वो पास होती हैं तो फरमान सुनाती हैं,
अज़ी ऐसा मत करना , वैसा मत करना।
ये मत खाना , वो मत खाना।
कुछ खाओ भी तो ज्यादा मत खाना !
अज़ी ऐसा मत करना , वैसा मत करना।
ये मत खाना , वो मत खाना।
कुछ खाओ भी तो ज्यादा मत खाना !
वो दूर जाती हैं तो समझाती हैं ,
अज़ी ऐसा करना , वैसा करना ,
ये खा लेना , वो खा लेना ,
कुछ भी खाना ,पर भूखा मत रहना !
अज़ी ऐसा करना , वैसा करना ,
ये खा लेना , वो खा लेना ,
कुछ भी खाना ,पर भूखा मत रहना !
हम तो हर हाल में,
पत्नी का हुक्म बजाते हैं ,
वो दिन को रात भी कहे तो ,
आँख बंद कर रात ही बताते हैं !
पत्नी का हुक्म बजाते हैं ,
वो दिन को रात भी कहे तो ,
आँख बंद कर रात ही बताते हैं !
वो हो तो मुसीबत , न हो तो और मुसीबत,
पत्नी तो एक दोधारी तलवार होती है।
परन्तु पत्नी पास हो या दूर , सोते जागते,
उसके मन पर पति की ही चिंता सवार होती है।
आमीन
ReplyDeleteवाह डाक्टर साहब खूब लिखा निर्भीक होकर बधाई
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