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Thursday, July 30, 2020

एक दिन किनारा मिल ही जायेगा --



जिंदगी के सागर में,
उम्र की पनडुब्बी पर खड़े ,
हम देख रहे हैं, दूर क्षितिज में ,
भीषण तूफ़ान के काले बादलों तले ,
समुद्र में उठती ऊँची लहरों में ,
गोता लगाते, डूबते उभरते एक जहाज को।

खारे पानी की हर उफनती लहर के साथ,
जहाज में सवार कुछ नाविक,
समा जाते और खो जाते समुद्र की गहराइयों में।
जिन्होंने बात ना मानी, ना पहनी
लाइफ जैकेट, कैप्टेन के आदेश पर।

पनडुब्बी चल दी जहाज की ओर ,
उसे इस घोर संकट से उबारने के लिए।
किन्तु हम जानते हैं कि ,
जहाज का बहादुर कप्तान ,
निकाल ही लेगा अपनी सूझ बूझ से,
जहाज को इस तूफान के बीच ,
किनारे की ओर ।

आशा ही नहीं,
विश्वास है हमें कि ,
कुशल  नेतृत्व के आधीन ,
देश का जहाज पा ही लेगा ,
साहिल को एक दिन ,
हराकर इस ''कोरोना'' तूफ़ान को।
 
  

7 comments:

  1. आशा है तो जिंदगी है
    एक दिन जहाज किनारा लग ही जाएगा

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  2. जी बहुत बहुत शुक्रिया।

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  3. बेहतरीन रचना

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  4. सकारात्मकता की म‍िसाल बन गई है ये पंक्त‍ियां...किन्तु हम जानते हैं कि ,
    जहाज का बहादुर कप्तान ,
    निकाल ही लेगा अपनी सूझ बूझ से,
    जहाज को इस तूफान के बीच ,
    किनारे की और।...वाह

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  5. सकारात्मक भाओं के साथ लाज़बाब रचना

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  6. सुंदर प्रस्तुति

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