1)
गीता में श्रीकृष्ण अर्जुन से कहता है ,
जो जैसा करता है , वो वैसा भरता है।
जन्म से हिन्दू हो, सिख या मुस्लमान,
इंसांन तो मनुष्य कर्म से ही बनता है।
वो मंदिर जाये , मस्जिद , या गुरुद्वारे ,
बंदा हर हाल में इबादत ही तो करता है।
जन्नत आखिर में उसी को मिलती है ,
जो अंतकाल तक अच्छे कर्म करता है।
हों कोई भी आप रईश शहज़ादे 'तारीफ़ ,
इंसान का कर्म ही उसकी पहचान बनता है।
2)
कभी कभी मैं सोचता हूँ कि ,
उसका बाप कितना बड़ा आदमी है !
वो बड़ी सी गाड़ी में आता है ,
रोज सैंकड़ों रूपये उडाता है।
जब देखो नई घड़ी दिखाता है।
सब उसको बड़े बाप का बेटा समझते हैं।
लेकिन जब इम्तिहान का रिजल्ट आता है ,
तब मुँह छुपाता फिरता है ,
घर जाने से बहुत डरता है।
वो ऐसा क्यों करता है ,
वो तो बड़े बाप का बेटा हैं ना !
फिर इसको देखता हूँ तो सोचता हूँ ,
वो कितने ग़रीब घर से है।
रोज एक ही जोड़ी कपड़ों को धोकर पहनता है।
घर का खाना खाता है।
कभी पिक्चर के लिए क्लास बंक नहीं करता।
किताबें भी कभी कभी मांग कर पढता है।
लेकिन जब रिजल्ट आता है ,
तब क्लास में सबसे अव्वल नंबर पर आता है।
अमीर लड़के उससे दोस्ती नहीं करते ,
लेकिन सभी मास्टरों का चहेता है।
हर साल क्लास में वही तो प्रथम आता है।
सच, इंसान अपने कर्मों से ही जाना जाता है।
ये बात वो नहीं समझ सकते जो नादान हैं ,
देखा जाये तो कर्म ही इंसान की पहचान हैं।
गीता में श्रीकृष्ण अर्जुन से कहता है ,
जो जैसा करता है , वो वैसा भरता है।
जन्म से हिन्दू हो, सिख या मुस्लमान,
इंसांन तो मनुष्य कर्म से ही बनता है।
वो मंदिर जाये , मस्जिद , या गुरुद्वारे ,
बंदा हर हाल में इबादत ही तो करता है।
जन्नत आखिर में उसी को मिलती है ,
जो अंतकाल तक अच्छे कर्म करता है।
हों कोई भी आप रईश शहज़ादे 'तारीफ़ ,
इंसान का कर्म ही उसकी पहचान बनता है।
2)
कभी कभी मैं सोचता हूँ कि ,
उसका बाप कितना बड़ा आदमी है !
वो बड़ी सी गाड़ी में आता है ,
रोज सैंकड़ों रूपये उडाता है।
जब देखो नई घड़ी दिखाता है।
सब उसको बड़े बाप का बेटा समझते हैं।
लेकिन जब इम्तिहान का रिजल्ट आता है ,
तब मुँह छुपाता फिरता है ,
घर जाने से बहुत डरता है।
वो ऐसा क्यों करता है ,
वो तो बड़े बाप का बेटा हैं ना !
फिर इसको देखता हूँ तो सोचता हूँ ,
वो कितने ग़रीब घर से है।
रोज एक ही जोड़ी कपड़ों को धोकर पहनता है।
घर का खाना खाता है।
कभी पिक्चर के लिए क्लास बंक नहीं करता।
किताबें भी कभी कभी मांग कर पढता है।
लेकिन जब रिजल्ट आता है ,
तब क्लास में सबसे अव्वल नंबर पर आता है।
अमीर लड़के उससे दोस्ती नहीं करते ,
लेकिन सभी मास्टरों का चहेता है।
हर साल क्लास में वही तो प्रथम आता है।
सच, इंसान अपने कर्मों से ही जाना जाता है।
ये बात वो नहीं समझ सकते जो नादान हैं ,
देखा जाये तो कर्म ही इंसान की पहचान हैं।
वाह ... कितना सच कहा है .... इंसान अपने कर्म से ही जाना जाता है ... अच्छे कर्म ही उसका नाम रोशन करते हैं वर्ना जल्दी ही भुला दिया जाता है संसार में ....
ReplyDeleteएकदम सच कर्म ही सच्चा धर्म है और धर्म कर्म करने वाला सच्चा इंसान । अच्छी कविता
ReplyDeleteआपकी ब्लॉग पोस्ट को आज की ब्लॉग बुलेटिन प्रस्तुति सुरैया और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। सादर ... अभिनन्दन।।
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