वो पास होती है तो फरमान सुनाती है।
अज़ी ऐसा मत करना , वैसा मत करना ,
ये मत खाना , वो मत खाना ,
कुछ भी खाना पर ज्यादा मत खाना।
वो दूर होती है तो समझाती है ,
अज़ी ऐसा करना , वैसा करना ,
ये खा लेना , वो खा लेना ,
कुछ भी खाना पर भूखा मत रहना।
हम तो हर हाल में ,
बस पत्नी का हुक्म बजाते हैं।
वो दिन को रात भी कहे तो ,
आँख बंद कर रात ही बताते हैं।
वो , हो , तो मुसीबत,
ना हो तो और बड़ी मुसीबत।
पत्नी तो एक दोधारी तलवार होती है।
परन्तु पत्नी पास हो या दूर,
सोते जागते उसके मन पर बस ,
पति और बच्चों की ही चिंता सवार होती है।
प्रेम के नर्मल एहसासात लिये सुन्दर प्रस्तुति.
ReplyDeleteसादर
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (20-11-2019) को "समय बड़ा बलवान" (चर्चा अंक- 3525) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सही ...
ReplyDeleteअति उत्तम लेख
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