जी हाँ , इन्सान में बुढ़ापा सबसे पहले घुटनों में ही आता है । इसीलिए :
* ४० + होते होते आपके घुटनों की व्यथा एक्स रेज समझने लगते हैं ।
* ५० + होने पर आपको भी आभास होने लगता है ।
* ६० + होने पर सब को पता चल जाता है कि आपके घुटने ज़वाब दे चुके ।
* ७० + होकर आप भी भाइयों में भाई बन जाते हैं क्योंकि अब तक सब एक ही किश्ती के सवार बन चुके होते हैं ।
अब तक आप समझ ही गए होंगे कि हम घुटनों में ओस्टियोआरथ्राईटिस की बात कर रहे हैं ।
चलने के लिए घुटनों की सबसे ज्यादा ज़रुरत पड़ती है क्योंकि शरीर का सारा भार इन्ही पर पड़ता है ।
और घुटने ही सबसे पहले बोल जाते हैं उम्र के साथ ।
कैसे --यह देखिये इन चित्रों में ।

लेकिन उम्र के साथ साथ इनमे वियर एंड टियर यानि टूट फूट होने लगती है और इनके टूटने से घुटने की हड्डियाँ आपस में रगड़ खाती हैं जिसे दर्द होता है ।
दायें चित्र में देखिये --कार्टिलेज टूट चुकी है , हड्डी ऊबड़ खाबड़ हो गई है और ज्वाइंट स्पेस कम हो गई है ।
यही होती है ओस्टियोआरथ्राईटिस।
अब यह होना तो तय है । आखिर उम्र का तकाज़ा है ।
लेकिन जब तक आप नियमित रूप से चलना , घूमना फिरना और व्यायाम करते रहते हैं , तब तक इसका असर आपको तकलीफ़ नहीं देता । जहाँ आप आराम में आए यानि लाइफ सिडेनटरी हुई , समझो इसे सर उठाने का अवसर मिल गया ।
अफ़सोस तो यह है कि इसका कोई इलाज भी नहीं है ।
* सबसे पहले सोकर या काफी देर तक बैठ कर उठने पर घटनों में दर्द होता है और जकड़न सी महसूस होती है । लेकिन थोडा चलने पर आराम आ जाता है ।
यह है पहली चेतावनी ।
* इसे नज़र अंदाज़ करिए --रोग बढ़ने पर चलने से आराम नहीं बल्कि दर्द बढ़ता है और आराम करने से आराम आता है । यानि अब आप चाहें भी तो ज्यादा चल नहीं सकते ।
* यदि अभी भी नहीं सचेते तो --आराम करने पर भी आराम हराम हो जाता है । तब तो नींद से भी जग जाते हैं दर्द के मारे ।
इस स्टेज में बस ऑपरेशन ही आराम दिला सकता है --अधिकांश मामलों में टोटल नी रिप्लेसमेंट ।
इसलिए आवश्यक है कि शारीरिक गति विधियाँ चलती रहनी चाहिए ।
मोटापा , निष्क्रियता , डायबिटीज , घुटने के पास चोट --इनसे यह समस्या जल्दी सामने आ सकती है ।
इसलिए इन से बचें या उचित इलाज कराएँ ।
अब आपको बताते हैं घुटनों के दर्द से बचने का उपाय। यदि आप ४० पार कर चुके हैं तो यह आपके लिए ही है :
एक बेड या दीवान पर सीधे होकर पैर लटकाकर बैठ जाइये । अब पहले एक टांग को धीरे धीरे ऊपर उठाइए और बिल्कुल सीधा कर दस सेकण्ड तक रोके रखिये । इसके लिए धीरे धीरे दस तक गिनती गिनें । अब धीरे धीरे पैर को नीचे ले आइये ।
कुछ सेकण्ड के आराम के बाद दूसरी टांग के साथ यही करिए ।
यह प्रक्रिया दस बार कीजिये । दिन में ३-४ बार करें तो बेहतर है ।
यह काम आप ऑफिस में भी कर सकते हैं , अपनी सीट पर बैठे बैठे ।
ज़ाहिर है इसके लिए आपको न कहीं जाना है , न कोई साधन चाहिए , न कोई खर्चा करना है ।
बस चाहिए तो थोड़ी इच्छा शक्ति , नियमित रूप से करने के लिए ।
यदि इसे ४० + करेंगे तो दर्द होने से बचे रहेंगे ।
यदि ५० + करें तो दर्द में निश्चित आराम आयेगा ।
यदि ६० और ७० + करें तो रोग बढ़ने से बचेगा ।
हर हाल में आपकी जिंदगी खुशहाल रह सकती है और आप घूमने फिरने के लायक रह सकते हैं ।
नोट : इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए एक पुरानी पोस्ट पढने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये । यदि अब घुटनों में आराम आ गया हो और थोडा सैर करने का मूढ़ बना हो तो यहाँ पर क्लिक कर आनंद लीजिये ।