हमने जो कहा पत्नी से एक कप चाय पिलाने को,
वो एक डोंगा दे गई मलाई से मक्खन बनाने को ।
अब हम बैठे बैठे चाय के इंतज़ार में भुनभुना रहे हैं,
एक घंटे से मलाई को गोल गोल घुमाए जा रहे हैं ।
चलाते चलाते हमें बचपन में दादी की रई याद आ गई,
मिक्सी क्या खराब हुई घुमाते घुमाते नानी याद आ गई।
घी निकालने को भी कितने ताम झाम करने पड़ते हैं,
रिटायर्ड बंदे को देखो कैसे कैसे काम करने पड़ते हैं।
मक्खन निकला पर थक कर हमारी क्या शक्ल बन गई,
अब एक हाथ पतला है और दूसरे की मसल्स बन गई।
एक घंटे की मशक्कत के बाद मामला संभल पाया है।
शुक्र है कि मक्खन के साथ छाछ भी निकल आया है।
चाय मलाई के चक्कर में अपनी तो पत्नी से ठन गई,
पर मक्खन निकालते निकालते ये तो ग़ज़ल बन गई।
वाकई आम के आम और गुठलियों के दाम हो गया ये तो साथ में छिलके भी .....मसल्स बनाने के 🤣🤣🤣🤣
ReplyDelete😅🙏🙏
Deleteमजेदार प्रस्तुति है सर। लेकिन यह तो है कि मलाई से मक्खन निकालने का काम है बहुत जानलेवा!
ReplyDeleteसच मे। यदि हाथ से निकालनी पड़े।
Deleteहास्य रस का आनंद अनूठा है।
ReplyDeleteसुंदर कृति
सादर।
आभार पसंद करने के लिए। 😊
Deleteप्रस्तुति इतनी मज़ेदार है तो अनुभव कितने सरस-सफल प्रयासों से भरा रहा होगा!
ReplyDelete😅🙏🙏
Deleteवाह!!!
ReplyDeleteलाजवाब...👌👌😂😂
धन्यवाद जी।
Delete😃😃😃😃
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लिखा है आपने आदरनीय डॉक्टर साहब !
पर
अच्छा होता खुद ही चाय बना लेते जनाब!
अपनी व्यथाओं का तब यूँ ना देना पड़ता हिसाब!।
पर एक रोचक रचना के लिए बधाई और शुभकामनाएं आपको 👌👌👌😃🙏🙏
चाय की तो अपनी कहानी है जी। 😅 🙏
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