डॉक्टर, मरीज़ से:
अब आपका बी पी कैसा है ?
मरीज़: डॉ साहब, आपकी दवा से बहुत फायदा हुआ है। लेकिन बी पी कभी कभी बढ़ जाता है।
डॉक्टर: अच्छा, कब बढ़ता है ?
मरीज़: एक तो तब बढ़ता है जब मैं टी वी पर नेताओं की बहस सुनता हूं। लेकिन जब मैं टी वी बंद कर देता हूं, तब 5 मिनट में नॉर्मल हो जाता है।
दूसरा जब मैं अख़बार पढ़ता हूं।
तब जो बी पी बढ़ता है, उसे नॉर्मल आने में पूरा एक घंटा लग जाता है।
डाक्टर: ओह ! तो अखबार पढ़ना बंद कर दो। और भी कोई कारण ?
मरीज़ : जी एक और। जब बीवी बहस करती है, तब जो बी पी बढ़ता है, वह शाम तक नॉर्मल नहीं होता। कोई अच्छी सी दवा दीजिए ताकि बीवी बहस ना करे।
डॉक्टर: चुप कर पगले। ऐसी कोई दवा होती तो पहले मैं स्वयं ही ना लेता। इसका एक ही इलाज है, बीवी जो कहे उसे चुपचाप मान लो, कोई बहस मत करो।
इसी में भलाई है। 😂
चुटीली रचना। सर एक प्रश्न है अधिकतर व्यंग्य और चुटकुले पत्नियों पर केंद्रित क्यों होते हैं।
ReplyDeleteसादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार १२ जुलाई २०२४ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
जी शुक्रिया। इसका कारण ये है कि एक पुरुष अपना अधिकांश समय पत्नी के साथ बिताता है। ऐसे में छुटपुट कहा सुनी में हुई बातों को हास्य में डालना आसान हो जाता है।
Delete:)
ReplyDeleteसादगी भरा सुंदर हास्य! हार्दिक बधाई आदरणीय डॉ साहब 🙏🙏
ReplyDeleteशुक्रिया जी। 🙏🙏
Deleteबिन घरनी घर भूत का डेरा ....ऐसे ही तो नहीं कहा गया है..................
ReplyDeleteसही।
Deleteबहुत बहुत सुन्दर
ReplyDeleteवाह!!!
ReplyDeleteआप सभी का हार्दिक आभार।
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