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Sunday, March 4, 2018

बुरा ना मानो होली है --




तन को तो रंग डाला,
मन पर भी रंगत लाओ, तो होली है।

जो दिलों से न उतर पाये ,
रंग वो प्यार के चढ़ाओ, तो होली है।

गले तो रोज पड़ते हो यार ,
कभी प्यार से गले लगाओ, तो होली है। 

रोज नाचते हो जिसके इशारों पर ,
होली में संग उसे भी नचाओ, तो होली है।

भगौड़े बन कर बैठे हैं जो विदेश में ,
उन धन्ना सेठों को वापस लाओ, तो होली है।

'कुमारों' को तो रोज सुनते हो ,
कभी 'दरालों' को भी बुलाओ, तो होली है।


4 comments:

  1. आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' ०५ मार्च २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

    टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।

    निमंत्रण

    विशेष : 'सोमवार' ०५ मार्च २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने सोमवारीय साप्ताहिक अंक में आदरणीय विश्वम्भर पाण्डेय 'व्यग्र' जी से आपका परिचय करवाने जा रहा है।

    अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (06-03-2017) को "5 मार्च-मेरे पौत्र का जन्मदिवस" (चर्चा अंक-2901) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. बहुत ही उम्दा लाइन लिखी हैं होली से सम्बन्धित.

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