जुर्माना है क्यों इतना, थोड़ी सी तो ही पी है,
नाका तो नहीं तोड़ा, लाइट जम्प तो नहीं की है।
क्यों उनको नहीं पकड़ा , जिनके हैं शीशे काले ,
क्या जाने उस गाड़ी में , बैठा कोई बलात्कारी है।
जुर्माना है क्यों इतना ,थोड़ी सी तो ही पी है,
शीशा तो नहीं काला , लाइन क्रॉस भी नहीं की है।...
गाड़ी को लगे धक्का, ट्रैफिक के नतीज़े हैं ,
धुत हमको कहे मालिक, खुद जिसने ही पी है ।
जुर्माना है क्यों इतना. , थोड़ी सी तो ही पी है,
स्पीड लिमिट तो क्रॉस नहीं की, पी यू सी भी है।...
नासमझ और नादाँ, लोगों की ये बातें हैं ,
स्कॉच को क्या जाने, देसी जिसने पी है ।
जुर्माना है क्यों इतना..
हर ठर्रा निकलता है , मंज़ूर ऐ सिपाही से ,
हर बेवड़ा कहता है , रम है तो नशा भी है।
जुर्माना है क्यों इतना, थोड़ी सी तो ही पी है,
नाका तो नहीं तोड़ा, लाइट जम्प तो नहीं की है।
जुर्माना है क्यों इतना...
नोट : यह व्यंगात्मक हास्य पैरोडी सिर्फ यातायात के नियम तोड़ने वालों पर लिखी गई है।
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 10 अक्टूबर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteजी धन्यवाद।
Deleteवाह
ReplyDeleteलाजवाब।
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