1.
देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई भगवान,
सब देशों में भेज कोरोना , विलेन बना वुहान।
कितना बदल गया इंसान , कितना बदल गया इंसान।
आया समय बड़ा बेढंगा , मुंह छुपाकर रहता हर बंदा ,
बंद हुए स्कूल और कॉलेज , बंद हुआ सब काम और धंधा।
कोरोना के कारण बंद हैं शोरूम मॉल और दुकान ,
कितना बदल गया इंसान , कितना बदल गया इंसान।
ये सुन्दर से दिखने वाले , निकले कितने फरेबी बन्दे,
तन के गोरे मन के काले, देख लिए सब इनके धंधे ।
इन ही की काली करतूतों से , बना ये विश्व मसान ।
कितना बदल गया इंसान , कितना बदल गया इंसान।
ये सुन्दर से दिखने वाले , निकले कितने फरेबी बन्दे,
तन के गोरे मन के काले, देख लिए सब इनके धंधे ।
इन ही की काली करतूतों से , बना ये विश्व मसान ।
कितना बदल गया इंसान , कितना बदल गया इंसान।
जो लोग घरों में ही रहते, कोरोना के केस क्यों बढ़ते ,
काहे पड़ोसी आपस में डरते, पुलिस के डंडे ना पड़ते।
क्यों बंद होती पार्टियां क्यों होती शादियां बिन मेहमान ,
कितना बदल गया इंसान , कितना बदल गया इंसान।
2.
देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई भगवान,
कितना सम्भल गया इंसान, कितना सम्भल गया इंसान।
दूर ही रह्ते, हाथ भी धोते, घर आते ही करते स्नान,
दूर ही रह्ते, हाथ भी धोते, घर आते ही करते स्नान,
कितना सम्भल गया इंसान, कितना सम्भल गया इंसान।
आया समय बड़ा रंगीला , हुई धरा हरी आसमाँ नीला ,
साफ़ हवा और प्रदुषण कम, हुआ सडको पे ट्रैफिक ढीला।
बंद हुए सब ठेके बार , और बंद हैं बीड़ी सिगरेट पान ,
कितना सम्भल गया इंसान , कितना सम्भल गया इंसान।
खुद ही जलेबी घर मे बनाई , नहीं चाहिए अब हलवाई ,
ना कहीं अब आना जाना , अब ना आती घर में बाई।
खुद ही लगाएं झाड़ू पोंछा , और खुद ही बनाएं पकवान ,
कितना सम्भल गया इंसान , कितना सम्भल गया इंसान।
गर्मी में भी सब काढ़ा पीते , अदरक वाली चाय बनाते ।
अब ना किसी से हाथ मिलाते , देख दूर से ही मुस्काते ,
हाथ जोड़ सब करें नमस्ते, संस्कृति बनी अपनी पहचान ,
कितना सम्भल गया इंसान , कितना सम्भल गया इंसान।
बहुत सुन्दर।
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