुप्त होते जा रहे हैं !

      Delete
  4. नमस्कार डा0 साहब, एक लम्बे अंतराल के बाद फिर एक बार ब्लॉग भेंट हुई।

    अपने अनुभव के आधार पर आपके इस लेख पर बस यही कहूँगा की ७० के दशक तक जब माँ-बाप ध्यान नहीं देते थे तो बच्चे खुद सतर्क थे, हर चीज के प्रति। ……।आज्कल जब देखता हूँ तो सोचता हूँ इनका क्या होगा। .... सब भगवान भरोसे चल रहा है और इनकी दुनिया एंड्राइड / स्मार्ट फोनो तक सिमट कर रह गई है।

    ReplyDelete
    Replies
    1. गोदियाल जी , ब्लॉगिंग अब लगभग छूट गई है ! फ़ेसबुक ने कहीं का ना छोड़ा ! :)
      पहले बच्चों मे जागरूकता की कमी होती थी ! मुझे खुद तभी पता चला कि मैं डॉक्टर बनूगा , जब मैने 9th क्लास मे बायोलॉजी ली !

      Delete
  5. आज की युवा पीढी के लिये सटीक सलाह.

    ReplyDelete
  6. दोनों ही बातें आवश्यक हैं पढ़ाई और बच्चों पे नज़र ... ये बात सही है की पहले इतनी जागरूकता नहीं थी ... हमें तो स्नातक होने तक नहीं पता था की क्या करें ... फिर सी ऐ का पता चला .. किसी ने कहा कर लो तो कर ली .... अब सोचते है ना करते तो क्या होता ...

    ReplyDelete
    Replies
    1. सही कहा ! पहले करियर कॉन्सलिंग के बारे मे कोई नहीं जानता था !

      Delete
  7. युवा पीढी का मार्गदर्शन भी आवश्यक है !

    ReplyDelete