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Wednesday, May 16, 2012

अंकल जी मत कहना भूल कर भी ---


गाँव
की पगडंडी पर एक महिला चली जा रही थी सामने से साईकल पर आते एक युवक ने कहा -- अरी बुढियासामने से हट जा महिला बोली -- भाई, बुढिया तो नहीं थी पर बीमारी ने बना दी बेशक , शरीर में कोई रोग लगजाए तो मनुष्य समय से पहले ही बूढा हो जाता है लेकिन रोग भी हो तो क्या बूढ़े नहीं होते ?

हालाँकि बुढ़ापे की ओर अग्रसर होना किसी को अच्छा नहीं लगता इसीलिए सभी ज़वान बने रहने की जी तोड़कोशिश करते हैं एक ज़माना था जब ब्यूटी पार्लर सिर्फ महिलाओं के लिए ही होते थे लेकिन अब लगता हैमहिलाओं से ज्यादा ब्यूटी ट्रीटमेंट का शौक पुरुषों को है

कुछ भी हो लेकिन जब तक आप स्वयं को ज़वान समझते रहें , तब तक अंकल जी कहलाना बिल्कुल नहीं भाता हमने यह अनुभव किया अभी कुछ दिन पहले , मार्केट में सब्जी खरीदते हुए जब किसी ने हमें अंकल कह करपुकारा और तभी मन में उपजी यह ग़ज़ल हालाँकि ग़ज़ल अक्सर गंभीर विषय पर लिखी जाती है लेकिन क्याकरें , अपनी तो आदत है ना हर बात में मजाक ढूँढने की


सीने
में इक दर्द सा उठने लगता है
जब कोई हमको अंकल जी कहता है

आँखें चुंधिया हों या घुटनों में कड़ कड़
दिल तो अपना अब भी धक् धक् करता है

बचपन बीता जाने कब यौवन आया
अब इस नाते से गुजरा सा लगता है

काला कर डाला बालों को रोगन से
पर ये साला सर ही गंजा दिखता है

बूढा ना समझो गलती से भी जानम
बंदा ये अब भी दम भर दम रखता है

कह पागल या पुल बांधो 'तारीफों' के
दिल अपना हरदम हंसने को करता है


नोट : यह छोटी सी ग़ज़ल श्री देवेन्द्र पाण्डे जी के ब्लॉग पर होली के अवसर पर पढ़े एक हास्य लेख सेप्रेरित होकर लिखी है

71 comments:

  1. हा हा हा ………मज़ेदार ……

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  2. उम्र केक पर लगी मोमबत्तियों से नहीं बल्कि जज्बे से पहचानी जाती है.
    एकदम बढ़िया लगी गज़ल.

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  3. अंकल जी कैसे कह देंगे जबकि चूड़ियों की सलामती ख़तरे में हो ?
    देखिए और मुस्कुराइये -
    http://tobeabigblogger.blogspot.in/2012/05/blog-post.html

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  4. सीने में इक दर्द सा उठने लगता है
    जब कोई हमको अंकल जी कहता है । :)

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  5. :) बहुत बढ़िया गज़ल है ....!!
    शुभकामनायें .

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  6. सीने में इक दर्द सा उठने लगता है
    जब कोई हमको अंकल जी कहता है ।

    काला कर डाला बालों को रोगन से
    पर ये साला सर ही गंजा दिखता है ।

    ha ha ha mast uncle ji

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    1. :) :)

      आभार । आप हमारे २०० वें फोलोवर हैं ।

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  7. आखिर असली जरुरतमंद कौन है
    भगवन जो खा नही सकते या वो जिनके पास खाने को नही है
    एक नज़र हमारे ब्लॉग पर भी
    http://blondmedia.blogspot.in/2012/05/blog-post_16.html

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  8. मजेदार
    डाक्टर साहब |

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  9. Replies
    1. शास्त्री जी , हम तो पहले से ही ३२ बच्चों के ताऊ हैं । :)

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  10. बूढा ना समझो गलती से भी जानम
    बंदा ये अब भी दम भर दम रखता है।

    अब तो चिल्ला वाली क्रीम भी आ चुकी है. इन्वेस्टमेंट का रिटर्न तो मिलना ही चाहिये.

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    1. यह कौन सी क्रीम है ???

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    2. सहानुभूति के लिए शुक्रिया रचना जी । :)
      सतीश जी , किस दुनिया में रहते हैं ! :) :)

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  11. केशव केसन अस करी जौ अरी हूँ न कराहीं
    चन्द्र बदन मृगलोचनी बाबा कही कही जाहीं..
    है तकलीफ पर बताएं किसे .दर्दे दिल की दवा लायें कहाँ से ........

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  12. गुरु इस दर्द में हम तुम्हारे साथ हैं....
    दुनिया भले साथ छोड़ दे पर हम उस्ताद को नहीं छोड़ेंगे ! वह इंसान क्या जो उस्ताद को बुढापे में छोड़ दे !

    मंजिल पर क्या वो पंहुचेंगे,हर गाम पे धोखा खायेंगे
    वे काफले वाले, जो अपने, सरदार बदलते रहते हैं !


    सीने में इक दर्द सा उठने लगता है
    जब कोई हमको अंकल जी कहता है ।

    आँखें काम ने दें , घुटनों में दर्द उठे
    दिल तो अपना अब भी धक् धक् करता है !

    योवन बीता जाने कब पतझड़ आया
    अब इस नाते से गुज़रा सा लगता है !

    काला कर डाला बालों को रोगन से
    पर साला यह गंजा सर तो दिखता है


    बूढा ना समझो गलती से भी जानम
    बंदा ये अब भी सब दम ख़म रखता है ।

    कह बुड्ढा या पुल बांधो 'तारीफों' के
    दिल अपना हरदम,हंसने को करता है ।

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    Replies
    1. यह भी खूब रही सतीश जी ।
      योवन बीता जाने कब पतझड़ आया
      अब इस नाते से गुज़रा सा लगता है !

      इससे असहमत । :)

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  13. बूढा ना समझो गलती से भी जानम
    बंदा ये अब भी दम भर दम रखता है ।

    डा० साहब,.....बहुत खूब,....पढकर आनंद आ गया ,...

    MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: बेटी,,,,,

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  14. मैं तो यह संबोधन सुनते ही,तुरंत कंघी निकालता हूं। फिर भी,आप संघर्ष कीजिए,मैं आपके साथ हूं!

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  15. :-)
    ये डर है कि कहीं आप फोलो करना और कमेन्ट करना बंद ना कर दें,वरना यहाँ ब्लॉग पर भी कई अंकल कहने वाले/वालियां मिल जाते....

    गज़ल में दम भी है दर्द भी...
    सादर.

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    1. जी वाले तो चलेंगे पर वालियां --- रहम करें :)

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  16. हमें सब रिश्ते है मंज़ूर
    ज़रा ,सामने तो आइए हजूर ||

    शुभकामनाये आपको !:-))))

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  17. जब कोई अंकल कहता था तो बड़ी खुशी होती थी कि अब बड़े हो गए। चलो बापू ताऊ की मार नही खानी पड़ेगी, फ़िर काम भी अंकलों जैसे ही करते थे। अब बच्चे ताऊ कहने लग गए तो लगा दिल्ली की गद्दी मिल गयी। किसी को भी डॉटने का अधिकार मिल गया। हा हा हा हा

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    1. ललित भाई , ताऊ न कहें , इस चक्कर में हमने तो मूछें भी काट दीं । पर बच्चों को तो मांफ है ।

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  18. :):) सब्जी लेने जाते वक़्त याद नहीं रहा होगा उस क्रीम का जो आप अभी लाये थे ..... अब सब्जी मार्केट में ऐसी फजीहत होगी ....सोचा न होगा ...

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  19. मुझे यकीं था मेरा कमेंट गायब होगा....
    :-(

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  20. jab tak jazba jawan
    tab tak mard jawan

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  21. शास्त्री जी , हम तो पहले से ही ३२ बच्चों के ताऊ हैं । :)

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  22. अंकल सुन दिल कलकल करता..

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  23. ये बुढ़ापा भी ऐसे आ जाता है कि बस हैरान कर जाता है --बढियां लिखा है !

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  24. मुझे भी तब बहुत बुरा लगता है जब कोई खूबसूरत बाला अंकल कह देती है.
    ..पर क्या करूँ,सोचता हूँ, फिर आईने में देखकर समझ जाता हूँ !

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  25. accha ji aisa bhi hota hai :)badhiya gazal...Best wishes...

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  26. बढ़िया!
    "सर पे बुढ़ापा है / मगर दिल तो जवां है", सत्य वचन गाया था किशोर कुमार ने...
    दिल्ली में विभाजन के बाद अंकल जी/ आंटी जी कहने का चलन आरम्भ हुवा... और सरकारी अफसर भी 'बाबू' कहलाया जाने लगा...

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  27. केशवदास जी की याद मुझे भी आ गई,उनसे तो 'बाबा' कहती थीं ,अंकल तो फिर भी गनीमत !

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  28. इसका मतलब ,

    सीने में गर दर्द उठे , समझो कोई अंकल बोला है :)

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    1. इस समझ से तो नासमझी हो सकती है . :)

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    2. इसीलिये तो पूछा ?

      फिर सीने में कैसे वाले दर्द को इस समझ,किस्म का माना जाये :)

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    3. उनको देख जो दिल धडके , और धड़कता जाए
      तो समझ जाइये मियां , दिल का मामला है !

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  29. वाह! क्या बात है। देखा तो दूसरों ने भी प्रेरणा आपको मिली ! :)
    मस्त गज़ल।

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    1. देखा तो दूसरों ने भी प्रेरणा आपको मिली !
      या
      देखा तो दूसरों को भी प्रेरणा आपसे मिली!
      या
      देखा तो दूसरों से भी प्रेरणा आपको मिली !

      पाण्डे जी, काहे कन्फ्यूज कर रहे हो ! :)

      Delete
  30. ये लो , महिलाएं यूँ ही बदनाम है अपनी उम्र छिपाने में :)
    अच्छी ग़ज़ल !

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    1. वाणी जी , हमारी श्रीमती जी की OPD में तीन तीन बच्चों की अम्मा , ऐसी महिलाएं अक्सर आती है जो अपनी उम्र १८- २० से ज्यादा नहीं बताती और कहती हैं , पहला बच्चा है ! :)

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    2. हा हा हा हा हा डॉ. साहेब यह भी खूब रही ! पर आजकल हमारी तरह अधेड़ भी अपनी उम्र ४५ से आगे बढ़ने का नाम नहीं लेती ..ऐसा लगता हैं मानो उम्र की पटरी जम गई हैं हा हा हा हा

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  31. दाक्टल अंतल , ददल तो थीथ-ठाट है , मदल ददल ते भाव ऑल ऐह्थात भोत बदिया हैं ! :)

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  32. हमारे साथ अब ये समस्या कुछ दूसरे तरीके से आने लगी है. अंकल वाला दर्द तो पुराना मर्ज हो गया है. क्रॉनिक. अभी तो एक्यूट मर्ज चालू हुआ है - लोग जब दादा जी पुकारने लगते हैं! :)

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  33. हमे तो पहले ग़ज़ल ने हंसा दिया पर ये क्या टिप्पणियों ने तो मजा ही लगा दिया अब पता चला मर्द लोग गंजे सिरों पर भी कंघी क्यूँ करते हैं ..वैसे लगता है स्त्रियों से ज्यादा पुरुषों को बुढापे का खतरा ज्यादा रहता है
    हाइपर टेंशन दिवस पर मजे दार पोस्ट देकर आधा इलाज तो कर दिया आभार

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  34. काला कर डाला बालों को रोगन से
    पर ये साला सर ही गंजा दिखता है ।:))
    बढ़िया कही आदरणीय डाक्टर साहब....
    सादर।

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  35. जय हो सर जी जय हो ... किस की मजाल जो आपको अंकल कहे ...

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  36. अब तो कोई आपको अंकल कहने की जहमत नहीं उठाना चाहेगा...सुन्दर प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई

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  37. अंकल जी शब्द शब्दकोष से हटा देना चाहिए

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    1. यानि आप भी सताए हुए हैं ! :)

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  38. बहुत सुन्दर प्रस्तुति। मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

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  39. JCMay 18, 2012 1:18 PM
    वैज्ञानिक कहते हैं कि एक से क्रोमोसोम से एक कालांतर में उत्पति हो पेड़ बन गया और दूसरा मानव... अर्थात पेड़ और मानव चचेरे भाई समान हैं, एक दूसरे के पूरक... एक ऑक्सीजन सांस में ले उसे कार्बन डाई ऑक्साइड बना बाहर वातावरण में छोड़ देता है... फिर पेड़ उस से कार्बन को भोजन बना ऑक्सीजन वातावरण में छोड़ देता है मानव के लिए...

    और दूसरी ओर, एक सूक्ष्म जीवाणु को संख्या बढ़ाने की सूझी तो वो दो भाग में बंट गया! सोचने की बात है कि दोनों के बीच रिश्ता क्या होगा??? क्या वो जुडवा भाई कहायेंगे???
    और फिर ऐसे ही वे दो से चार हो गए... तो फिर जो बाद में दो नए आये वो पहले वालों को अंकल जी कहेंगे क्या???

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    1. हा हा हा ! जे सी जी ,यह पता लगाने के लिए तो डार्विन को स्वर्ग में चिट्ठी भेजनी पड़ेगी !

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  40. बचपन बीता जाने कब यौवन आया
    अब इस नाते से गुजरा सा लगता है ।

    काला कर डाला बालों को रोगन से
    पर ये साला सर ही गंजा दिखता है ।


    गजब की पंक्तियाँ हैं ... आभार

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  41. बहुत खूब .....अंकल जी ....:))

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  42. सीने में इक दर्द सा उठने लगता है
    जब कोई हमको अंकल जी कहता है ।bahut khoob ham to sochte the ki siraf mahilaon ko hi bura lagta hai,,,,,

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  43. बचपन बीता जाने कब यौवन आया
    अब इस नाते से गुजरा सा लगता है ।
    अंकल संबोधन कुछ ,बे -गाना सा लगता है .'भैया ' की तरह .व्यंग्य विनोद में ही रस है जीवन है .सर जी !वरना इस दुनिया में रख्खा क्या है ?
    वीरुभाई (बरनी ,बुलंद शहरी ) .

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    1. सही कहा . जिन्दादिली में जो दिन कट जाएँ , वही बेहतर हैं .

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  44. बहुत ही मजेदार रही आज की यह कविता डॉ. साहेब ...कई बार मुझे ६०-७० साल वाले महाशय आंटी कह देते हैं ..तब खून का घूंट पीकर काम चलाना पड़ता हैं हा हा हा हा हा

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    1. दर्शी जी , आप तो बहुत सहनशील हैं । हमें तो कोई २०-३० साल वाला भी बोले तो बड़ी कोफ़्त होती है। :)

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  45. JCMay 20, 2012 7:06 AM
    @ हर कीरत जी, आपके ही शहर गुवाहाटी में अस्सी के दशक में मुझे पहली बार 'तांत्रिकों' के बारे में पता चला था कि वे कैसे 'अतृप्त आत्माओं' को, जिन्हें मोक्ष नहीं मिल पाया, अपने वश में कर किसी अन्य सशरीर आत्मा के इस भौतिक जीवन के बारे में साधारणतः 'गुप्त ज्ञान' भी प्राप्त कर लेते हैं, और इलाज आदि हेतु सुझाव भी दे सकते हैं!...
    डॉक्टर तारीफ सिंह जी, जैसा ओशो ने भी कहा, जब हम साफ़ सुथरे स्थान पर पूजा करने बैठते हैं - अगरबत्ती जला, घंटी बजा, आदि आदि, तो 'अच्छी आत्माएं' खिंच के चली आती हैं (जैसे कहावत भी है कि 'एक समान पंख वाली चिड़िया एक स्थान पर एकत्रित हो जातीं हैं') ... और जैसे यदि आपके पास अच्छे लोग आते हैं तो वो कुछ अच्छा ही कर के जायेंगे (सत्संग का भी यही लाभ माना गया है)...
    कोई कुछ भी कह पुकारे हर आत्मा तो आत्मा ही होती है, अर्थात निर्गुण - न चाचा, न ताऊ... सो सरल शब्दों में गीता का उपदेश, "चाहे कोई खुश हो चाहे गालियाँ हजार दे/ मस्तराम बनके ज़िन्दगी के दिन गुज़ार दे!"...

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  46. हाहाहा सही में कोई बचा भी अंकल कहता है तो लगता है पिटाई कर दूँ.....

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