समय दिन महीने और साल दिखा देता है,
जमा घटा गुना और भाग सिखा देता है।
ये स्मार्ट फोन कुछ ज्यादा ही नौटी हो गया है,
पत्नी की कॉल को भी जंक कॉल बता देता है।
क्वारेंटिन और डिस्टेंसिंग जैसे शब्द अब यक्ष हो गए,
आइसोलेशन में पति पत्नी के जुदा शयन कक्ष हो गए।
कोरोना की ऐसी तैसी, पत्नी तो इस बात से खुश है कि,
लॉकडाउन में पति और बेटा गृह कार्यों में दक्ष हो गए।
गृह कार्य करने से स्वास्थ्य सुधर जाता है,
जोड़ सलामत रहते हैं, वजन घट जाता है।
हम भी लॉकडाउन में पतले कैसे हुए,
ये राज़ तो हमें अब समझ में आता है।
रोज सोचते हैं सेहत बनाने कल से जिम जाएंगे,
या सुबह शाम पार्क की सैर करने ही चले जाएंगे।
परंतु पत्नी कहती है, घर के काम काज किया करो,
वरना मेरी तरह ही हाथ पैरों के जोड़ जाम हो जाएंगे।
हर साल दीवाली पर ऑड इवन की बात होती है,
दिन भर भारी प्रदूषण और घनी काली रात होती है।
अकेले नहीं पर गाड़ी में पत्नी संग मुंह पर मास्क हो,
सोचता हूं क्या सच में पत्नी इतनी खतरनाक होती है।
आभार। 😊
ReplyDeleteबहुत सुन्दर मुक्तक ।
ReplyDeleteवाह
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteपसंद करने के लिए आप सभी का आभार।
ReplyDeleteरोचक
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