पिछली पोस्ट से आगे --
एक बार तो लगा कि बैंगलोर में शायद देखने के लिए कुछ नहीं है। लेकिन फिर लाल बाग के बारे में पता चला जो शहर के बीचों बीच है। ऑटो पकड़कर हम पहुँच गए लाल बाग़। २४० एकड़ में बना यह पार्क वास्तव में काफी बड़ा और खूबसूरत है।
प्रवेश द्वार से गुजरते ही यह रास्ता जाता है पार्क की पार्किंग तक।
द्वार से पार्किंग तक जाने के लिए सड़क के किनारे यह हरियाली और रंगों की छटा देखकर ही अनुमान लगाया कि क्यों इसे लाल बाग़ कहा जाता है।
पार्किंग के सामने एक छोटी सी पहाड़ी पर एक छोटा सा मंदिर बना है। यहाँ से शहर का खूबसूरत नज़ारा नज़र आता है।
पार्क में एक मैदान जिस पर पैर रखते ही चौकीदार बैठा बैठा जोर से सीटी बजाकर बताता कि घास पर चलना मना है।
पार्क के इस हिस्से में घास को ऐसा बनाया गया था जैसे समुद्र में ज्वार भाटा आता है।
एक पिक्चर पोस्ट कार्ड दृश्य।
यह है अशोक वाटिका वाला अशोक वृक्ष जिसके नीचे कभी सीता मैया बैठी थी। इसे १९७२ में श्रीमती इंदिरा गांधी जी ने लगाया था। यह पेड़ श्रीलंका में भी मिलता हैं।
लाल बाग़ के अंदर एक बहुत बड़ी झील भी है जिसकी परिधि करीब १. ५ से २ किलोमीटर की है ।
झील किनारे दिखे ये जुड़वां पेड़ -- पहली बार देखे।
पार्क में सैकड़ों वर्ष पुराने पेड़ बहुत नज़र आये।
एक यह भी।
यहाँ की हरियाली तो देखने लायक थी।
तरह तरह के अंदाज़ में पेड़ पौधों को सजाया गया था।
कहते हैं , मरा हुआ हाथी भी सवा लाख का होता है।
अंत में यह फूल घड़ी ( फ्लावर वाच ) बिलकुल सही समय दिखा रही थी।
अरे वाह
ReplyDeleteमस्त है
bahut badhiyaa ji.
ReplyDeletephotos bahut achchhi lagi.
aise hi likhte rahiye or hame ghar baithe sair karaate rahiye.
:-) :-)
thanks.
CHANDER KUMAR SONI,
WWW.CHANDERKSONI.COM
In Bangalore the Art of living HQ is also a good place to spend an evening.
ReplyDeleteजी , समय सीमित ही था .
Deleteबहुत सुन्दर बगीचा है.....
ReplyDeletewell maintained भी लगता है!!
thanks for the beautiful post!!
regards
anu
फोटोज मे सुंदरता भी निखर आती है !
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बुधवार (19-03-2014) को समाचार आरोग्य, करे यह चर्चा रविकर : चर्चा मंच 1556 पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार आपका .
Deleteबड़ा अच्छा बगीचा है, चित्र भी सुन्दर हैं।
ReplyDeleteएक खूबसूरत सी पोस्ट .
ReplyDeleteयह फूल घड़ी तो swiss ...में भी है। सुंदर तस्वीरों से सजी खूबसूरत पोस्ट ...
ReplyDeleteलालबाग अपने पूरे शबाब पर है।
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत लग रहे हैं सभी फोटो .. आपने एंगल कमाल के होते हैं ... साथ ही उनका वर्णन भी रोचक ...
ReplyDeleteशुक्रिया नासवा जी , फोटोग्रफी एक शौक भी होता है और कला भी !
Deleteसुन्दर तस्वीरें स्वतः ही वर्णन करती है !
ReplyDeleteआपका कैमरा हर जगह कमाल करता है , पूरे नंबर आपके लिए !
ReplyDeleteबधाई !
बहुत ही सुंदर.
ReplyDeleteरामराम.
भला है कि आपका कैमरा चलता रहता है आपके साथ। हम भी देख लेते हैं कई शहर पहली बार। तो कभी शहर के वो छूटे हुए हिस्से जो हम देख नहीं पाए अब तक।
ReplyDeleteरोहित जी , जर्नलिस्ट तो आप हैं ! :)
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