एक मित्र की ई मेल ने न सिर्फ सोचने पर मज़बूर कर दिया बल्कि ज्ञान चक्षु भी खोल दिए . एक सवाल -- लीजिये आप भी पढ़िए और बढ़िया ज़वाब देने की कोशिश कीजिये :
एक काली अँधेरी बरसाती रात में आप अपनी कार में कहीं जा रहे हैं . तूफ़ान जोरों पर है . अचानक एक बस स्टॉप पर आप देखते हैं -- वहां बस तीन लोग खड़े हैं .
१. एक बूढी औरत जो इतनी बीमार दिख रही है जैसे अभी दम निकल जायेगा .
२. एक पुराना दोस्त जिसने कभी एक हादसे में आपकी जान बचाई थी .
३. एक खूबसूरत लड़की --आपके ख्वाबों की मल्लिका , जिससे आप शादी करना चाहते हैं .
ऐसे में आप किसे लिफ्ट देंगे ? आपकी गाड़ी में बस एक ही व्यक्ति बैठ सकता है .
क्या बूढी औरत को अस्पताल ले जायेंगे , ताकि उसकी जान बच जाये ?
या मित्र के अहसान का बदला चुकता करेंगे ?
या फिर स्वीटहार्ट को लिफ्ट देंगे ताकि मन पसंद साथी के साथ जीवन भर का साथ पक्का हो जाये ?
सोच समझ कर ज़वाब दीजियेगा -- ऐसे में आप क्या करेंगे .
मैं डिक्की में बैठ जाउंगा और अपने उस पुराने मित्र को जिसने कभी मेरी मेरी जान बचाई थी उसे कहूंगा कि तू गाडी चला, पहले इस बूढी अम्मा को अस्पताल या इसके घर छोड़ आयेंगे फिर आपको आपके घर छोडूंगा और फिर अपने घर जाउंगा !
ReplyDeleteअरे गोदियाल जी , आप तो महबूबा को भूल ही गए . इतनी भयंकर रात में अकेली छोड़ देंगे क्या ! :)
Deleteनहीं उसके लिए टेक्सी मंगवा लेंगे...
Deleteगोदियाल जी ने बहुत दिमाग लगाया है.
आखिर छोड़ा तो अकेले ही ! :)
Deleteहा-हा-हा-हा-हा-हा-हा-हा-हा ...........डाक्टर साहब , आप भी न ..... बहुत भोले है ........डिक्की में इसी लिए तो बैठ रहा हूँ ! :) :)
Delete-हा-हा-हा-- गोदियाल जी आप भी न ...:)
Delete:) :) दीपक जी का भी शुक्तिया अदा करना चाहूँगा की उन्होंने मेरे प्रयास की प्रशंशा की :)
Deleteक्षमा चाहता हूँ शुक्तिया को कृपया शुक्रिया पढ़े !
Deleteमैं उतर जाऊँगा। दोस्त से कहूँगा कि जल्दी से इस बूढ़ी औरत को लेकर जाओ और डाक्टर को दिखाओ। दोस्त और बूढ़ी औरत के जाने के बाद खूबसूरत साथी के साथ बरसात का आनंद लूँगा।
ReplyDeleteपरन्तु पाण्डे जी , आप तो पहले ही शादीशुदा हैं . :)
Deleteओफ्फ!
Deleteमेरा सुख आपसे देखा न गया!
उत्तर सही है, कहा न गया!:)
बारिस में लड़की देखी
Deleteआपसे भी रहा न गया . :)
ये कौन सी किताब में लिखा है कि पाण्डेय जी शादीशुदा हैं तो खूबसूरत साथी के साथ वक़्त नहीं गुज़ार सकते :)
Deleteवैसे भी वे शादीशुदा हैं , ये आपको पता है ,उनकी पत्नी को पता है , पर उस हसीन को थोड़े ही बताया गया होगा :)
होके मजबूर मगर , उसको बताया होगा ! :)
Deleteअजी माशूका के साथ डिक्की में बैठो .दोस्त को गाडी चलाने दो .दादी अम्मा को अस्पताल छोडो इसमें संकट क्या है .
ReplyDeleteवीरुभाई , संकट यह है -- कार में सीट दो ही हैं . तो भला डिक्की में स्पेस कहाँ होगी दो व्यक्तियों के लिए .
Deleteडॉ.साहब ,अच्छा शगूफा छोड़ा है आपने ......
ReplyDeleteमरने से पहले ,अपना कर्ज़ चुकाऊँगा
बाकि सब आप के लिये छोड़ जाऊँगा ...???:-)))))
दिल्ली में तो किसी का भरोसा नहीं.
ReplyDeleteक्या कहें..
ReplyDeleteअगली पोस्ट हमारे लिए लिखें...जेंडर बायस्ड का इलज़ाम लगेगा वरना...
:-)
सादर
अनु
जी , अगली पोस्ट आपके लिए भी होगी . लेकिन इलज़ाम तो फिर कोई और लगाएगा . :)
Deleteबूढी औरत को गाड़ी में बिठाऊंगा . मेरा मित्र मुझे जानता है वह जीवन भर मेरा इंतजार करेगा रही बात प्रेमिका की तो वह मुझे प्रेम करती है हम साथ साथ जीवन बितायेगे मेरा इंतजार करेगी पूरा विश्वास लेकिन मौत किसी का इंतजार कहाँ करती है बाकि सब मेरे चुनाव और मेरे नसीब का हिस्सा . मेरा निर्णय यही होगा जो इस आभासी दुनिया के साथ वास्तविक जीवन में भी अटल रहेगा .
ReplyDeleteTHOUGH IT IS YAKSH PRASHN.
EXCELLENT THOUGHT .
Deleteअब इस प्रश्न का जवाब हमें तो देना नहीं है ... बस बाकी जवाब पढ़ रहे हैं ।
ReplyDeleteDr
ReplyDeleteEvery Car In India Has Space For Minimum 4 people
Since This Car Has Space For Just One Means
Besides The Driver There Are 2 Other Occupants
Now The Driver Should Ask His Wife To Shift Back And Put The Old Lady And Young Girl With Her On The Back Seat
He Should Ask His Son , To Shift On The Front Seat And Also Adjust His Friend There
रचना जी , यह तो जुगाड़ हो गया .:)
Deleteयहाँ तो चल सकता है लेकिन विदेशों में चलान कट जाता है .
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ReplyDeleteमै रचना जी की बातो से सहमत हूँ,,,,
ReplyDeleteRECENT P0ST ,,,,, फिर मिलने का
ये सवाल सिर्फ पुरुषों से पूछा गया है इसलिए नो कमेंट्स !
ReplyDeleteसवाल में ज़रा सा ट्विस्ट करके , जीवन बचाने वाले दोस्त की भूमिका लड़की को दीजिए और पुरुष दोस्त को सुन्दर ख्वाबों का शहजादा मान कर जबाब दिया जा सकता है :)
Deleteअली जी से सहमत .
Deleteवैसे भी हमारे यहाँ बिना मांगे सलाह देने की रिवाज़ तो है ही . :)
अली जी , डॉ दराल जी
Deleteनहीं, बात जब महिलाओ की होगी तो सारा परिदृश्य बदलना होगा यही कहानी द्रश्य किसी महिला को सूट नहीं करती है, आप ने लिखा है एक काली अँधेरी बरसाती तूफानी रात उस पर से कहानी का हीरो खुद बस स्टॉप पर खड़ा है , कोई भी पुरुष या महिला मित्र इस स्थिति में अपनी महिला मित्र को बस स्टॉप पर छोड़ कर नहीं जायेगा | किसी महिला के लिए द्रश्य कुछ ऐसा हो सकता है की महिला खुद बस स्टॉप पर खड़ी है और उसका स्वीट हार्ट गाड़ी से आ कर उसे चलने को कहता है तब वो उसे वही राय देती है जो देवेन्द्र जी ने कहा :)
परम्परा के अनुसार मुफ्त की बिन मागी राय :)
इसमें भी सोचना है ? धन्य हैं आप ??
ReplyDeleteजय हो महाराज . :)
DeleteSTRAIGHT DRIVE.......AND BOLL GOES UPON THE BOUNDRY WALL.....
DeletePRANAM.
स्वीट हार्ट की सुरक्षा मित्र को देकर, अम्मा को हस्पताल ले जायेंगे !
ReplyDeleteइतनी भारी गलती करेंगे ! :)
Delete(:(:(
DeletePRANAM.
हमें तो देवेन्द्र पाण्डेय जी की बात जंची है...
ReplyDeleteदेवेन्द्र पाण्डेय September 21, 2012 7:14 PM
मैं उतर जाऊँगा। दोस्त से कहूँगा कि जल्दी से इस बूढ़ी औरत को लेकर जाओ और डाक्टर को दिखाओ। दोस्त और बूढ़ी औरत के जाने के बाद खूबसूरत साथी के साथ बरसात का आनंद लूँगा।
एक भारतीय
ReplyDeleteएक दिल्लीवासी
और आज के जमाने का पुरुष होने के नाते ईमानदारी से कहता हूं कि केवल और केवल हसीना को लिफ्ट देने के अलावा दूसरी किसी दिशा में दिमाग नहीं लगाऊंगा।
हा हा हा ! किसी हसीना को लिफ्ट देना दिल्ली में अक्सर महंगा पड़ जाता है भाई .
Deleteआपने ही तो कहा कि
Deleteख्वाबों की मल्लिका-जिससे शादी करना चाहते हैं
यानि अनजान नहीं है :)
अपने मित्र को बीमार बुढ़िया के साथ अस्पताल भेज देंगे और तब प्रेमिका के साथ गायेंगे..एक लड़की भीगी भागी सी...
ReplyDeleteआप ने लिखा है " जिससे आप शादी करना चाहते है " मतलब की जवाब देने वाले की या तो शादी हुई नहीं है या बात शादी के पहले की है तो देवेन्द्र जी ने ठीक ही लिखा है इससे अच्छा और क्या होगा :)
ReplyDeleteप्रश्न जब जीवन-मृत्यु का हो तो प्राथमिकता उसे ही देनी चाहिए! बाकी सब तो गौण हैं...
ReplyDeleteआजकल ज़माना खराब है.
ReplyDelete100 नंबर पर सूचना देना ही ठीक है.
डॉ .साहब आप तो अलजाईमार्स से बचाव का तरीका बता रहें हैं सब लोग दिमाग लड़ा रहें .दिमाग से काम लिवाते रहो ,बुढापे के इस रोग से बचाते रहो .डॉ .साहब दवा निगमों की यहाँ पावर फुल लाबी है ये लोग सेहत का ही नहीं सरकार का भी इलाज़ करतें हैं .सारा खेल तमाशा यहाँ निगमों का है माहिर आ जातें हैं हाशिये पर .पर यहाँ अपनी बात खुलके कहने की आज़ादी है .
ReplyDeleteदबाव कम हो गया /:-)
ReplyDeleteपूछ रहे हैं या बता रहे हैं ? :)
Deleteपूछना ? ना ना ना /:-)
Deleteडाक्टर साहब पहले तो शीर्षक बदलिए..आप कह रहे हैं दवाब कम करिए..पर आपने सोचने का काम देकर काम हद से ज्यादा मुश्किल कर दिया था..विकट स्थिती थी..हम तो माताजी को लेकर अस्पताल जाने की सोच रहे थे....मगर मित्र के हाथों हसीना को गंवाना भी जंच नहीं रहा था...वो तो भला हो पांडेजी का जो तुरंत ही उनके उतर पर नजर पड़ गई....औऱ अपने साथ शादीशुदा होने का टैग नहीं सो......प्रवीण जी की जगह हम गा लेंगे गाना बदल कर..
ReplyDeleteएक लड़की के साथ भींग रहे हैं..
ए जानम. शादीशुदा जलते हैं तो जलने दे...
बारिश की ये जो है अगन उसे बुझ जाने दे...
वगैरह वगैरह...
बाकी यहां गाना इसलिए नहीं लिख रहा हूं क्योंकि अगर यहीं लिख दिया तो बारिश में गाउंगा क्या....
औऱ भी तरीके हैं जी जैसे डिक्की में दो लोगो का जुगाड़ हो सकता है..आखिर हिंदुस्तानी हैं ..जब हमारी वायुसेना जुगाड़ से दुश्मन का दम निकाल सकती है तो क्या हम ...वैसे भी दिल्ली वाले हैं हम लो तो जी....जो बस की दो सीट में चार को बैठा लेते हैं....फिर हसीना के साथ डिक्की में तो जी पूछो मत..साथ में ये भी याद रखा जाए कि वैसे तो हम बस स्टाप पर ही हसीना के साथ रहेंगे....और अगर डिक्की में जाना पड़ेगा तो बाहर बारिश का मौसम है सो डिक्की का ढक्कन खोलकर आनंद लेंगे..वैसे भी हम कुंवारों को ऐसे में तकलीफ नहीं होती....बाकी अब बारिश में सब जलें तो जलें....हमारी बला से ..
हा हा हा ! भाई हम तो अपना दबाव कम कर रहे थे . अब हमारा टेंशन कम होने से आपका बढ़ता है तो हम क्या कर सकते हैं ! :)
Deleteचलिए आपको बढ़िया प्रेरणा तो मिल ही गई . कामना करते हैं -- जल्दी ही प्रेरणा भी मिल जाए .
हम तो अपना दबाव कम कर रहे थे!.. यह भी खूब कही।
Deleteबाबा आदम के जमाने की कथा लेकर आए हैं, अब तो यह कथा सम्भव ही नहीं है। बहुत पहले किसी ने इस कथा को लिखा था। खैर कुछ भी लिखिए और मन में लड्डू फोड़िए। एक विज्ञापन आता है अभी कार में लिफ्ट देने का, उसमें लड़की मोटर साइकिल वाले के साथ और बूढ़ी अम्मा कार में बैठ जाती है। वैसे हम यह सब क्यों लिख रहे हैं, हम से तो प्रश्न पूछा नहीं गया है। पुरुषों के अन्दर की बात है यह तो।
ReplyDeleteअजित जी , इसकी आवश्यकता आज ज्यादा है . यह बताएँगे , अगली पोस्ट में , जो आपके लिए भी होगी .
Deleteकमेंट्स पढ़कर बहुत आनंद आया।
ReplyDeleteयानि पोस्ट अपने मकसद में कामयाब रही . :)
Deleteधन्यवाद पाण्डेय जी .
सहानुभूति केवल बूढ़ी औरत डिजर्व करती है क्योंकि जीवन से बढ़कर कुछ नहीं। जिसमें इसका मोल समझने की संज़ीदगी हो,वही सच्चा मित्र,वही प्रेमिका शादी करने लायक़।
ReplyDeleteबहुत अर्से पहले इस प्रस्न का जो जबाब दिया था...वो गलत उतरा मगर आज फिर दिल उसी जबाब को दोहराने को चाहता है...कितना पागल है ये दिल!! :)
ReplyDeletewonderful post n mindblowing comments....
ReplyDeleteShukriya Dr.saheb