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Thursday, July 28, 2016

मौसम की मार , डेंगू बुखार :


जब काली घटायें छाती हैं ,
और टिप टिप बारिश आती है।  

मौसम भीगा भीगा होता है ,
सब गीला गीला सा होता है।

जब भोर के उजाले होते हैं ,
कुछ नन्हे शेर निकलते हैं।  

जो नंगे हाथों की चमड़ी में ,
अपना तीखा डंक घुसेड़ते हैं।

फिर वो खून तुम्हारा पीते हैं ,
और गिफ्ट में वायरस देते हैं।

जब ये रक्त का दौरा करता है ,
तब सारा बदन कंपकपाता है।

आप बदन दर्द से कराहते हैं ,
इसी को डेंगू बुखार कहते हैं।    
 
ना कोई दुआ काम आती है ,
ना दवा ही असर दिखाती है।

ना खाने को मन करता है ,
दिन भर पसीना टपकता है।

फिर सारा फैट झड़ जाता है ,
जब डेंगू बुखार चढ़ जाता है।

मत होने दो जमा पानी को ,
यूज करो मच्छरदानी को ।

फुल स्लीव्ज के पहनो कपडे ,
फिर तो डेंगू कभी ना पकडे।

बस एक गोली पैरासिटामोल ,
और पीओ पानी नीम्बू घोल।

ले लो एक सप्ताह की छुट्टी ,
तभी हो पायेगी डेंगू से कुट्टी।  
   

1 comment:

  1. डेंगू का मच्छर भी सम्मानित महसोस कर रहा होगा जो डॉक्टर साहब की कलम से निकला है ... पूरी जानकारी दे दी .

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