बुजुर्गों से सुनते थे
अनुभव अर्जित ज्ञान की बातें।
और यह भी कि
ज्ञान बांटने से बढ़ता है,
वरना एक दिन वही ज्ञान
ज्ञानी के साथ ही मिट जाता है।
आज का युवा वर्ग
पढ़ता है सैंकड़ों क़िताबें,
और क़िताबी ज्ञान का
विद्धान बन जाता है।
किंतु अनभिज्ञ रह
सांस्कृतिक ज्ञान से,
व्यवहारिक तौर पर
अनपढ़ ही रह जाता है।
फिर एक दिन
शांति की तलाश में
किसी गुरु की
शरण में जाता है।
पैसा हाथ का मैल है
यह संसार मोह माया का जाल है,
यह बात वह पाखंडी गुरु
हज़ारों की फ़ीस लेकर बतलाता है।
अनुभव ही इंसान को
आचार व्यवहार का
सही मार्ग दिखलाता है।
जब तक युवा स्वयं
अनुभव अर्जित न कर लें
तब तक
बुजुर्गों का अनुभव ही काम आता है।
लेकिन आज की
तकनीकि जिंदगी में
बुजुर्गों का वज़ूद
युवाओं पर भार बन कर रह गया है।
और ज्ञान का प्रचार महज़
एक व्यापार बन कर रह गया है।
जी आभार। 🙏🏻
ReplyDeleteआज का युवा वर्ग
ReplyDeleteपढ़ता है सैंकड़ों क़िताबें,
और क़िताबी ज्ञान का
विद्धान बन जाता है।
किंतु अनभिज्ञ रह
सांस्कृतिक ज्ञान से,
व्यवहारिक तौर पर
अनपढ़ ही रह जाता है.......
एक एक शब्द बिल्कुल सत्य है!हकिकत को बयां करती बहुत ही उम्दा रचना!
आज का युवा गूगल पर ज्यादा विश्वास करता है ।
ReplyDeleteबहुत सही लिखा है ।
गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएँ ।
अनुभव से बढ़कर न कोई पाठशाला है न कोई गुरु लेकिन क्या करें आज के युवा ज्ञान देने में ज्यादा विश्वास रखते हैं।
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रेरक रचना
सुंदर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteआज का युवा गूगल पर ज्यादा विश्वास करता है ।
ReplyDeleteबहुत सही लिखा है ।
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