मिस इण्डिया, मिस वर्ल्ड, मिस यूनिवर्स जैसी उपाधियाँ तो अपने सुनी ही होंगी।
मिस्टर इण्डिया भी सुना होगा। लेकिन मिस्टर एक्स ? ये भला क्या होता है ?
आइये आपको आज मिस्टर एक्स से मिलवाते हैं।
शहर की भाग दौड़ की जिंदगी , उस पर टारगेट्स का तनाव। दूसरी तरफ सभी सुख सुविधाओं से परिपूर्ण ऐशो आराम की जिंदगी। खाते पीते घरों के लोग। मोटे ताज़े लोग। हाथ पैर हिलाने की ज़रुरत ही नहीं। वैसे भी खानदानी रईस।
यही लोग आगे चलकर बनते हैं, मिस्टर एक्स।
जी हाँ, एक बीमारी है जो आजकल हमारे देश में तेज़ी से फैलती जा रही है। और इसे कहते हैं --मेटाबोलिक सिंड्रोम या मेटाबोलिक सिंड्रोम एक्स या फिर सिर्फ सिंड्रोम एक्स।
अब जो इससे पीड़ित है , वो मिस्टर एक्स ही हुआ न।
आइये देखते हैं , ये सिंड्रोम एक्स क्या है ---
यह कई रोगों का मिश्रण है। यदि आपको इनमे से कोई दो या तीन विकार हैं तो आप ही हैं , मिस्टर एक्स।
१) डायबिटीज या ब्लड शुगर सामान्य से अधिक होना।
२) हाइपर्तेन्शन यानि ब्लड प्रेशर का ज्यादा होना।
३) मोटापा ।
४) रक्त में अत्यधिक वसा यानि हाई कोलेस्ट्रोल।
५) रक्त में यूरिक असिड की मात्रा का बढ़ना।
यदि आपको डायबिटीज या मोटापे के साथ कोई अन्य दो विकार भी हैं, तो आप निश्चित तौर पर सिंड्रोम एक्स के रोगी हैं।
सिंड्रोम एक्स क्यों होता है ---इसके मुख्य कारण हैं ---
१) तनाव पूर्ण जीवन।
२) अक्रिय जीवन शैली।
३) व्यायाम की कमी।
४) ज़रुरत से ज्यादा खाना।
५) सिगरेट, शराब जैसे व्यसन।
६) अनुवांशिकता।
निदान :
यदि आप १५ डिग्री पर ढलती जवानी के दौर में पहुँच चुके हैं, यानि आप ४० वर्ष से ऊपर हैं , तो साल में कम से कम एक बार ये जांच अवश्य करवाएं ---
वज़न, ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर, लिपिड प्रोफाइल, औए सीरम यूरिक असिड।
वज़न : मोटापा न होने दें। ३६-२२-३४ इंच का अनुपात केवल महिला मोडल्स के लिए ही उपयुक्त नहीं है, बल्कि पुरुषों के लिए भी इसके मायने हैं।
याद रखिये --कमर का नाप महिलाओं में ३५ इंच और पुरुषों में ४० इंच से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
ब्लड प्रेशर : सामान्य १२०/८० है। १३५/८५ से ज्यादा असामान्य माना जायेगा।
ब्लड शुगर : खली पेट = १०० से नीचे, खाने के बाद ---१४० से नीचे।
यदि आपकी ब्लड शुगर २०० से अधिक आती है तो आप निश्चित ही डायबिटिक हैं।
लिपिड्स : रक्त में वसा की मात्रा । यानि ब्लड कोलेस्ट्रोल ।
एच डी एल , जिसे अच्छा कोलेस्ट्रोल भी कहते हैं, क्योंकि यह हार्ट के लिए अच्छा होता है ---4० से ऊपर होना चाहिए। कोलेस्ट्रोल २०० से कम होना चाहिए।
यदि आपके पैर के अंगूठे में दर्द या सूजन है तो आपको गाउट नाम की बीमारी हो सकती है। इसमें सीरम यूरिक असिड की जांच करानी चाहिए।
सिंड्रोम एक्स होने से हार्ट अटैक या दिल की बीमारी होने की सम्भावना काफी बढ़ जाति है।
उपचार : अब इतनी बीमारियाँ हैं तो दवाएं भी इतनी ही ज्यादा होंगी। लेकिन घबराइये नहीं। यदि अभी भी आप सचेत जाते हैं और निम्नलिखित बातों का ध्यान रखते हैं तो आप मिस्टर एक्स बनने से बच सकते हैं।
१) नियमित व्यायाम -- brisk walk--सबसे बढ़िया व्यायाम है।
गाँव में लोग काम पर जाते हैं, पैदल चलकर
यहाँ शहर में पैदल चलना भी एक काम है।
लेकिन काम ही सही, करिए ज़रूर।
२) परहेज़ : डायबिटीज में मीठे का, ब्लड प्रेशर में नमक का , हाई कोलेस्ट्रोल में घी का, और मोटापे में ज्यादा खाने का। फिर खाएं तो क्या खाएं।
जी हाँ, बहुत कुछ है खाने को --सभी सब्जियां, फल, दालें, अन्न, नट्स, दूध और दूध से बने पदार्थ ।
यही आप नॉन-वेज हैं तो अंडे की सफेदी , बेक्ड मांस भी ले सकते हैं।
बस मीठे से परहेज़ रखें और खाने में नमक सिर्फ थोडा सा सब्जी में । सब्जियां भी तेल में पकाएं और कम मात्रा का इस्तेमाल करें।
सिगरेट कभी नहीं, शराब कभी कभी ।
तनाम मुक्त रहने के लिए --हँसना हँसाना।
और हाँ, जो लोग सारे दिन कंप्यूटर पर बैठे रहते हैं, थोडा कम करें।
आखिर मिस्टर एक्स बनकर क्या हासिल होगा, ज़रा सोचिये ज़रूर।
बहुत उत्तम जानकारी डा० साहब ! वैसे जहां तक मेरा मिस्टर एक्स से वास्ते का सवाल है मै समझता हूँ कि मैं क्रम संख्या १ और ५ को छोड़ बाकी से फिलहाल बचा हूँ ! हाँ, मैं सत्यनिष्ठा से सपथ लेता हूँ कि मैं आपके इस सुझाव "सिगरेट कभी नहीं, शराब कभी कभी ।" को पूर्णतया अमल में लाने की कोशिश करूंगा :)
ReplyDeleteडाक्टर साब आज अपने बेहद अच्छी जानकारी प्रदान की है जो लाभदायक सिद्ध होगी. मिस्टर एक्स कौन बनाना चाहेगा.
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर, महत्वपूर्ण और विस्तृत जानकारी दी है आपने!
ReplyDeleteआपका यह लेख आम पाठकों को आकर्षित करने वाला है दराल साहब! हिन्दी ब्लोग्स में ऐसे ही लेखों की बहुत अधिक आवश्यकता है।
एक छोटा सा सुझाव है कि शीर्षक में बीमारी के पूरे नाम को शामिल कर दें ताकि सर्च इन्जिन्स में खोजने वालों को आपका लेख जल्दी और आसानी के साथ मिल पाये। हो सके तो इस लेख को गूगल के है बातों में दम?' प्रतियोगिता में भी डाल दें।
बहुत ही संतुलित भाषा में समुचित जानकारी । पूरा मेडिकल चेक अप कर दिया आपने , आभार
ReplyDeleteडॊ. सा’ब, हमें तो वो मि. एक्स मालूम है जो दिखता नहीं था। शायद यह मि. एक्स भी कुछ समय बात नहीं दिखता :)
ReplyDeleteएक पोस्ट में समुचित जानकारी के लिए बहु बहुत शुक्रिया .
ReplyDeleteबहुत उत्तम जानकारी डा० साहब !जानकारी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
ReplyDeleteबहुत अच्छी जानकारी मिस्टर ए़क्स के रोगों और उनके लक्षण और उनके निदान के बारे में ।
ReplyDeleteबहुत अच्छी पोस्ट डाक्टर साहब मिस्टर x तो छोड़िये हमें y या z बनने में भी कोई दिलचस्पी नहीं है रही बात हँसने हंसाने की तो कोशिश तो जारी रहती है
ReplyDeleterachana dixit
rachanaravindra.blogspot.com
समुचित जानकारी
ReplyDeleteबहुत सुंदर ढंग से आप ने बहुत काम की बात बता दी, धन्यवाद हम अभी शायद मिस्टर W बन गये है, ओर एक्स से बचे है
ReplyDeleteबढ़िया और उपयोगी जानकारी!
ReplyDeleteनए साल के आगाज़ पर ऐसी पोस्ट की बहुत जरूरत थी...'न्यू इअर रेजोल्यूशन' के तौर पर ही ,कम से कम...एक बार सोचेंगे तो इस तरफ...बहुत जरूरी है एक अनुशासित जीवन...जितना खाना था खा चुके...जितनी लापरवाह बरतनी थी...बरत चुके...अब तो संभल जाएँ..खुद के लिए नहीं..अपने परिवार वालों के लिए सही..
ReplyDeleteअरे डॉक्टर साहब,
ReplyDeleteआज तो आपने सोते से जगाने के साथ आइना भी दिखा दिया...बस यही सोचता रहता हूं कल से पूरा परहेज़ और मार्निंग वॉक शुरू...पर वो कल कभी आती ही नहीं...बस जल्दी ही आपके पास आता हूं सारे टेस्ट कराने...शायद ये भी मेरी कल-कल की तरह कभी न आए...
वो ज़रा रैक पर नज़र घुमा कर तो देखिए...वहां टीचर्स महाराज बैठे हैं...उन्होंने आपकी ये पोस्ट पढ़ ली है और नाराज़गी में मुंह सुजाए बैठे हैं...चलिए पहले उन्हें मना लीजिए...
जय हिंद...
बड़े काम की जानकारी है..मगर यहाँ तो मिस्टर एक्स बन चुके हैं ,,,अब निकलने का रास्ता बतायें.
ReplyDeleteडा दराल साहिब ~ धन्यवाद जानकारी के लिए!
ReplyDeleteशायद वैसे भी, मुझे विश्वास है, कि हर 'पढ़ा-लिखा' ऐसी जानकारियाँ समाचार पत्र/ टीवी आदि से भी ग्रहण तो करता रहता है किन्तु अधिकतर 'राम भरोसे' ही जीवन व्यापन करते है, यही जीवन का सत्य है और इसी कारण हम केवल नव वर्ष पर एक दूसरे को शुभ कामनाएं दे संतोष कर लेते हैं जो वर्ष के आरंभ में मिस्टर z बचने से रह गए, शायद w तक ही रुक गए... रोज मर्रा के जीवन में हालत वैसी ही है जैसे 'में कम्बल को लात मारता हूँ किन्तु कम्बल ही मुझे नहीं छोड़ता'!
इसी सन्दर्भ में मैं अफना घिसा-पिटा प्रश्न फिर आप से दोहराऊँगा कि क्राईस्ट जैसा व्यक्ति, या डा., क्या आज संभव नहीं हैं?
मैंने अपने अनुभव से जाना कि अन्दर ही अन्दर हर एक व्यक्ति के मन में एक भय छिपा रहता है हॉस्पिटल आदि जाने में और संभवतः पूरी उम्र चक्कर भी काटते रहने के - "तारीख पे त्रारीख" समान - जैसे मेरी पत्नी के केस में हमने पूरे २३ वर्ष तक तो कम से कम काटे ही और हालात दिन प्रतिदिन बिगड़ते ही रहे...
ऐसा ही अनुभव मैंने स्वयं अन्य कई बीमारों के बारे में देखा, पढ़ा, और सुना भी है...(और जाना कि अभी बहुत कुछ जानने को सदियों के प्रयास के बाद भी बाकी है)...अगर गिनाने लग जाऊं तो यह मेरा ब्लॉग हो जायेगा और आपके सारे मित्र इधर आना छोड़ देंगे ;) वैसे भी जिस डा. (या समोसे वाले के पास भी :) भीड़ अधिक होती है वो 'सबसे बेस्ट' माना जाता है :)
"सर्वे सुखिना भवन्तु..."
नव वर्ष मंगलमय हो सभी के लिए!
जे सी साहब, आपने बिलकुल सही कहा। यह मानव प्रवर्ति ही है की डर की वज़ह से चेतना शून्य हो जाती है। जानते हुए भी हम अनजान बने रहते हैं। यही कारण है की आधे से ज्यादा डॉक्टर्स में भी मोटापे के लक्षण नज़र आते हैं। यदि समय रहते कदम उठा लिए जाएँ तो कदम भी उठने लायक बने रहते हैं।
ReplyDeleteखुशदीप भाई, आप एक बार आइये तो सही, डॉक्टरों की अंटी में। बाकि का काम हम खुद कर लेंगे।
बहुत उपयोगी जानकारी, शुक्रिया
ReplyDeleteshukriya jaankaari ke liye!
ReplyDeleteभगवान् बचाए मिस्टर एक्स बनने से (अगर खुद ना बच पाएं तब)! विअसे आपने मिस्टर एक्स लिखा है मिसेज एक्स नहीं बनती ?
ReplyDeleteकल से अन्तर्मंथन चल रहा था कि कुछ ऐसा जरूर है जो मुझ से पढा नहीं गया अभी याद आया कि आपका ब्लोग था आज तो बहुत काम की बातें हैं । क्या करूँ बस मोटापे का ही इलाज नहीं होता 18 कि कम कर के फिर बढा लेती हूँ । सब परँठों का कमाल है मगर शुकर है अभी इन मे से कोई भी बिमारी नहीं ।ब फिर शुरू ्रती हूँ योगा जिन्दाबाद । धन्यवाद ।
ReplyDeleteधन्यवाद डा साहब
ReplyDeleteबहुत बढ़िया जानकारी दी आपने.
डाक्टर साहब शुक्रिया ........... बहुत ही महत्व पूर्ण जानकारी दी है आपने ............ कोशिश करते हैं पालन करने की ........ जो कर सके ज़रूर करेंगें ............
ReplyDeleteमुरारी जी, मिसेज एक्स भी हो सकती हैं।
ReplyDeleteलेकिन निर्मला जी को देखिये।
रिताइर्मेन्त के बाद भी खुद को नियंत्रित रखा है।
बधाई निर्मला जी।
bahut hi sahaandaar evam jaandaar jaakari. badhai!!
ReplyDeleteविचारणीय पोस्ट...
ReplyDeleteआपने तो थोड़ा चिंता में डाल दिया...:-(