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Sunday, August 31, 2025

रिटायर्ड होकर टायर्ड ना हों।

 एक बात हमको हरदम सताती है,

कि आजकल 60 तो क्या,

70 की उम्र भी इतनी जल्दी आ जाती है।

कहते हैं 60 में लोग सठियाने लगते हैं,

पर हमें तो लगता है ,

70 में भी ज्यादा सयाने लगते हैं।

मगर सरकार उम्र भर की सेवाओं का ये कैसा सिला देती है,

जो भरी जवानी में कर परमानेंट तबादला देती हैं।


खाली घर में रहकर हाथ पैर भी टेढ़े हो जाते हैं,

सेवानिवृत होकर तो जवान भी बूढ़े हो जाते हैं।

इसीलिए कहते हैं भैया रिटायर्ड हुए तो क्या, टायर्ड मत हो,

मिलो मिलाओ, कविता लिखो, सुनो सुनाओ, फिर ना कोई ज़हमत हो। 

Tuesday, August 12, 2025

ज़िंदगी एक ग़ज़ल होती है ...

 जन्मदिन पर दोस्तों की दुआएं हों,

और अपनों का साथ हो,

तो ज़िंदगी एक ग़ज़ल होती है।


बच्चे केक मंगवाएं,

और केक काटने में पत्नी हाथ बंटाए,

तो ज़िंदगी एक ग़ज़ल होती है।


बेटी विदेश से फूल भिजवाए,

और एक प्यार सा संदेश पहुंचाए,

तो ज़िंदगी एक ग़ज़ल होती है।


पुत्र केक खिलाए, पुत्रवधू फोटो खींचे,

और पत्नी केक खिलाकर गाल पर केक लगाए,

तो ज़िंदगी एक ग़ज़ल होती है।


वर्षों के साथी डॉक्टर, ब्लॉगर, और कवि मित्र साथ हंसें मुस्कुराएं,

और जिंदगी सत्तरवें साल में प्रवेश कर जाए,

तो ज़िंदगी एक ग़ज़ल होती है। 

Wednesday, August 6, 2025

दोहे...

 लेडी चालक देख के, फौरन संभला जाय,

ना जाने किस मोड़ पे,बिना बात मुड़ जाय।


पर्वत तो यूं बिखर रहे, ज्यों ताश के पत्ते,

पेड़ काटकर बन रहे ,रिजॉर्ट्स बहुमंजिले।


जब पाप बढ़े जगत में, कुदरत करती न्याय,

आजकल तो सावन में, शेर भी घास ख़ाय।


उन्नत शहर की नालियां, बारिश में भर जाय,

क्या करें हर सावन में, बारिश आ ही जाय।