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Friday, July 15, 2022

आम के आम और गुठलियों के भी दाम --


हमने जो कहा पत्नी से एक कप चाय पिलाने को,

वो एक डोंगा दे गई मलाई से मक्खन बनाने को । 


अब हम बैठे बैठे चाय के इंतज़ार में भुनभुना रहे हैं,

एक घंटे से मलाई को गोल गोल घुमाए जा रहे हैं ।


चलाते चलाते हमें बचपन में दादी की रई याद आ गई,

मिक्सी क्या खराब हुई घुमाते घुमाते नानी याद आ गई।  


घी निकालने को भी कितने ताम झाम करने पड़ते हैं,

रिटायर्ड बंदे को देखो कैसे कैसे काम करने पड़ते हैं। 


मक्खन निकला पर थक कर हमारी क्या शक्ल बन गई,

अब एक हाथ पतला है और दूसरे की मसल्स बन गई। 


एक घंटे की मशक्कत के बाद मामला संभल पाया है। 

शुक्र है कि मक्खन के साथ छाछ भी निकल आया है। 


चाय मलाई के चक्कर में अपनी तो पत्नी से ठन गई,

पर मक्खन निकालते निकालते ये तो ग़ज़ल बन गई। 



12 comments:

  1. वाकई आम के आम और गुठलियों के दाम हो गया ये तो साथ में छिलके भी .....मसल्स बनाने के 🤣🤣🤣🤣

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  2. मजेदार प्रस्तुति है सर। लेकिन यह तो है कि मलाई से मक्खन निकालने का काम है बहुत जानलेवा!

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    1. सच मे। यदि हाथ से निकालनी पड़े।

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  3. हास्य रस का आनंद अनूठा है।
    सुंदर कृति
    सादर।

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    1. आभार पसंद करने के लिए। 😊

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  4. प्रस्तुति इतनी मज़ेदार है तो अनुभव कितने सरस-सफल प्रयासों से भरा रहा होगा!

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  5. वाह!!!
    लाजवाब...👌👌😂😂

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  6. 😃😃😃😃
    बहुत बढ़िया लिखा है आपने आदरनीय डॉक्टर साहब !
    पर
    अच्छा होता खुद ही चाय बना लेते जनाब!
    अपनी व्यथाओं का तब यूँ ना देना पड़ता हिसाब!।
    पर एक रोचक रचना के लिए बधाई और शुभकामनाएं आपको 👌👌👌😃🙏🙏

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    1. चाय की तो अपनी कहानी है जी। 😅 🙏

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