सावधानी में ही समझदारी है। यदि उचित जानकारी ना हो तो ना केवल निराशा हाथ लग सकती है, बल्कि परेशानी भी हो सकती है।
हमने जब सिक्किम का प्रोग्राम बनाया, तब किसी जानकार ने बताया था कि सिक्किम में जून के महीने में नहीं जाना चाहिए, विशेषकर मिड जून के बाद, क्योंकि उसके बाद भारी बारिश होने लगती है और भूस्खलन का खतरा निरंतर बना रहता है जो कभी कभी बहुत खतरनाक हो सकता है। हमने भी देखा कि 12 जून के बाद होटल आसानी से और सस्ते मिल रहे थे। यानी सीजन खत्म। इसीलिए सोच समझकर हमने मई की बुकिंग कराई, भले ही थोड़ा ज्यादा खर्च करना पड़ा।
आज ही पेपर में पढ़ा कि कल नॉर्थ सिक्किम में भारी बारिश के कारण हुए भूस्खलन के कारण जान माल का काफी नुकसान हो गया। करीब 2000 यात्री अभी भी फंसे पड़े हैं। ज़ाहिर है, किसी दूर दराज के क्षेत्र में जाने से पहले वहां की पर्याप्त जानकारी ले लेनी चाहिए।
अब चलते चलते बताते चलें कि दार्जिलिंग से बागडोगरा वापस आने वाला रूट सबसे खूबसूरत और मजेदार रहा। घनी हरियाली और ऊंचे ऊंचे पेड़ों से ढके पहाड़ से होती हुई सुंदर सड़क पर ट्रैफिक भी ना के बराबर था। पहाड़ खत्म होने के बाद मीलों तक फैले चाय के बागान देखकर आश्चर्यमिश्रित प्रसन्नता हो रही थी। पता चला वे बागान किसी कंपनी के थे ।
पूरे रास्ते में बस एक ही ढाबा मिला जहां से हमने लंच के लिए आलू परांठे पैक करा लिए क्योंकि यह भी पता लगा लिया था कि एयरपोर्ट पर खाने की कोई विशेष सुविधा नहीं है। वैसे भी ढाई सौ रुपए की बासी सैंडविच से तो 50 रुपए का ताजा आलू परांठा एक बेहतर विकल्प था। ढाबेवाले ने पैक भी इतना अच्छा किया कि परांठे 3 घंटे बाद भी piping hot निकले। इसके बाद एयरलाइन का कॉरपोरेट मील भी फीका लगा था।
गर्मियों के सीजन में लोग गर्मी से राहत पाने के लिए पहाड़ों की ओर कूच करते हैं लेकिन पहाड़ों का ही तापमान बढ़ा देते हैं। कोई हैरानी नहीं कि अब वहां भी पंखे ही नहीं, ए सी भी चलने लगे हैं। जाने कब तक पहाड़ ये बोझ सहन कर पाएंगे !
जी डॉ साहब, बहुत अच्छी बात लिखी आपने! पहाडों पर मैदानी गर्मी के मारे लोगों के कदम आर्थिक खुशहाली के लिए तो शुभ हैं पर पर्यावरण की दृष्टि से अशुभ साबित हुए हैं पर हम कितने भी जागरूक क्यों न हो जाएं ये चीजें रुक नही पाएंगी हाँ जिम्मेवार पर्यटक जरूर अपने नैतिक दायित्वों को भली प्रकार निभाकर प्रदूषण रोकने में अपना बहुमुल्य योगदान दे सकते हैं! 🙏
ReplyDeleteजी, सही कहा।
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