जिंदगी भर जीते रहे ,
जिन्हे जिंदगी देने,
सजाने और संवारने में।
अब जब ,
वे नभ में उड़ चले,
और व्यस्त हैं ,
स्वच्छंद जिंदगी बनाने में।
तब एक बार फिर
बस हम और तुम हैं ,
तीसरा नहीं कोई हमारे बीच।
बस 'तू' रहे और तेरा साथ ,
डाले हाथों में हाथ,
यूँ ही साथ साथ।
चलो एक बार फिर से खोज लें ,
हम और तुम, दोनों, अपने आप को।
बहुत खूब...
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