तीन महीने
वर्क फ्रॉम होम करके,
जब कामवाली बाई ,
काम करने आई ।
पत्नी को कोरोना का ख्याल आया,
तो उसे बस ,
झाड़ू पोंछा करने को लगाया।
तीन दिन काम करके,
कामवाली बेचैन सी होली,
और पत्नी से बोली ।
बीबी जी हमारा कैसे काम चलेगा,
यदि आप हमसे झाड़ू पोंछ ही लगवाएंगे।
अब हमसे देखा नही जाता,
आखिर कब तक साहब से बर्तन मंजवाएंगे।
पत्नी ने हालात को फ़ौरन संभाल लिया,
और अगले ही दिन कामवाली को,
झाड़ू पोंछे के काम से भी निकाल दिया।
और फिर हमसे कहा,
अब लगिये काम पर,
आप बहुत दिनों से आराम कर रहे हैं।
आखिर दफ्तर से छुट्टी मारकर,
आप भी तो वर्क फ्रॉम होम ही कर रहे हैं।
*निर्मल हास्य*
हा हा हा हा हा हा
ReplyDeleteसादर..
बहुत सुन्दर सामयिक और रोचक।
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 19 जुलाई 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteवाह बहुत सुंदर
ReplyDelete😆😆😆 हा हा हा
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